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अजयमेरु प्रेस क्लब : अदालत ने दो पूर्व महासचिवों की बर्खास्तगी को सही ठहराया

अजयमेरु प्रेस क्लब : अदालत ने दो पूर्व महासचिवों की बर्खास्तगी को सही ठहराया

अजमेर (अजमेर मुस्कान)।
न्यायालय सिविल न्यायाधीश अजमेर नगर उत्तर के न्यायाधीश यश बिश्नोई ने नवाब हिदायत उल्ला और आनंद कुमार शर्मा के अजयमेरु प्रेस क्लब के सत्र 2025 की चुनावी प्रक्रिया में शामिल करने के प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया है। दोनों ने अदालत से अपील की थी कि उनकी सदस्यता समाप्त करने और चुनाव प्रक्रिया से  रोकने का प्रयास किया जा रहा है। इससे उन्हें अपूर्णीय क्षति होगी।

नवाब हिदायत उल्ला और आनंद कुमार शर्मा ने अपने वकील राजेश गुलखंडिया के जरिए प्रार्थना पत्र पेश कर आरोप लगाया था कि वैशाली नगर पेट्रोल पम्प के पीछे स्थित अजयमेरु प्रेस क्लब में वे दोनों महासचिव रहे है। उन्हें क्लब में आने से रोका जा रहा है। उनकी सदस्यता भी समाप्त करने का प्रयास किया जा रहा है। यह सब दिसम्बर में प्रस्तावित चुनाव प्रक्रिया में उन्हें शामिल होने से रोकने के लिए हो रहा है। अदालत ने अजयमेरु प्रेस क्लब के अध्यक्ष राजेन्द्र गुंजल और महासचिव सत्यनारायण जाला को नोटिस जारी किए।

अजयमेरु प्रेस क्लब की ओर से एडवोकेट हेमंत विजयवर्गीय ने अदालत को बताया कि दोनों ने अजयमेरु प्रेस क्लब से मिलते-जुलते नाम अजमेर प्रेस क्लब का गठन कर लिया है, जिसमें नवाब हिदायत उल्ला सचिव और आनंद कुमार शर्मा उपाध्यक्ष है। समान उद्देश्य के लिए गठित प्रेस क्लब का सदस्य पत्रकार अजयमेरु प्रेस क्लब का सदस्य नहीं रहा सकता। दोनों ने क्लब की ओर से भेजे गए नोटिस का गलत व मिथ्या कथन करते हुए जवाब दिया। इसकी जांच की गई और जांच में यह प्रमाणित पाया कि दोनों ने नया क्लब बना लिया है। क्लब की कार्यकारिणी ने  12 नवम्बर, 2024 को दोनों की सर्वसम्मति से सदस्यता समाप्त कर दी है। इसलिए वार्षिक चुनाव में भाग लेने का कोई विधिक अधिकार नहीं है और ना ही उनके विधिक अधिकार का हनन होगा। दोनों ने तथ्यों को छुपाकर अदालत में वाद पेश किया है, जो खारिज किए जाने योग्य है। एडवोकेट हेमंत विजयवर्गीय ने अजयमेरु प्रेस क्लब के विधान की नियमावली का हवाला देते हुए अदालत को बताया कि निलंबित व निष्कासित सदस्य को प्रेस क्लब की गतिविधियों में भाग लेने अथवा मताधिकार का प्रयोग करने का अधिकार नहीं है। वाद व प्रार्थना पत्र प्री-मैच्योर होने के कारण निरस्त करने योग्य है। उन्होंने ने जवाब के साथ अदालत में कई दस्तावेज भी पेश किए।

दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद  न्यायाधीश ने अपने फैसले में कहा कि 12 नवम्बर, 2024 को अजयमेरु प्रेस क्लब की कार्यकारिणी ने जो निर्णय किया उससे न्यायालय इस स्तर पर असहमत नहीं है। कार्यकारिणी उक्त निर्णय लेने हेतु अपने संविधान से बाध्य होकर किसी ऐसे सदस्य की सदस्यता को समाप्त करने हेतु स्वतंत्र भी है। संविधान में यह भी अंकित है कि चुनाव लडने एवं वोट देने का अधिकार केवल सक्रिय सदस्य का ही है। इस न्यायालय को कार्यकारिणी की बैठक में लिए गए निर्णय में हस्तक्षेप करना न्यायोचित प्रकट नहीं होता है। स्पष्ट कि नवाब  हिदायत उल्ला और आनंद कुमार शर्मा अजयमेरु क्लब के सक्रिय सदस्य नहीं रहे है। इसलिए दोनों चुनाव प्रक्रिया में भाग लेने की अनुमति दिया जाना उचित प्रतीत नहीं होता है। दोनों अपने पक्ष को प्रमाणित करने में असफल रहे है।

दोनों ने अपने प्रार्थना पत्र में अदालत को बताया था कि चुनाव प्रक्रिया में शामिल नहीं करने से उन्हें सुविधा का संतुलन और अपूर्णीय क्षति होगी। अदालत ने इस बिन्दु पर अपने फैसले में कहा कि चूंकि दोनों अब अजयमेरु प्रेस क्लब के सक्रिय सदस्य नहीं रहे ऐसे में उन्हें चुनाव प्रक्रिया 2025 में भाग लेने दिया जाता है तो इन दोनों की बजाय अजयमेरु प्रेस क्लब को अधिक असुविधा होकर अपूर्णीय क्षति होगी। यह दोनों बिन्दु भी प्रार्थीगण के विरूद्ध तय किए जाते है। अदालत ने दोनों का प्रार्थना पत्र अस्वीकार कर खारिज कर दिया।

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