शिक्षा में रामत्व का अर्थ राम का अनुसरण
अजमेर (अजमेर मुस्कान) । भारतीय शिक्षण मंडल का 56वां स्थापना दिवस समारोह बांदरासिंदरी स्थित राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय के सभागार में सम्पन्न हुआ । इस कार्यक्रम में भारतीय शिक्षा और संस्कृति के प्रति समर्पण और उनके मूल्यों के प्रचार-प्रसार को एक नया आयाम दिया।
समारोह में भारतीय शिक्षण मंडल के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख, डॉ. संजय पाठक मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित थे। डॉ. पाठक ने उपस्थित सभी सदस्यों को शिक्षा के प्रति अपने दृष्टिकोण को सुधारने और समाज के उत्थान के लिए कार्य करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा, “हमें अपने अहंकार को त्यागकर समाज के कल्याण के लिए समर्पित भाव से काम करना चाहिए। सेवा भाव से किया गया कार्य ही सबसे श्रेष्ठ होता है। कार्यक्रम में अनिल गुप्ता, भारतीय शिक्षण मंडल के चित्तौड़ प्रांत प्रतिनिधि, ने भी अपने उद्बोधन से उपस्थित जनों को प्रेरित किया। श्री गुप्ता ने स्वामी विवेकानंद जी के भारतीय ज्ञान परंपरा से जुड़े विचारों पर प्रकाश डाला।
राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आनंद भालेराव ने अपने अध्यक्षीय भाषण में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और महापुरुषों द्वारा स्थापित संघों और संगठनों के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने भारतीय शिक्षण मंडल के आगामी स्थापना दिवस समारोह को राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय में भव्यता और दिव्यता के साथ मनाने का आश्वासन दिया। प्रारम्भ में प्रान्त टोली सदस्य जगदीश प्रसाद साहू द्धारा शिक्षण मण्डल का परिचय, इतिहास शिक्षण मण्डल की कार्यप्रणाली के पांच सोपान मण्डल संचालन, ग्यारह गतिविधियां, छः कार्य विभाग के बारे में विस्तार से बताया ।
समारोह का समापन भारतीय शिक्षण मंडल के उद्देश्यों को साझा करते हुए हुआ, जिसमें भारतीय संस्कृति और शिक्षा के महत्व को पुनः रेखांकित किया गया। यह कार्यक्रम भारतीय शिक्षा में भारतीय मूल्यों के समावेश की आवश्यकता को रेखांकित करता है, और यह छात्रों, शिक्षकों और समाज के अन्य वर्गों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनता है। भारतीय शिक्षण मंडल ने हमेशा से भारतीय संस्कृति और परंपरा को शिक्षा के माध्यम से प्रस्तुत किया है, और इस स्थापना दिवस से हमें प्रेरणा लेकर कार्य करना है ।
इस अवसर पर प्रोफेसर अंजलि शर्मा, डॉ. धनन्जय तिवारी, प्रकाश त्रिपाठी, डॉ. अक्षाशं भारद्बाज केशव शर्मा, त्रियम्ब्कं, प्रशान्त, अमन, डॉ. नन्द किशोर जेतवाल बून्दी, डॉ. रंजना, शर्मा राजसमन्द, अनुप सिहं जोधा, महावीर सिहं राठौर, डॉ. सुभाष मिश्र, शिवप्रसाद गौतम, केजी वैष्णव, बिजेन्द बून्दवाल, समीर शर्मा, गुमान सिंह जादौन, राजेन्द राठौड़ सहित विश्वविधालय के विभिन्न विभागों के प्राचार्यगण, स्टाफ सदस्य, विधार्थी, शोधार्थी अन्य गणमान्य बन्धु,भगिनी की गरिमापूर्ण उपस्थिति रही ।
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