अपनी जवाबदेही से बचने के लिए जनता को न करें गुमराह
अजमेर (अजमेर मुस्कान)। विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने आनासागर झील के वेटलेण्ड में हुए नियमविरूद्ध निर्माण पर सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी के निर्देशों पर हुई कार्यवाही के सम्बन्ध में कहा कि यह सब पूर्ववती सरकार के शासन काल में हुआ। स्मार्ट सिटी के अधिकतर कार्य गत सरकार के शासन काल के दौरान हुए। इस दौरान जनप्रतिनिधि होने के नाते कई बार सक्षम स्तर पर शिकायतें और विरोध भी दर्ज करवाया गया लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई। अब यह पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। सरकार की और से मुख्य सचिव इस मामले पर अपना पक्ष रखेंगे। आनासागर झील के प्राकृतिक सौन्दर्य के साथ किसी भी तरह की छेडखानी नहीं होनी चाहिए। झील का मूलस्वरूप शहर की सुन्दता में चार चांद लगाता है और इसे यथावत रखना सबकी जिम्मेदारी है। सुप्रीम कोर्ट इस मामलें में जैसा भी अग्रिम निर्देश देगा उसकी पालना की जाएगी।
देवनानी ने कहा कि गत सरकार के शासन काल में जन प्रतिनिधि होने के नाते उन्होंने स्मार्ट सिटी योजना में हो रहे कार्यों की गुणवता, अनियमितता, भ्रष्टाचार को लेकर तत्कालीन केन्द्रीय शहरी विकास मंत्रालय को समय-समय पर पत्राचार के जरिए अवगत भी करवाया था। जिस पर मंत्रालय द्वारा कार्यों की जांच के आदेश भी दिए थे। इसके बाद केन्द्र सरकार ने राज्य सरकार पर इस योजना में निदेशकों की नियुक्ति पर भी रोक लगा दी थी। उन्होंने कहा कि पूर्ववती सरकार को केन्द्र सरकार की और से एडवायजरी जारी की गई थी कि राज्य सरकार एडवायजरी बोर्ड की बैठक आयोजित करें। जिसमें क्षेत्र के जनप्रतिनिधि विधायकों, सांसदों को बुलाकर विचार विमर्श व सलाह लेकर योजना में होने वाले कार्य तय करें। लेकिन पूर्ववती सरकार द्वारा किसी भी प्रकार की बैठक का आयोजन नहीं किया गया और न ही स्थानीय जनप्रतिनिधियों को बुलाकर कोई सलाह ली गई।
देवनानी ने कहा कि तत्कालीन विधायक होने के नाते उन पर खडे किए जा रहे सवाल वे कर रहे है जो या तो अज्ञानी है या द्रषेता रखते है या फिर किसी को बचाने के लिए इस तरह की बाते कर रहे है। उन्होंने कहा कि पूर्ववती सरकार के प्रशासन की मिली भगत के चलते भू-माफियां द्वारा आनासागर चौपाटी के चारों और धड़ले से अवैध निर्माण करवाया गया। झील के भराव क्षेत्र को कम करके सेवन वल्र्ड और फूड कोड जैसे निर्माण कार्यों को जारी रखा। जबकि इन पर रोक लगाने के लिए तत्कालीन सांसद भागीरथ चौधरी के नेतृत्व में जनप्रतिनिधियों ने तत्कालीन जिला कलक्टर को ज्ञापन भी दिया था।
देवनानी ने कहा कि बतौर जनप्रतिनिधि निमय विरूद्ध हो रहे इन कार्यों को लेकर उन्होंने हर सक्षम स्तर पर आवाज उठाई थी। लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हो सकी। उन्होंने कहा कि पूर्ववती सरकार के शासन काल के दौरान की विभिन्न मिडिया रिपोर्टस में भी इसका जिक्र है। उन्होंने आरोप लगाया कि पूर्ववती सरकार के दौरान स्मार्ट सिटी योजना में जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा की गई और स्मार्ट सिटी की योजना की दुर्गति हुई। इसको लेकन विधानसभा में उनकी और से सरकार से प्रश्न भी पूछे गए थे। देवनानी ने कहा कि पूर्ववती सरकार के शासन काल केदौरान हुई इन गडबडियों के लिए उनकी और से नियुक्त अफसर और सम्बन्धित विभाग के मुखिया जिम्मेदार है।
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