अजमेर (अजमेर मुस्कान)। रबी के दौरान गेंहू की फसल में होने वाली पीली रोली रोग के कीट का प्रबन्धन करने के लिए कृषि विभाग द्वारा परामर्शिका जारी की गई है।
कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक शंकर लाल मीणा ने बताया कि पीली रोली रोग में पत्तियों का रंग फीका पड़ जाता है व उन पर बहुत छोटे पीले बिन्दु नुमा फफोले उभरते है। पूरी पत्ती पीले रंग के पाउडरनुमा बिन्दुओं से ढक जाती है। पत्तियों पर पीले से नारंगी रंग की घारियों आमतौर पर नसों के बीच के रूप में दिखाई देती है। संक्रमित पत्तियों को छूने पर सँगलियों और कपडो पर पीला पाउडर या धूल लग जाती है। पहले यह रोग खेत में 10-15 पौधों पर एक गोल दायरे के रूप में शुरू हो कर बाद में पूरे खेत में फैलता है। ठंण्डा और आद्र मौसम परिस्थिति, जैसे 6 से 18 डीग्री सेल्सियस तापमान, वर्षा, उच्च आद्रता, ओस, कोहरा, इत्यादि इस रोग के विकारों को बढ़ावा देते है।
उन्होंने बताया कि इसके प्रबंधन के लिए विभाग द्वारा उपाय सुझाये गये है। खेत में जल जमाव न होने, नाईट्रोजनयुक्त उर्वरको के अधिक प्रयोग से बचने एवं विभागीय सिफारिशानुसार ही उर्वरक एवं कीटनाशक की मात्रा का उपयोग करनें की सलाह कृषको को दी जाती है। माह जनवरी-फरवरी में फसल का नियमित रूप से निरीक्षण करे एवं किसी भी लक्षण के संदेह में आने पर संबंधित पादप रोग विशेषज्ञ, कृषि विज्ञान केन्द्र, कृषि विश्वविद्यालय से संपर्क कर रोग की पुष्टी करावें क्योकि कभी-कभी पत्तियों का पीलापन रोग के अन्य कारण भी हो सकते हैं।
उन्होंने बताया कि रोग की पुष्टी होने पर संक्रमित पौधों के समूह को एकत्र करके नष्ट करे एवं अविलम्ब संक्रमित क्षेत्र में विभागीय सिफारिशानुसार कवकनाशी रसायनों का मौसम साफ होने पर खड़ी फसल में छिड़काव एवं भूरकाव कर नियंत्रण करे। कीट व्याधि का प्रकोप आर्थिक हानि स्तर से अधिक होने पर कृषकों को अविलंब अनुदान पर विभाग द्वारा पौध संरक्षण रसायन उपलब्ध करवाते हुए कीट-व्याधि का नियंत्रण व प्रबंधन किया जाए।
0 टिप्पणियाँ