जन्म-मृत्यु का शत प्रतिशत पंजीयन सुनिश्चित करें : मल्लिक
राजकीय संस्थानों से जारी प्रमाण पत्र भी है मान्य
अजमेर (अजमेर मुस्कान)। जनगणना कार्य निदेशालय के संयुक्त महारजिस्ट्रार एवं निदेशक बिष्णु चरण मल्लिक ने मंगलवार को विभागीय अधिकारियों की बैठक लेकर जन्म-मृत्यु पंजीयन के संबंध में विस्तृत चर्चा की। जिला कलेक्टर लोक बन्धु ने जिले में कार्यरत रजिस्ट्रेशन ईकाईयों एवं उनके द्वारा जारी किए जाने वाले प्रमाण-पत्रों के बारे में चर्चा की।
आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग के सहायक निदेशक भरत कुमार जोशी ने बताया कि जनगणना कार्य निदेशालय के संयुक्त महारजिस्ट्रार एवं निदेशक बिष्णु चरण मल्लिक ने बैठक में कहा कि जन्म एवं मृत्यु प्रमाण-पत्र रजिस्ट्रार एवं उप रजिस्ट्रार द्वारा जारी किया जाता है। दोनों स्तरों से जारी प्रमाण-पत्रों की समान वैद्यता है। राजकीय चिकित्सालयों के द्वारा जारी प्रमाण-पत्रों का किसी अन्य स्थान पर से पुनः पंजीकरण कराना आवश्यक नहीं है। इसलिए नगर निगम, नगर परिषद अथवा नगर पालिका में से इसको पुनः प्राप्त करना गैर जरूरी है। निजी चिकित्सालयों के द्वारा नगरीय निकायों को आवेदन भेजा जाता है। यहां पर हुए जन्म एवं मृत्यु के प्रमाण-पत्र नगर निगम, नगर परिषद, नगर पालिका के द्वारा जारी किए जाएंगे।
उन्होंने कहा कि जिले के समस्त निजी चिकित्सालयों की पहचान पोर्टल पर मैपिंग आवश्यक है। इस संबंध में ब्लॉक मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी प्रमाण-पत्र देंगे। उप स्वास्थ्य केन्द्रों पर जन्में बच्चों के जन्म प्रमाण-पत्र ग्राम विकास अधिकारी संस्थागत प्रसव के रूप में पंजीकृत करेंगे। इसी प्रकार मृत्यु प्रमाण-पत्र जारी करते समय उसमें मृत्यु का कारण भी दर्शाना चाहिए। मृत बच्चें के जन्म की सूचना चिकित्सक द्वारा अपडेट की जाए। साथ ही एक वर्ष से कम आयु के बच्चों के भी मृत्यु प्रमाण-पत्र जारी होने चाहिए।
उन्होंने कहा कि संशोधित नागरिकता अधिनियम लागू होने के पश्चात पात्र व्यक्तियों को नागरिकता दी जा रही है। उनकी नागरिकता के डिजीटल प्रमाण-पत्र की जांच क्यूआर कोड के माध्यम से की जा सकती है। बैठक में उन्होंने जन्म-मृत्यु रजिस्ट्रीकरण इकाइयों का निरीक्षण, जन्म-मृत्यु रजिस्ट्रेशन के लक्ष्य को शत-प्रतिशत प्राप्ति के लिए रोडमैप, जिले में संस्थाओं में एमसीसीडी रिपोर्टिंग सुविधाओं, एमसीसीडी की स्थिति एवं सुधार के लिए प्रयास, ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन इकाइयों की मॉनिटरिंग, मुख्य रजिस्ट्रार (जन्म मृत्यु) तथा चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के जन्म तथा मृत्यु आंकड़ों में अंतर को न्यूनतम करने, सीआरएस दरों (जन्म एवं मृत्यु दर) की समीक्षा, फर्जी प्रमाण-पत्र की रोकथाम एवं सुरक्षा उपाय, जिला कलक्टर की मासिक बैठक में सीआरएस विषय को शामिल करने को लेकर चर्चा की गई।
आमजन को जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र प्राप्त करने में न आए कठिनाई
संयुक्त महारजिस्ट्रार एवं निदेशक मल्लिक ने कहा कि जन्म और मृत्यु की घटनाओं का शत- प्रतिशत पंजीयन किया जाए। असंस्थागत जन्म और मृत्यु को भी गंभीरता से लेते हुए उसका अनिवार्य पंजीयन करें। इस कार्य में ग्राम स्तर पर ग्राम विकास अधिकारी, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और आशा सहयोगिनी समन्वय रखते हुए सूचनाएं साझा करें और पंजीयन सुनिश्चित करवाएं।
मल्लिक ने कहा कि जन्म का पंजीकरण एक व्यक्ति की कानूनी पहचान को प्रमाणित करता है। यह व्यक्ति को सरकारी और गैर सरकारी सेवाओं का लाभ उठाने, जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में शामिल होने में मदद करता है। जन्म और मृत्यु का पंजीकरण सुनिश्चित करता है कि व्यक्ति या उसके परिवार को सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ सही तरीके से मिल सके। जनसंख्या के आंकड़े एकत्र करने में पंजीकरण की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यह डाटा नीति निर्माण, स्वास्थ्य योजनाओं और जनसंख्या नियंत्रण कार्यक्रमों को बनाने में उपयोगी होता है। देश में हर जन्म और मृत्यु का पंजीकरण यह सुनिश्चित करता है कि नागरिकों को उनके अधिकार मिल सके और सरकार को उनके जीवन स्तर में सुधार लाने के लिए आवश्यक जानकारी उपलब्ध हो।
मल्लिक ने कहा कि सरकारी अस्पताल जन्म प्रमाण पत्र जारी करें और उन्हें अनावश्यक नगरीय निकायों के पास न भेजें। सरकारी अस्पतालों में भी उप पंजीयक कार्यरत है जो प्रमाण पत्र दे सकते हैं। इसके अलावा निजी चिकित्सालयों द्वारा भी शत प्रतिशत जन्म-मृत्यु की सूचना समय पर उपलब्ध कराई जाए और ऑनलाइन डाटा समय पर अपलोड किया जाए। उन्होंने जन्म-मृत्यु रजिस्ट्रेशन अधिनियम (संशोधित), 2023 की सभी को जानकारी दी। उन्होंने कहा कि नियमों के संबंध में आमजन को जागरूक किया जाए।
इस अवसर पर जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अभिषेक खन्ना, अतिरिक्त जिला कलक्टर ज्योति ककवानी सहित विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।
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