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गर्भाशय फटने से जोखिम में आई आठ माह की गर्भवती महिला का हुआ उपचार

गर्भाशय फटने से जोखिम में आई आठ माह की गर्भवती महिला का हुआ उपचार

मित्तल हॉस्पिटल की सीनियर गायनोकोलॉजिस्ट डॉ अदिति सिंह राव ने की सफल सर्जरी

अजमेर (अजमेर मुस्कान)। गर्भाशय फटने से जोखिम में आई आठ माह की गर्भवती महिला की मित्तल हॉस्पिटल में सफल सर्जरी की गई। गर्भवती महिला को अत्यंत गंभीर अवस्था में अजमेर के मंडल रेलवे हॉस्पिटल से मित्तल हॉस्पिटल रेफर किया गया था। भर्ती होते समय पीड़िता बेसुध थी। उसका ब्लड प्रेशर नापने में नहीं आ रहा था। पल्स नहीं मिल रही थी। प्रारंभिक जांच में गर्भ में पल रहे बच्चे की धड़कन सुनाई नहीं देने तथा गर्भवती के पेट में अत्यधिक रक्तस्त्राव होने से पीड़िता के जीवन पर भारी संकट छाया हुआ था। इस जटिल और दुलर्भ अवस्था में मित्तल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर की सीनियर गायनोकोलॉजिस्ट डॉ अदिति सिंह राव ने पीड़िता की बच्चेदानी को रिपेयर किए जाने का परिवारजनों की सहमति से निर्णय किया और वह सफल रहा। पीड़िता को 8 यूनिट फ्रेश फ्रोजन प्लाज्मा (एफएफपी), 2 यूनिट पैक रेड सेल (पीआरबीसी), 2 यूनिट होल ब्लड चढ़ाया गया। मित्तल हॉस्पिटल से घर लौटते हुए पीड़िता ने डॉक्टर को धन्यवाद कहा और समस्त स्टाफ का आभार व्यक्त किया जिन्होंने उसे संकट की घड़ी से बाहर निकलने में मदद की।

मित्तल हॉस्पिटल की गायनोकोलॉजिस्ट डॉ अदिति सिंह राव ने बताया कि आठ माह की गर्भवती महिला के अकारण ही गर्भाशय फटने का बहुत ही दुर्लभ मामला सामने आया। ऐसा सामान्य अवस्था में पहले नहीं देखा गया। गर्भवती महिला जिसे पहले कोई ऑपरेशन हुआ होता है या दर्द बढ़ाने के इंजेक्शन या दवाइयां चल रही होती है तो ऐसा हो सकता है। मौजूदा रोगी की ऐसी कोई हिस्ट्री भी नहीं है और ना ही उसे कोई चोट पहुंची थी ना ही उसे किसी तरह की काई बीमारी थी फिर भी उसके गर्भावस्था के आठवें माह में गर्भाशय फट जाना दुर्लभ है। पीड़िता को जान का भारी जोखिम था। प्रारंभिक जांच में पाया गया कि पीड़िता के खून जमने की क्षमता कम हो चुकी थी, मरीज डीआईसी में थी, पीड़िता मल्टी ऑर्गन फेलियर में थी। पीड़िता की किडनी व लीवर की जांच रिपोर्ट भी ठीक नहीं आ रही थी।

डॉ राव ने कहा कि इस मामले में रोगी को संकट से बाहर निकालने के दो ही विकल्प थे जिसमें एक गर्भाशय को ही बाहर निकाल दिए जाने का था, किन्तु इसमें जोखिम अधिक होने व रोगी की अवस्था को देखते हुए  दूसरे विकल्प को चुना गया। वह गर्भाशय को रिपेयर करने का था। पीड़िता का रक्तस्त्राव बहुत अधिक मात्रा में होने को ध्यान में हुए उसे पहले दो यूनिट रक्त चढ़ाया गया। पीड़िता की बच्चेदानी सर्जरी कर रिपेयर कर दी गई साथ ही उसकी नसबंदी भी कर दी गई जिससे आगे चलकर गर्भवती होने का जोखिम ना रहे। उन्होंने बताया कि इस सर्जरी में मित्तल हॉस्पिटल के एनेस्थिसियोलॉजिस्ट डॉ रोहिताश शर्मा, फिजिशियन डॉ दीपक सोगानी सहित आईसीयू व वार्ड चिकित्सक व नर्सिंग स्टाफ का सराहनीय योगदान रहा।  पीड़िता के पति ने बताया कि वह पहले से दो पुत्रियों का पिता है करीब साढ़े चार साल के अंतराल में उसकी पत्नी तीसरी बार गर्भवती हुई थी।

पीड़िता ने बताया कि जिस दिन उसकी तबीयत अचानक खराब हुई तब उसके पति भी घर पर नहीं थे वह अकेली थी और दो छोटी बच्चियां थीं। पेट दर्द और बेसुधगी की गंभीर हालत में उसने फोन कर  पड़ोसियों को सूचित किया उन्होंने उसे किसी तरह रेलवे हॉस्पिटल पहुंचाया था जहां से उसे एम्बुलेंस में मित्तल हॉस्पिटल भेज दिया गया। पीड़िता ने बताया कि उसे यहां नई जिंदगी मिली है वह डॉक्टर सहित सभी स्टाफ की दिल से आभारी है।

गौरतलब है कि मित्तल हॉस्पिटल में एक ही छत के नीचे सभी सुपर स्पेशलिटी चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध होने, ब्लड सेंटर की सुविधा चौबीस घंटे सातों दिन उपलब्धता,आधुनिक उपकरणों से सुसज्जित ऑपरेशन थियेटर एवं वार्ड में दक्ष चिकित्सा विशेषज्ञ, नर्स व तकनीशियनों द्वारा टीम भावना के साथ देखभाल करने के कारण रोगी को शीघ्र स्वास्थ्य लाभ मिल रहा है।

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