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लेप्रोस्कोपिक सर्जरी ज्यादा कारगर : डॉ. गोयल

लेप्रोस्कोपिक सर्जरी ज्यादा कारगर : डॉ. गोयल

अजयमेरु प्रेस क्लब, नारायणा हाॅस्पिटल, लायंस क्लब आस्था व जैन महिला मंडल की ओर से आयोजित स्वास्थ्य परिचर्चा में उमड़े श्रोता

अजमेर (अजमेर मुस्कान)। ओपन की बजाय आज लेप्रोस्कोपिक सर्जरी हर तरह से लाभप्रद है। यह प्रत्येक अंग की किसी भी तरह की सरल व जटिल हर तरह की सर्जरी में कारगर साबित हो रही है। यह बात नारायणा मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल, जयपुर से आये लेप्रोस्कोपिक, लेज़र व जनरल सर्जरी विशेषज्ञ डॉ. आशीष गोयल ने अजयमेरु प्रेस क्लब, नारायणा हॉस्पिटल, लाइंस क्लब आस्था तथा जैन महिला मंडल के संयुक्त तत्वावधान में होटल लेक विनोरा में आयोजित स्वास्थ्य परिचर्चा में कही। उपर्युक्त सभी संस्थाओं से जुड़े प्रबुद्ध लोगों के बीच अपने उद्बोधन में डॉ. गोयाल ने स्पष्ट किया कि हमें जागरूक होने की जरूरत है। यह सिर्फ भ्रांति है कि लेप्रोस्कोपिक पद्धति से किए  गए ऑपेरशन फायदा नहीं करते, या उनसे कोई शारीरिक नुकसान होता है, अथवा सर्जरी के बाद उपकरण शरीर में ही छूट जाने की दुर्घटनाएं होती हैं। उन्होंने बताया कि यह समझना बहुत जरूरी है कि लेप्रोस्कोपिक सर्जरी भले ही वर्तमान में थोड़ी महंगी होती है, मगर ओपन सर्जरी की तुलना में यह दर्द रहित है, समय कम लगता है, आपरेशन के बाद एक-दो दिन में ही अस्पताल से छुट्टी मिल जाती है ।  व्यक्ति जल्दी रिकवर होकर काम पर लौट जाता है; जबकि ओपन सर्जरी में कई कई दिन अस्पताल में तो भर्ती रहना पड़ता ही है । साथ ही अस्पताल से छुट्टी के बाद भी लंबे समय तक घर पर ही रह कर खुद की केअर करनी पड़ती है। लेप्रोस्कोपिक से शरीर पर टांकों के बड़े बड़े निशान भी नहीं दिखते, जो अक्सर ओपन सर्जरी के बाद शरीर पर दिखाई देते हैं। डॉ. गोयल ने ऑडियो वीडियो प्रस्तुति के माध्यम से लेप्रोस्कोपिक सर्जरी से जुड़े उपकरणों का भी डेमो दिया।

इस मौके पर नारायणा अस्पताल से ही जुड़े मस्तिष्क व तंत्रिका विशेषज्ञ डॉ. वैभव माथुर ने शरीर के विभिन्न अंगों में होने वाली नसों सम्बन्धी समस्याओं तथा उनकी पहचान के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने माइग्रेन व अन्य प्रकार के सिर दर्द में अंतर बताए। उन्होंने चक्कर आने की आम समस्या को बड़े आसान तारीके से समझाते हुए कहा कि हमें समझना होगा कि हमारे सिर के चकराने की प्रकृति क्या है। यदि हमें सामने उपस्थित वस्तुएं घूमती दिख रही हैं तो सजग होकर न्यूरो फिजिशियन को दिखाना  चाहिए । अगर आप स्वयं चक्कर खा कर अपना बेलेंस खो रहे हैं तो सबसे पहले ईएनटी विशेषज्ञ को दिखाएं। उन्होंने कहा कि अक्सर कान की व्याधि के कारण चक्कर आते हैं, लेकिन लोग जनरल।फिजिशियन या न्यूरो फिजिशियन के यहां चक्कर लगाते हैं। उन्होंने पैरों में होने वाली झनझनाहट, हाथ व पंजों में होने वाली सुन्नता तथा विकारों के कारण व प्रिकॉशन पर विस्तार से जानकारी दी।

इस दौरान उपस्थित लोगों के सवालों के जवाब देकर अनेक शंकाओं का समाधान भी दोनों विशेषज्ञ चिकित्सकों ने किया। अनेक लोगों ने अपनी निजी स्वाथ्य समस्याओं के लिए भी उनसे परामर्श लेकर लाभ उठाया ।

इस मौके लायंस क्लब आस्था के सचिव राजेश चौधरी, जैन महिला मंडल की अध्यक्ष शिल्पा जैन तथा अजयमेरु प्रेस क्लब के अध्यक्ष राजेन्द्र गुंजल ने माल्यार्पण कर व शॉल ओढ़ा  कर स्मृति चिह्न भेंट कर दोनों विशेषज्ञ डॉक्टर्स और मार्केटिंग हैड विभोर गुप्ता का सम्मान किया गया। इस कार्यक्रम को आयोजित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले घेवर चंद नाहर ने सभी का आभार प्रकट किया । कार्यक्रम में अग्रवाल समाज के लोकेश अग्रवाल का भी सहयोग रहा।

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