मित्तल हॉस्पिटल के सीनियर ओफ्थल्मिक सर्जन डॉ गोपाल दमानी ने किया उपचार
अजमेर (अजमेर मुस्कान)। भारतीय सेना से सेवानिवृत्त फौजी की दस साल से खोई दायीं आंख की रोशनी मित्तल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर अजमेर के सीनियर ओफ्थल्मिक सर्जन डॉ गोपाल दमानी से उपचार लेने के बाद वापस आ गई। रोगी अपनी दायीं आंख की दृष्टि को पूरी तरह खोना मानते हुए बायीं आंख के पके हुए मोतियाबिंद का उपचार कराने मित्तल हॉस्पिटल आया था। रोगी और उनकी पत्नी ने दायीं आंख की दृष्टि वापस आने को अद्भुत बताया।
नागौर जिले के परबतसर निवासी 69 वर्षीय फौजी ने बताया कि वे अपनी दायीं आँख से देखने में असमर्थ थे। फौज में बीस साल की नौकरी की। कभी दिक्कत नहीं आई। तब दोनों आंखें दुश्मन पर दूर से ही नजर साध लेती थीं। सेवानिवृत्त हुए भी पच्चीस बरस हो गए। पिछले 8 से 10 साल से दायीं आँख से तो दिखना बंद हो गया। बायी आंख में भी मोतियाबिंद होने से कुछ भी देख नहीं पा रहे थे। अनेक नेत्र चिकित्सा संस्थानों में जाकर दिखाया किन्तु सभी हॉस्पिटल में उनकी दृष्टि संबंधी शिकायत पर गंभीर होकर ध्यान नहीं दिया। नेत्र चिकित्सक उनकी दायीं आंख का इलाज करने की बात ही नहीं करते थे, रोगी ने बताया कि वे अपनी दायीं आंख की रोशनी खोना मानते हुए मित्तल हॉस्पिटल में नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ गोपाल दमानी से बायीं आंख में पके मोतियाबिंद का उपचार लेने पहुंचे थे। यहां जांच के दौरान डॉक्टर दमानी ने ही उन्हें बताया कि उनकी दायीं आंख की रोशनी भी उपचार करने पर वापस आ सकती है।
डॉ गोपाल दमानी के अनुसार रोगी की जांच में पता चला कि मरीज को केवल प्रकाश का बोध हो रहा था और मरीज की दायीं आंख के आईरिस और लेंस में कोलोबोमा था, साथ ही मरीज की दायीं आंख में बहुत कठोर मोतियाबिंद था। मोतियाबिंद के कारण धुंधला ऑप्टिकल मीडिया होने से उसका रेटिना दिखाई नहींं दे रहा था। मरीज को उसकी दायीं आंख के विकास में असामानता के बारे में परामर्श दिया गया और उसकी दायीं आंख की अल्ट्रासाउंड जांच की गई, जिसमें रेटिना और कोरॉइड में भी कोलोबोमा पाया गया। रोगी को उसकी दाहिनी आंख के विकास संबंधी दोष के बारे में बताया गया और उसका निदान दाहिनी आंख के कोलोबोमा विद कैटरेटा नियाग्रा के रूप में किया गया और रोगी को संरक्षित दृश्य निदान के तहत मोतियाबिंद की सर्जरी कराने की सलाह दी गई।
रोगी की दाहिनी आंख की मोतियाबिंद की सफल सर्जरी हुई और वह घर चला गया। एक सप्ताह के फॉलोअप पर, रोगी दृष्टि छह/बारह हो गई थी और उसकी रेटिना की जांच में ऑप्टिक डिस्क और मैक्युला को छोड़कर रेटिना—कोरॉइडल कोलोबोमा दिखा। इसलिए रोगी की दृष्टि अच्छी थी। रोगी और उनकी पत्नी बेहद खुश थे। उन्होंने डॉ गोपाल दमानी और मित्तल हॉस्पिटल का धन्यवाद किया। हॉस्पिटल की सुविधाओं की प्रशंसा की।
निदेशक डॉ दिलीप मित्तल ने बताया कि एक ही छत के नीचे मल्टी सुपरस्पेशियलिटी आधुनिक चिकित्सा सेवा और सुविधाओं की उपलब्धता से संभागवासी गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा लाभ प्राप्त कर रहे हैं। मित्तल हॉस्पिटल केंद्र सरकार (सीजीएचएस), राजस्थान सरकार, (आरजीएचएस) व रेलवे कर्मचारियों एवं पेंशनर्स, भूतपूर्व सैनिकों ईसीएचएस, ईएसआईसी सहित सभी टीपीए द्वारा उपचार के लिए अधिकृत है। मित्तल हॉस्पिटल में मुख्यमंत्री आयुष्मान आरोग्य स्वास्थ्य बीमा योजना के अन्तर्गत सभी सुपरस्पेशियलिटी स्वास्थ्य सेवाओं में सर्जरी की सुविधा उपलब्ध होने से रोगियों को बड़े से बड़े और गंभीर रोगों का उपचार स्थानीय स्तर पर मिल पा रहा है।
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