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वृद्धा के पेट से निकाले 3 सेंटीमीटर लम्बे दो नुकीले मछली के कांटे

वृद्धा के पेट से निकाले 3 सेंटीमीटर लम्बे दो नुकीले मछली के कांटे

मित्तल हॉस्पिटल के गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट डॉ ऋषभ कोठारी ने किया उपचार


अजमेर (अजमेर मुस्कान)।
अजमेर के डिग्गी बाजार ट्राम्बे स्टेशन की रहने वाली एक वृद्ध महिला के पेट से 3 सेंटीमीटर लम्बे दो नुकीले मछली के कांटे मित्तल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के सीनियर गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट डॉ ऋषभ कोठारी ने निकाल दिए। मछली के यह कांटे वृद्धा के पेट में घाव कर रहे थे और वह गहराई में फंसे हुए थे। वृद्धा पेट दर्द के साथ इंफेक्शन और लगातार डकार आने की शिकायत लेकर जांच के लिए मित्तल हॉस्पिटल पहुंची थी।

सीनियर गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉ ऋषभ कोठारी द्वारा वृद्धा की एण्डोस्कोपिक जांच में यह खुलासा हुआ कि उसके पेट में मछली के कांटे फंसे हुए हैं जिससे पीड़ित की जान जोखिम में पड़ सकती है। डॉ कोठारी ने बताया कि इन कांटों को समय रहते निकालने से वृद्धा को राहत मिल गई अन्यथा यदि यह कांटे उनके पेट में आर—पार घाव कर देते तो उनका जीवन जोखिम में पड़ सकता था।

उन्होंने बताया कि वृद्धा पिछले एक सप्ताह से पीड़ा में थी। लगातार डकार आने व पेट में दर्द रहने को वह समझ नहीं पा रही थी। वृद्धा के लिए चाय पीना भी दुश्वार हो गया था। एंडोस्कोपी जांच में पाया गया कि वृद्धा के पेट में सिंघाड़ा मछली के कांटे काफी गहराई से धंसे हुए हैं। उन्होंने बताया कि इन कांटों को बहुत ही तकनीक से पूर्ण सावधानी और धैर्य बरतते हुए बाहर निकाला गया। कांटे बाहर निकालते समय वह आड़ा होने पर पीड़ित के भोजन नली और पेट को नुकसान पहुंचा सकता था। कांटों को खास तकनीक कैप असिस्टेड एंडोस्कोपिक रिमूवल (कैप की मदद से एंडोस्कोपिक निष्कासन) से निकाला गया। कांटा पेट से बाहर आते ही  वृद्धा को निरंतर डकार आना बंद हो गई और वह सामान्य दिनचर्या बिताने लगी। वृद्धा के पेट से कांटे निकालने के बाद भी उनको निरंतर निगरानी में रखा गया। उपचार के दौरान नर्सिंग तकनीशियन रामकिशोर, कैलाश और वसीम का सराहनीय योगदान रहा।

पीड़ित महिला ने बताया कि सर्दिया पड़ना शुरू होने पर वह हर दो दिन छोड़ कर मछली का सेवन करने लगी थी। वृद्धा को यह ध्यान नहीं कि उसने मछली के साथ कांटे का सेवन कब किया। वृद्धा ने बताया कि वह भोजन अथवा नाश्ता करती तो उसे बहुत ही परेशानी होने लगी थी। लगातार डकार आने से चाय पीना भी मुश्किल हो रहा था। वह चैन से नहीं बैठ पा रही थी। सारे घरेलू उपाय किए पर राहत नहीं मिली।  मित्तल हॉस्पिटल में डाक्टर को दिखाने पर यहां डॉक्टर ऋषभ कोठारी ने जांच कर उन्हें पेट में मछली का कांटा होने की जानकारी दी फिर उससे होने वाली तकलीफ की गंभीरता को बताया गया। पीड़ित महिला के पुत्र जितेन्द्र ने कहा कि माताजी की सहमति से कांटे को एंडोस्कोपी कर निकाल दिया गया।

उल्लेखनीय है मित्तल हॉस्पिटल में पेट व उदर रोग संबंधित विभाग में सभी तरह की जांच एवं उपचार की सुविधाएं आधुनिक उपकरणों के साथ उपलब्ध हैं। रोगियों को केंद्र व राज्य सरकार की सभी चिकित्सा सुविधा योजनाओं के तहत उपचार प्रदान किया जा रहा है।

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