अजमेर (अजमेर मुस्कान)। सुर संगम संगीत समूह के तत्वाधान में रविवार को शाम -ए -ग़ज़ल कार्यक्रम एडमिन दयाल प्रियानी के सानिध्य में आयोजित किया गया ।
प्रकाश जेठरा ने बताया कि इस शानदार ग़ज़लों के कार्यक्रम में कलाकारों की बेहतरीन ग़ज़लों की प्रस्तुतियों ने साम बांध लिया और झूमने व नाचने लगे। इस अवसर पर आजाद अपूर्वा ने बात निकलेगी तो फिर....दयाल प्रियानी ने तुम इतना जो मुस्करा रहे हो...भारती नंदी ने चलते चलते यूं ही कोई...धर्मेंद्र केवलानी ने आप आए तो ख्याले .....दिलीप बच्चानी ने ला पिला दे साकिया....गुलाब खत्री ने जिंदगी जब भी तेरे....हरीश मसंद ने प्यार का पहला खत.... जितेश लालवानी ने कभी बे खुदी ने मारा...प्रकाश जेठरा ने सबको मालूम है मैं शराबी नहीं...प्रकाश झमटानी ने चुपके चुपके रात दिन..... पूनम गीतांजलि ने सलोना सा साजन....कुमकुम जैन ने रहे ना रहे हम....लक्ष्मण चेनानी ने चमकते चांद को ...महादेव कामवानी ने रंग और नूर की बारात...मंजू चेनानी ने तुमको देखा तो ये ख्याल ... ओ पी चाष्टा ने हम से आया न गया... विजय सिंह चौहान ने और आहिस्ता कीजिए बात....प्रणय नंदी ने गुजरे हैं आज इश्क में....यज्ञदत्त शर्मा ने रफ्ता रफ्ता वो मेरी...विजय सोनी ने घुंघरू टूट गए .... लक्ष्मण हरजानी ने चांदी जैसा रंग है तेरा.. मीना खियालानी नें झुकी झुकी सी नजर शंकरलाल धनवानी ने इतना टूटा हुं के...आदि कलाकारों ने एक से बढ़कर एक ग़ज़लों की प्रस्तुति देकर मंत्र मुग्ध कर दिया ।
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