पेट की समस्या को हल्के में ना लें : डॉ गुप्ता
अजयमेरु प्रेस क्लब, लायंस क्लब अजमेर आस्था तथा जैन महिला मंडल के संयुक्त तत्वावधान में स्वास्थ्य परिचर्चा सम्पन्न
अजमेर (अजमेर मुस्कान)। अजयमेरु प्रेस क्लब, लायंस क्लब अजमेर 'आस्था' तथा जैन महिला मंडल के संयुक्त तत्वावधान में बुधवार, 16 अप्रैल को एक स्वास्थ्य परिचर्चा का आयोजन वैशाली नगर स्थित होटल लेक विनोरा में किया गया। इसमें नारायण हाॅस्पिटल, जयपुर के सुपर स्पेशियलिटी के दो डॉक्टर्स ने उपस्थित प्रतिभागियों को पेट व किडनी संबधी बीमारियों के कारण, निवारण व बचाव के संबंध में मार्गदर्शन किया।
नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. रवि कुमार ने किडनी से संबंधित बड़ी बीमारियों का मुख्य कारण मधुमेह को बताया। डॉ रवि ने स्लाइड शो के माध्यम से यह समझाया कि खान-पान के बिगड़े शेड्यूल, अनियमित व अनियंत्रित भोजन तथा निम्न स्तर के फ़ास्टफ़ूड और जंकफूड के सेवन से शरीर में बनने वाले ग्लूकोज़ का उचित निस्तारण नहीं हो पाता, जिससे कालांतर में व्यक्ति के अंगों पर बुरा प्रभाव पड़ने लगता, और सबसे ज्यादा गुर्दे ही नष्ट होते हैं। ग्लूकोज़ के उचित निस्तारण के लिए शरीर में इन्सुलिन की आवश्यकता होती, जो इंसान का शरीर स्वयं बनाता है। मगर भोजन की अनियमितता, अनियंत्रित जीवनशैली व निम्न स्तरीय खाद्य सामग्री के उपयोग से शरीर में या तो इन्सुलिन बनना बंद हो जाता है, या कभी-कभी इन्सुलिन प्रॉपर तऱीके से ग्लूकोज़ का निस्तारण नहीं कर पाता। ऐसे में मरीज पहले तो उच्च रक्तचाप व मधुमेह का रोगी बनता है और उसके बाद किडनी पर इसका सबसे ज्यादा दुष्प्रभाव पड़ता है।
उन्होंने कहा कि इन्सुलिन को शरीर में संतुलित रखने के लिए भोजन का समय निर्धारित होना जरूरी है। उन्होंने बताया कि बॉडी में यदि इंसुलिन बनना बंद हो जाता है तो फिर किडनी ट्रांसप्लांट ही एक मात्र उपाय है जो स्थायी समाधान देता है। अन्यथा जीवन भर बाह्य रूप से शरीर को इन्सुलिन देना इसका विकल्प है। उन्होंने कहा कि यह एक भ्रांति है कि किसी मधुमेह मरीज का लंबे समय तक शूगर लेवल कंट्रोल है तो वह व्यक्ति अब मरीज नहीं रहा। उन्होंने बताया कि अंगों के डेमेज होना शुरू होने पर अतिरिक्त ग्लूकोज़ अन्य रूप में शरीर में जमा होता है या शरीर से बाहर निकलता है। इस वजह से कई बार रक्त व यूरिन जांच में शुगर लेवल ठीक आता है और मरीज समझता है कि उसे अब डायबिटीज नहीं रही। उन्होंने कहा कि यह भ्रांति है। मधुमेह पेशेंट को थोड़े से भी कॉम्प्लिकेशन पर सदैव रक्त व यूरिन जांच के साथ विशेषज्ञ चिकित्सकों से परामर्श करके किडनी सहित अन्य अंगों की जांच भी करा लेनी चाहिए। साथ ही मेडिकेशन में कभी लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए।
इस मौके पर गैस्ट्रोएंटोलॉजी विशेषज्ञ डॉक्टर अभिनव गुप्ता ने पेट , आंत और लिवर संबंधित बीमारियों से जुड़ी बातें साझा कीं। डॉक्टर गुप्ता ने कहा कि अधिक तेलीय भोजन और गरिष्ठ खाद्य पदार्थों के सेवन से आंतों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। पेट संबंधित किसी भी समस्या को लोग शुरू में तो यह सोच कर नज़रंदाज़ कर देते हैं कि अपने आप ठीक हो जाएगी या घरेलू नुस्खे अपना कर ठीक होने का इंतज़ार करते हैं। डॉ गुप्ता ने कहा कि घरेलू नुस्खे एक सीमा तक ही उचित हैं, मगर पेट की कोई भी समस्या यदि लंबे समय तक चल रही है, तो उसे हल्के में ना लें। कई बार लोग लगातार होने वाली पेट की जलन, दस्त, मरोड़ आदि को हल्की फुल्की समस्या मान कर डॉक्टर के पास जाने से बचते हैं और बाद में वही लापरवाही किसी बड़े रोग का कारण बन जाती है। उन्होंने बताया कि पेट में गैस या दर्द में तो एक बार घरेलू नुस्खे भी आजमाए जा सकते हैं, लेकिन मल के साथ रक्त आना या मस्से व गांठ जैसी समस्या को अपने स्तर पर ही सुलझाने का प्रयास घातक हो सकता है। इसके दूरगामी परिणाम दुखदयी हो जाते हैं। ऐसे में समय रहते विशेषज्ञ चिकित्सक से परामर्श लेकर विभिन्न जांचों के माध्यम से समस्या को पकड़ लेना ही समझदारी है, ताकि शुरुआती स्टेज से ही प्रॉपर इलाज मिलना शुरू हो जाये। ऐसा करने से कैंसर जैसी घातक बीमारी तक पहुंचने से बचा जा सकता है।
इस सत्र के बाद दोनों चिकित्सकों ने उपस्थिति प्रतिभागियों के सवालों के जवाब देकर अन्य शंकाओं का समाधान भी किया। इस मौके पर आयोजक संस्थाओं से जुड़े सदस्यों व उनके परिजन ने दोनों चिकित्सकों से निजी परामर्श का लाभ भी उठाया।
अजयमेरु प्रेस क्लब के अध्यक्ष राजेंद्र गुंजल ने दोनों डॉक्टर्स और विभोर गुप्ता को स्मृति चिन्ह भेंट किया । डॉक्टर रवि कुमार ने अजयमेरु प्रेस क्लब के अध्यक्ष राजेंद्र गुंजल को स्मृति चिन्ह भेंट कर परिचर्चा आयोजित करने के लिए आभार व्यक्त किया । इससे पहले महासचिव अरविन्द मोहन शर्मा, उपाध्यक्ष डॉ.जगदीश मूलचंदानी और कोषाध्यक्ष सत्यनारायण जाला ने तीनों अतिथियों का माल्यार्पण कर अभिनंदन किया । परिचर्चा में "हमसफ़र" परिवार की सदस्यों ने भी उत्साह से भाग लिया । इस परिचर्चा के संयोजक घेवरचंद नाहर और लोकेश अग्रवाल का भी आभार प्रकट किया।
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