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सेवक बनकर प्रभु के चरणों में अपनी उपस्थिति लगानी चाहिए : स्वामी अशोकानन्द

सेवक बनकर प्रभु के चरणों में अपनी उपस्थिति लगानी चाहिए : स्वामी अशोकानन्द

श्री रामकथा व रामलीला के दूसरे दिन राम जन्मोत्सव पर श्रद्धालुओं में बांटी मिठाइयां

अजमेर (अजमेर मुस्कान)। बाबा ईसरदास साहिब के शताब्दी महोत्सव पर ईश्वर मनोहर उदासीन आश्रम में चल रही श्री रामकथा व राम लीला मंचन का दूसरे दिन श्रद्धालुओं ने उपस्थित होकर आनन्द प्राप्त किया। संतों के साथ श्रद्धालुओं ने भगवान श्रीराम व हनुमान जी की आरती की एवं सभी कलाकारों का भी अभिनन्दन किया गया। महिला श्रद्धालुओं ने झूमकर नृत्य कर माहौल को धार्मिक मय बना दिया। आश्रम में ही चल रहे रामायण का मूल पाठ का विधिवत पूजन कर 21 ब्राहमणों द्वारा पाठ का किया गया। महामण्डलेश्वर हंसराम उदासीन, महंन्त स्वरूपदास, महन्त हनुमानराम व संत महात्माओं के सानिध्य में धार्मिक आयोजन हो रहे हैं।

श्रीराम कथा में हुये धार्मिक प्रसंग

स्वामी अशोकानन्द ने श्रीराम कथा के प्रसंग सुनाते हुए कहा कि श्रीराम के कथा का प्रसंग सुनाते हुए कहां की प्रभु चरित्र सुनबे को रसिया, भगवान श्रीराम की कथा का श्रवण करने के लिए जहां राम कथा होती है वहां पर हनुमान जी भी उपस्थित रहते हैं. उन्होंने कहा कि जहां राम का पता है वहीं हनुमान जी का भी पता है, राम कथा यह सिखाती है की सेवा दिखाई देनी चाहिए सेवक नहीं दिखना चाहिए जिस प्रकार शबरी दिखाई नहीं देती शबरी की सेवा दिखाई देती है उसी प्रकार सेवा का महत्व बहुत बड़ा होता है।

रामलीला का मंचन

संत गौतम सांई ने बताया कि रामलीला का मंचन उतरप्रदेश वृन्दावन से श्री करूणामयी रामलीला मण्डल के कलाकार व पण्डित द्वारा रामलीला में रामजन्म पर खुशियां बांटी वहीं भगवान श्रीराम के जन्म से अयोध्या नगरी पावन हो गई है।

अन्न क्षेत्र की सेवा निरंतर जारी 

आश्रम के बाहर आमजन व श्रद्धालुओं के लिये निरंतर अन्नक्षेत्र की सेवा चल रही है। सेवा के लिये मोहनलाल लालवाणी, हेमलता खत्री, कुमकुम छताणी सहित सेवादारी सहयोगी है। 11 जनवरी तक श्रीराम कथा ज्ञान यज्ञ व रामलीला का मंचन निरंतर जारी रहेगा। 11 व 12 जनवरी को देश भर से आये संत महात्माओं का धर्म संसद व संत दर्शन के साथ 13 जनवरी को यज्ञ अनुष्ठान, संत आर्शीवाद, समाधि पूजन, आरती प्रार्थना, पल्लव का आयोजन किया जायेगा।

समारोह में किशनगढ़ से महन्त श्यामदास, सतना महन्त खिमयादास, रीवा से स्वामी हंसदास, संत स्वरूपदास, सहित अजमेर के श्रीराम विश्वधाम के महन्त अर्जुनदास, तुलसी किशनधाम के स्वामी ईसरदास, संतदास, मनोहरदास, प्रकाश जेठरा, कवंल प्रकाश किशनानी, महेन्द्र कुमार तीर्थाणी, नरेन शाहणी भगत, शंकर सबनाणी, कन्हैयालाल खानचंदाणी, राजू किशनानी, नरेन्द्र बसराणी, घनश्याम आडवाणी, वर्षा बादलाणी, रिया ज्ञानाणी, वीना बदलाणी, हरिकिशन टेकचंदाणी, रूकमणी वतवाणी, भीष्म मोदियाणी, प्रकाश मूलचंदाणी, अजीत पमनाणी, रमेश मूलचंदाणी, राम बालवाणी, दीपक बालाणी, रमेश कलयाणी, के.टी. वाधवाणी, भगवान साधवाणी, चन्द्रप्रकाश भगत सहित वीसनगर, कोटा, जोधपुर, जयपुर, अहमदाबाद, भीलवाड़ा कार्यकर्ता उपस्थित थे।

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