पुरानी परिपाटियों से परे नए आयाम छुए
अजमेर (अजमेर मुस्कान)। प्रयोग ही अविष्कार के कारक होते हैं। यह बात रविवार को अजयमेरु प्रेस क्लब के सालाना दीपावली स्नेह मिलन समारोह में देखने को मिली जब लीक से अलग हट कर अनूठे प्रयोग के रूप में क्लब-सदस्यों की सांस्कृतिक प्रस्तुतियों की जगह बाह्य कलाकारों की विभिन्न विधाओं की प्रस्तुतियां हुईं । दर्शक हर प्रस्तुति पर मदमस्त होकर झूमे। कार्यक्रम एक अनूठे रंग में रंगा दिखा। अलग कलेवर और जुदा-जुदा शैलियां कार्यक्रम में विभिन्न संस्कृतियों की बहार बन कर छा गईं।
क्लब के कैरम गुरु बालमुकंद चौरसिया की पौत्री जया ने गणेश वंदना पर नृत्य की प्रस्तुति से कार्यक्रम का शुभारंभ किया। उसके बाद आये शहर के मशहूर एवं अजमेर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जादूगरी में पहचान दिलाने वाले मशहूर जादूगर हैरती के पुत्र राजन बरगौतरा, जिन्होंने सेक्सओफोन पर मधुर गीत की प्रस्तुति देकर कार्यक्रम का शानदार आगाज़ किया। दस वर्ष की बालिका गुंजन भट्ट का गायन "ये दिल तुम बिन कहीं लगता नहीं" में उनके द्वारा ली गईं गले की हरकतों ने यह साबित कर दिया की आज की पीढ़ी भारतीय शास्त्रीय संगीत को मरने नहीं देगी। इसके विपरीत अजमेर की सांस्कृतिक संस्था कला अंकुर के टेलेंट हंट शो की विजेता शाज़िया ने वेस्टर्न शैली के गीत "रात में जागते हैं" की प्रस्तुति से यह साबित किया कि शैली कोई भी हो, संगीत अपनी छाप हर रूप में छोड़ता है। उनकी दूसरी प्रस्तुति रही अजमेर के ही एक पुराने कलाकर बाबू भाई गेडिया के साथ जिसमें आशा भोसले और आर डी बर्मन के गीत "दुनिया में लोगों को धोखा कभी हो जाता है" पर दोनों कलाकरों ने पंचम-दा की विशिष्ट शैली के संगीत और गायकी को अपने अंदाज में पेश किया। इसी तरह महिला व पुरुष दोनों ही आवाज़ों में गायन करने वाले अजमेर के संजय बावेजा ने "रात अकेली है" गीत से सुनने वालों के मन पर अपनी छाप छोड़ी।
नृत्य कलाओं में अधिकतर कलाकारों ने राजस्थान की लोक संस्कृति को अपनी प्रस्तुतियों में समेटा, मगर उसमें भी विभिन्न शैलियां देखने को मिलीं। आरती, पिंकी व पायल ने जहां राजस्थानी चिरमी नृत्य से दिल जीता, वहीं किशनगढ़ की मधु शर्मा, मशहूर लोक नर्तक अशोक कुमार शर्मा व उनके साथ करुणा ने राजस्थानी नृत्य के अलग रंग मंच पर बिखेरे। लोक नृत्य से अलग हट कर किशनगढ़ की ही बालिका अगम्या शर्मा ने भारतीय शास्त्रीय आधारित नृत्य प्रस्तुत कर सबका मन जीत लिया। नृत्य व गायन से अलग हट कर दो प्रस्तुतियां ऐसी भी रहीं जो इस कार्यक्रम के किये गए प्रयोगों में काफी अलग हट कर रहीं। एक थी क्लब के महिला ग्रुप "हमसफ़र" की मायमिंग, जिसमें ट्रेक पर बज रहे विभिन्न गीतों के मेडले पर हाथों व चेहरे की भाव-भंगिमाओं से उन गीतों के मूल भाव का प्रदर्शन लिप सिंक करते हुए किया गया। इस प्रस्तुति में आभा शुक्ला, मधु अग्रवाल, जसबीर कौर विर्दी, डॉक्टर शशि मित्तल, श्वेता शबनम, मरियम नवाज़, अनिता डीडवानिया, कृष्णा शर्मा ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
इसी तरह दूसरी प्रस्तुति रही अजमेर के ही युवा संगीतकारों के एक बैंड "सुर-सा" की जिसे खुशाल गाथा ग्रुप भी कहते हैं। चार सादस्यों के इस बैंड ने फ्यूज़न गायकी तो की ही, साथ ही वाद्य वादन भी स्वयं ही किया और रेप, पॉप, भजन व लाइट म्यूजिक के फ्यूज़न से काबिले तारीफ प्रस्तुति देकर समा बांध दिया।
समापन पर एक बार फिर जया चौरसिया ने गणेश वंदना पर राजस्थानी गीत पर नृत्य प्रस्तुत किया, लेकिन शो-एंडिंग सही मायनों में एक ऐसी समूह गायकी से हुई जिसमें कराओके पर एक मेडले ट्रेक बजाया गया और सभागार में उपस्थित हर छोटे-बड़े व महिला-पुरुष दर्शक ने उसे अपनी आवाज़ दी।
इससे पूर्व क्लब के संस्थापक अध्यक्ष डॉ रमेश अग्रवाल, अध्यक्ष राजेंद्र गुंजल, महासचिव सत्यनारायण जाला, पूर्व अध्यक्ष प्रताप सिंह सनकत ने माँ सरस्वती के चित्र पर पुष्प अर्पित कर व दीप प्रज्ज्वलन कर आशीर्वाद लिया। क्लब अध्यक्ष राजेंद्र गुंजल ने इस कार्यक्रम को लीक से अलग हट कर तैयार करने के पीछे की सोच, मशक्कत और क्रियान्वयन से संबंधित जानकारी सहित अन्य बिंदुओं पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम का संचालन प्रताप सिंह सनकत और अमित टण्डन ने किया। तकनीकी पक्ष सांस्कृतिक आयोजन समिति के संयोजक आलम नवाज़ ने संभाला, जिन्होंने इस कार्यक्रम की सम्पूर्ण अवधारणा तैयार की थी। साउंड ट्रेक सिस्टम प्रबंधन की कमान गुरजेंद्र सिंह विर्दी ने संभाली। आभार अरविंद मोहन शर्मा ने व्यक्त किया।
इस दौरान प्रस्तुति देने वाले सभी कलाकारों को क्लब की ओर से स्मृति चिह्न दिए गए । साथ ही पिछले दिनों हुई कैरम प्रतियोगिता के विजेता बच्चों को प्रशस्ति पत्र भी प्रदान किये गए।
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