अजमेर (अजमेर मुस्कान)। मानसिक रूप से अक्षम, दिव्यांग एवं बच्चों के लिए नालसा द्वारा गठित नवीन योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए गठित की गई विशेष विधिक सेवा समिति के दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन शुक्रवार को किया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम में मुख्य रूप से समिति सदस्य सौरभ चौहान चीफ, भंवर वीरेन्द्र सिंह राठौड़ डिप्टी लीगल एड डिफेंस काउसिंल, अजमेर, पैनल अधिवक्तागण एवं पैरालीगल वोलेंटियर्स द्वारा भाग लिया गया।
प्रशिक्षण कार्यक्रम के दूसरे दिन जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव महेन्द्र कुमार ढाबी ने बच्चों के लिए बाल मैत्रीपूर्ण विधिक सेवा समिति के बारे में संपूर्ण जानकारी दी। उक्त स्कीम का मुख्य लक्ष्य बाल अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र संगठन के 1969 के कन्वेंशन के उद्देश्यों को प्राप्त करना है। बच्चों को उनके बाल अधिकारों के बारे में जानकारी एवं कोई का भी बालक कानूनी, आर्थिक एवं मनोवैज्ञानिक सहायता से वंचित न रहे यही समिति का मुख्य उद्देश्य है। समिति का एक मुख्य उद्देश्य ऎसे बालकों को मुख्य रूप से चिन्हित करना भी है जो दिव्यांग है एवं उचित संसाधनों के अभाव में न्याय से वंचित रह जाते है। ऎसे बच्चों को शारीरिक एवं मानसिक अपरिपक्वता के आधार पर देखभाल एवं सुरक्षा प्रदान करवाना भी है।
उन्होंने बताया कि विधिक सहायता के मामलो में बच्चों का व्यसकों से संवाद न कर पाना भी मुख्य बाधा है इस पर समिति स्वयं के स्तर पर एवं पुलिस अधिकारियों के साथ मिलकर एक मैत्रीपूर्ण माहौल का निर्माण करेगी। साथ ही ऎसे बालक जिन पर आरोप है परंतु साबित नहीं है उन्हें समाज द्वारा दोषी मान लेना भी बच्चों के मन मे द्वेष एवं कुंठित भावना का जन्म हो जाता है। ऎसे में समिति यह निश्चित करेगी की बालकों के लिए गरिमापूर्ण वातावरण का निर्माण हो, उनकी निजता एवं गोपनीयता का पूर्णतः ध्यान रखा जाऎं। दिव्यांग बच्चों के पूर्ण आवास, सामाजिक उत्थान एवं उनकी क्षमताओं के विकास के लिए भी समिति उचित कदम उठाएगी ताकि उनकी शारीरिक कमजोरी एवं जरूरतों को समझकर सर्वांगीण विकास किया जा सके।
उन्होंने बताया कि समिति का गठन जिला स्तरीय एवं तालुका दोनो स्तरों पर किया गया है। समिति के पैनल अधिवक्ता एंव लीगल एड डिफेंस काउंसिल इस बात का मुख्य रूप से ध्यान रखेगी कि दिव्यांग बालकों के सुनवाई के अधिकार की रक्षा संपूर्ण तरीके से हो एवं उनके माता-पिता या अभिभावकों को भी इस सम्बन्ध में पूर्णतः ध्यान हो। साथ ही न्यायालय के आदेश को सुगमता से समझने एवं उन निर्णयों की अपील एवं संशोधन के रास्ते में बताए जाए। बाल गवाहों पर पूर्णतः ध्यान रखा जावें। उक्त सदस्यों का त्रैमासिक रूप से प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किया जाएगा। साथ ही विधिक सेवा प्राधिकरण हेल्पलाईन नं. 15100 के बारे में भी विस्तृत जानकारी दी गई।
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