अजमेर (अजमेर मुस्कान)। फेफड़ों की बीमारियों के इलाज और प्रबंधन के लिए नई तकनीकों पर चर्चा करने के उद्देश्य से कोयंबटूर में नेशनल कॉन्फ्रेंस ऑन पल्मोनरी डिजीजेज़ का आयोजन किया गया। सम्मेलन में सीओपीडी क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज और अस्थमा जैसी गंभीर श्वसन समस्याओं के इलाज और उनकी प्रभावी जांच के बारे में विस्तृत चर्चा की गई।
इस सम्मेलन में जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के श्वसन विभाग के सह आचार्य डॉ. पियूष अरोड़ा भी शामिल हुए। उन्होंने श्वसन रोगों के इलाज में फेफड़ों के पुनर्वास की अहम भूमिका पर प्रकाश डाला। डॉ. अरोड़ा ने कहा कि यह पुनर्वास कार्यक्रम सीओपीडी और अस्थमा जैसे गंभीर रोगों से पीड़ित मरीजों के लिए एक वरदान साबित हो सकता है।
उन्होंने अपने संबोधन में बताया, पुनर्वास के माध्यम से मरीज न केवल अपनी श्वसन क्षमता में सुधार कर सकते हैं, बल्कि मानसिक और शारीरिक रूप से भी अधिक मजबूत बन सकते हैं। यह प्रक्रिया उन मरीजों को आत्मनिर्भर बनाने में मदद करती है, जो श्वसन रोगों के अंतिम चरण में हैं।
फेफड़ों का पुनर्वास एक समग्र उपचार प्रक्रिया
डॉ. अरोड़ा ने बताया कि फेफड़ों का पुनर्वास एक समग्र उपचार प्रक्रिया है, जिसमें श्वसन क्षमता में सुधार लाने के लिए श्वास संबंधी व्यायाम, शारीरिक व्यायाम, पोषण संबंधी परामर्श और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार के लिए काउंसलिंग शामिल होती है।
उन्होंने यह भी बताया कि गंभीर श्वसन रोगों से जूझ रहे मरीजों के लिए नियमित रूप से किए जाने वाले व्यायाम और पुनर्वास गतिविधियों के माध्यम से उनकी जीवन गुणवत्ता में सुधार संभव है। यह न केवल उनके शारीरिक लक्षणों को कम करता है, बल्कि मानसिक रूप से भी मरीजों को सशक्त बनाता है।
सम्मेलन में सभी विशेषज्ञों का एकमत निर्णय
सम्मेलन में भाग लेने वाले सभी विशेषज्ञों ने इस बात पर सहमति जताई कि फेफड़ों का पुनर्वास गंभीर श्वसन रोगों के इलाज में एक अत्यंत प्रभावी और लाभकारी उपाय है। उनका मानना है कि यह कार्यक्रम रोगियों की शारीरिक क्षमता को सुधारने, उनके मानसिक स्वास्थ्य को सशक्त बनाने और उनकी जीवन गुणवत्ता को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस सम्मेलन में यह निष्कर्ष निकला कि फेफड़ों का पुनर्वास गंभीर श्वसन रोगियों के इलाज और जीवन गुणवत्ता सुधारने के लिए एक अनिवार्य और अत्यधिक लाभकारी प्रक्रिया है। सभी विशेषज्ञों ने एकमत होकर यह स्वीकार किया कि उचित चिकित्सा देखभाल, नियमित व्यायाम और पुनर्वास कार्यक्रमों के माध्यम से मरीज अपनी शारीरिक और मानसिक स्थिति में सुधार ला सकते हैं।
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