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बाल विवाह रोकथाम के लिए कमेटी गठित

अपने-अपने कार्यक्षेत्र में भ्रमण कर रखेंगे नजर

बाल विवाह रोकथाम के लिए कमेटी गठित

अजमेर (अजमेर मुस्कान)।
देवउठनी ग्यारस, अक्षय तृतीया, पीपल पूर्णिमा एवं अन्य अवसरों पर समाज में प्रचलित बाल विवाह की कुरीति की रोकथाम के लिए जिला मजिस्ट्रेट श्री लोक बन्धु द्वारा ग्रामीण स्तर पर कार्यरत व्यक्तियों और कार्मिकों के दल का गठन किया गया है।

जिला मजिस्ट्रेट लोक बन्धु ने बताया कि इस कमेटी में संबंधित जिला परिषद सदस्य, पंचायत समिति सदस्य, सरपंच, वार्डपंच, संबंधित ग्राम के स्कूल के प्रधानाध्यापक, प्रधानाचार्य, संबंधित भू-अभिलेख निरीक्षक, पटवारी, ग्राम सेवक, कृषि पर्यवेक्षक, महिला पर्यवेक्षक, संबंधित एएनएम, जीएनएम, राजकीय विद्यालयों में कार्यरत शिक्षक, महिला अधिकारिता विभाग की संबंधित आंगनबाडी कार्यकर्ता, संरक्षण अधिकारी, आशा सहयोगिनी, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के ब्लॉक सामाजिक सुरक्षा अधिकारी शामिल है।

उन्होंने बताया कि गठित दल में वर्णित कार्मिक अपने-अपने कार्यक्षेत्र में भ्रमण करते रहेंगे तथा यह ध्यान रखेगें कि कोई बाल विवाह सम्पन्न नहीं हो पाए। गाँव में किसी प्रकार की रंगाई पुताई हुई हो, किन्हीं बच्चे बच्चियों ने मेहन्दी लगा रखी हो, बच्चे स्कूल से अनुपस्थित चल रहे हो, किसी परिवार ने बैण्ड, ढोल, जीप, पण्डित, बस या अन्य कोई वाहन आदि बुक कर रखे हो तो भ्रमण के दौरान पता लगाकर यह सुनिश्चित करेंगे कि प्रस्तावित विवाह नाबालिग बच्चों का तो नहीं है। यदि पूर्व में यह स्पष्ट हो जाए कि प्रस्तावित विवाह नाबालिग बच्चों का है तो तत्काल ही संबंधित उपखण्ड मजिस्ट्रेट, कार्यालय मजिस्ट्रेट (तहसीलदार) अथवा निकटतम पुलिस स्टेशन को इसकी सूचना देंगे। संबंधित अधिकारी सूचना प्राप्त होते ही बाल विवाह को तत्काल रोकने की कार्यवाही करेंगे तथा साथ ही संबंधित न्यायिक मजिस्ट्रेट से निषेधाज्ञा प्राप्त कर नाबालिग बच्चों के बाल विवाह करने वाले आयोजकों, अभिभावकों एवं माता-पिता को पाबन्द कराएंगे।

उन्होंने बताया कि उपखण्ड मजिस्ट्रेट, तहसीलदार, विकास अधिकारी एवं संबंधित थानाधिकारी भी अपने क्षेत्र के लिए पूर्णतया जिम्मेदार रहेंगे। उनके क्षेत्राधिकार में कोई बाल विवाह सम्पन्न नहीं होने पाए। उपखण्ड मजिस्ट्रेटगण, तहसीलदार, विकास अधिकारी एवं संबंधित थानाधिकारी भी अपने अपने क्षेत्र में लगातार भ्रमण कर संबंधित गांव में कमेटी के कार्मिकों से सम्पर्क कर सम्पन्न होने वाले विवाहों के संबंध में सूचना प्राप्त कर तदनुसार कार्यवाही करेगें। यदि किसी क्षेत्र में बाल विवाह की घटना दृष्टिगोचर हुई तो संबंधित कार्मिक एवं उस क्षेत्र के उपखण्ड मजिस्ट्रेट, तहसीलदार, विकास अधिकारी के विरूद्ध भी जवाबदेही निर्धारित कर नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी।

उन्होंने बताया कि संबंधित उपखण्ड मजिस्ट्रेट देवउठनी ग्यारस के मध्यजर शीघ्रातिशीघ्र ही अपने कार्यालय में उपखण्ड स्तरीय नियंत्रण कक्ष की स्थापना करेंगे। नियंत्रण कक्ष में बाल विवाह से संबंधित प्राप्त शिकायतों तथा सूचना के संबंध में भी आवश्यक कार्यवाही सम्पादित करेंगे। नियुक्त कार्मिक बाल विवाह से संबंधित पंजिका का भी संधारण करेंगे तथा बाल विवाह से संबंधित कोई भी सूचना प्राप्त होने पर संबंधित जिम्मेदार अधिकारी को त्वरित आवश्यक कार्यवाही के लिए अवगत कराएंगे। सभी संबंधित कार्यालयाध्यक्ष अपने अधीनस्थ कार्मिकों को नियमानुसार कार्यवाही के लिए अपने स्तर पर पृथक से आदेश, निर्देश जारी कर पाबन्द करना सुनिश्चित करेंगे। बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 की धारा 16 के तहत संबंधित मजिस्ट्रेट एवं उप जिला मजिस्ट्रेट बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी नियुक्त है। ये अधिकारीगण अपने क्षेत्र में होने वाले बाल विवाह के लिए पूर्ण रूप से उत्तरदायी होंगे।

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