सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ राहुल गुप्ता ने मित्तल हॉस्पिटल में किया उपचार
हार्ट रोगी की बायीं तरफ की मुख्य धमनी थी ब्लॉक, दुर्लभ मिलते हैं ऐसे रोगी
अजमेर (अजमेर मुस्कान)। नागौर जिले के डेगाना निवासी वयोवृद्ध हृदय रोगी को मित्तल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर अजमेर के सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ राहुल गुप्ता ने इमरजेंसी में एंजियोप्लास्टी कर सुरक्षित कर लिया। रोगी के इमरजेंसी में ही एंजियोग्राफी और फिर एंजियोप्लास्टी की गई। यहां तक कि रोगी के आईसीयू में भर्ती रहते हृदय की धड़कन अनियमित होने लगी जिससे रोगी को इलेक्ट्रिक शॉक देने पड़े। आखिर इमरजेंसी से लेकर आईसीयू व कैथ लैब के कार्मिकों की पूरी टीम भावना रोगी के काम आई। रोगी को हॉस्पिटल से जब छुट्टी दी जा रही थी तो रोगी ही नहीं हॉस्पिटल का स्टाफ भी अपनी खुशी का इजहार किए बिना नहीं रुक सका।
सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ राहुल गुप्ता ने बताया कि रोगी के हार्ट की बायीं मुख्य धमनी (लेफ्ट मेन ) लगभग 99 प्रतिशत ब्लॉकेज होने के कारण उन्हें हार्ट अटैक आया था। डॉ राहुल के मुताबिक इस तरह के रोगी हजारों में एक दो ही हुआ करते हैं। ऐसे रोगियों को समय पर उपचार नहीं मिलने पर उनका बचना भी मुश्किल ही होता है क्यों कि हृदय तक रक्त का प्रवाह होता ही नहीं है।
उन्होंने बताया कि नागौर जिले के डेगाना से गंभीर अवस्था में अजमेर पहुंचे रोगी को पहले डेगाना के निजी हॉस्पिटल के डॉक्टर ने प्रारंभिक उपचार दे दिया था जिससे वे अजमेर के मित्तल हॉस्पिटल के आपात कालीन विभाग तक पहुंच सके। यहां इमरजेंसी में लाए जाने से पहले ही पुष्कर घाटी उतरते समय रोगी को कार्डियक अरेस्ट हो गया। जिससे रोगी की पल्स और ब्लड प्रेशर दोनों ही मापने में नहीं आ रही थी। इमरजेंसी में रोगी को कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) दिया गया, जो एक आपातकालीन जीवन रक्षक प्रक्रिया है। यह तब किया जाता है जब किसी व्यक्ति का दिल धड़कना बंद कर देता है या सांस लेना बंद कर देता है। जिससे रोगी की श्वास लौट आई। रोगी को वेंटीलेटर पर लेकर आईसीयू में शिफ्ट कर दिया गया।
सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ राहुल गुप्ता ने बताया कि आईसीयू में रोगी का ब्लड प्रेशर नियंत्रित करते हुए ही रोगी की एंजियोग्राफी किया जाना सुनिश्चित कर लिया गया था। जब रोगी को एंजियोग्राफी की जा रही थी तब ज्ञात हुआ कि रोगी के हार्ट के बाएं तरफ से रक्त की मुख्य धमनी करीब 99 प्रतिशत तक ब्लॉक थी यानी हार्ट को धड़कने के लिए जो रक्त की जरूरत होती है वह उसे पूरी तरह मिल ही नहीं पा रहा था। रोगी के एंजियोप्लास्टी कर बायीं धमनी में एक स्टेंट लगाया गया और रोगी को आईसीयू में शिफ्ट कर दिया गया।
डॉ राहुल गुप्ता ने बताया कि रोगी के लिए आईसीयू का सफर भी बड़ा ही मुश्किल भरा रहा। आईसीयू में भर्ती रहने के दौरान रोगी के हृदय की धड़कन अनियमित होने लगी। रोगी की धड़कन ढाई सौ से ऊपर पहुंचने लगी। रोगी को इस अवस्था से बाहर लाने के लिए इलेक्ट्रिक शॉक दिये गए। रोगी के साथ हॉस्पिटल के आईसीयू, लैब आदि पूरे स्टाफ ने टीम भावना से काम किया और इसी का परिणाम रहा कि रोगी को सुरक्षित कर लिया गया। डॉ राहुल ने कहा कि इस तरह के रोगियों का सुरक्षित रह पाना अपने आप में एक मिसाल है।
मित्तल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर में दक्ष व कुशल सुपरस्पेशियलिटी चिकित्सक एवं स्टाफ की टीम भावना और समस्त आधुनिक चिकित्सा सुविधाएं गंभीर से गंभीर रोगी को सुरक्षित कर पाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
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