विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी की बड़ी पहल
देवनानी ने ली बैठक, एक्सपर्ट्स ने दिए सुझाव
आनासागर झील से ड्रेनेज के लिए पुराने नाले को फिर शुरू करने का सुझाव
100 साल पुराने ड्रेनेज प्लान को भी फिर से अमल में लाया जाएगा
अजमेर (अजमेर मुस्कान)। विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी के निर्देशन में शहर की एक बड़ी समस्या के समाधान की कवायद शुरू हो गई है। अजमेर में विभिन्न स्थानों पर बारिश के दौरान पानी भरने की समस्या से निजात पाने के लिए सौ साल पुराने ड्रेनेज सिस्टम को फिर से अस्तित्व में लाने के लिए काम होगा। इसके साथ ही आनासागर जेटी से निकलने वाले पुराने नाले को भी फिर से शुरू करने पर काम होगा। इसके साथ ही शहर में जगह-जगह भरने वाले पानी की निकासी के लिए योजना बनेगी।
अजमेर का मास्टर ड्रेनेज प्लान तैयार करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने विभिन्न विभागों के आला अधिकारियों और विशेषज्ञों के साथ सर्किट हाउस में बैठक की। बैठक में श्री देवनानी ने निर्देश दिए कि विभिन्न विभागों से जुड़े अधिकारी पहले यह तय करें कि अतिवृष्टि के कारण समस्या किन कारणों से उत्पन्न हो रही है। ज्यादा बारिश के कारण अतिरिक्त पानी कहां-कहां से ओवर फ्लो हो रहा है, कहां जमा हो रहा है और और इसके निस्तारण के लिए क्या प्रयत्न किए जाने चाहिए।
उन्होंने कहा कि आजादी से पूर्व 1936 का मास्टर ड्रेनेज प्लान तैयार किया गया था। वह मास्टर प्लान क्या था और वर्तमान में उसकी क्या स्थिति है। मास्टर प्लान नगर निगम के पास उपलब्ध है, उसका विस्तृत अध्ययन किया जाए और उसकी वर्तमान प्रासंगिकता पर गहनता से मंथन किया जाए। इसके साथ ही जिन क्षेत्रों में पानी भराव की परेशानी आ रही है, वहां वर्तमान में क्या उपाय किए जाने चाहिएं। यह उपाय तात्कालिक ना होकर लम्बी अवधि के लिए होने चाहिएं।
देवनानी ने कहा कि शहर में जलभराव का मुख्य कारण है फॉयसागर झील में अत्यधिक पानी की आवक से आनासागर झील का ओवर फ्लो होना है। पानी भराव को कम करने के लिए फॉयसागर का कैचमेंट एवं भराव क्षेत्र बढ़ाया जाना चाहिए। इससे वहां पानी ज्यादा स्टोर हो सकेगा। इसी तरह वर्तमान में आनासागर से पेयजल निकासी का एकमात्र मार्ग एस्केप चैनल है। इसका वैकल्पिक मार्ग भी तलाशा जाए। विशेषज्ञों ने बताया कि पूर्व में आनासागर जेटी से होते हुए रोड क्रॉस कर मास्टर अकादमी के पास से होकर पीछे दाधीच वाटिका एवं अस्पताल की दीवार के पास से एक नाला बहता था। यह वर्तमान में अवरूद्ध एवं निष्कि्रय है। इसे दोबारा शुरू किया जाना चाहिए। कई स्थानों पर नालों में पाइप लाइन, सीवरेज, बिजली व टेलीफोन की लाइनें डाल दी गई हैं। इससे पानी का बहाव एवं मार्ग अवरूद्ध हो रहा है। इनका भी उचित निस्तारण होना चाहिए। देवनानी ने निर्देश दिए कि कमेटी नियमित साप्ताहिक बैठक करे एवं दो माह में विस्तृत रिपोर्ट तैयार करे।
बैठक में विशेषज्ञों ने कहा कि पूर्व में अजमेर में जल संग्रहण के मुख्य स्त्रोत- फॉयसागर झील, आनासागर झील, पाल बीछला और खानपुरा तालाब थे। पुराने समय में फॉयसागर का अतिरिक्त पानी आनासागर में संग्रहित होता था। आनासागर का अतिरिक्त पानी पाल बीछला और खानपुरा में संग्रहित होता था। शहर की समस्या तब उत्पन्न होती है जब आनासागर में अत्यधिक पानी की आवक होती है और निचली क्षेत्रों में निकासी के पर्याप्त संसाधन नहीं होने से विपरीत हालात बनते है।
उन्होंने ने कहा कि मौजूदा समय में एक ही एस्कैप चैनल प्रभावी है जो आनासागर से काला बाग, ब्रह्मपुरी होते हुए खानपुरा तालाब पहुंचता है जिसकी क्षमता बेहद कम है। पूर्व में एक बड़ी निकासी आनासागर से जेटी होते हुए थी उसे बंद कर दिया गया। यह निकासी दाधीच वाटिका जो कि सावित्री स्कूल से जेएलएन अस्पताल, विजयलक्ष्मी पार्क, जेएलएन मेडिकल कॉलेज से गुड्डन ढाबा होते हुए इंडिया मोटर सर्किल तक थी। इसको बंद करने के बाद यह अतिक्रमण की जद में आ गया है। मौजूदा चैनल से क्षमता मुताबिक निकासी के साथ ही अतिरिक्त बराबरी की निकासी पुराने निकास से हो। इससे अतिरिक्त पानी ब्रह्मपुरी और मेडिकल कॉलेज में एकत्रित नहीं होगा। इसी तरह उन्होंने अन्य सुझाव भी दिए।
विशेषज्ञों ने कहा कि कॉलोनियों में नालियों को मलबा-कचरा और रैंप बनाकर बाधित किया गया है। ठोस कचरा और निर्माण अवशेषों को सीधा आनासागर की सहायक चैनलों में डाला जा रहा है। बांडी नदी पर अधिक संख्या में अतिक्रमण है। कचहरी रोड़ पर बनी दुकानों की भूमिगत नाले पूरी तरह से बाधित है। रावण की बगीची से संत फ्रांसिस हॉस्पीटल तक की भूमिगत नाले एवं नालियों बंद है और किसी उपयोग में नहीं है। जल निकासी प्रबंधन में जन सहभागिता का अभाव है।
उन्होंने कहा कि तात्कालिक उपाय के तहत सभी छोटे-बड़े नालो की नियमित सफाई और निरीक्षण हो। सख्त कार्यवाही व जुर्माना उन पर, जो नालो में कचरा डाले या अतिक्रमण करें। सभी नालों को अतिक्रमण मुक्त करे। सभी नई और विकसित कॉलोनियों को तब तक एनओसी ना मिले जब तक जल निकासी समुचित हो। नाले के अंदर से पीएचईडी, डिस्कॉम एवं टेलीकॉम के सभी बाधक हटाए जाए। सभी नालों के शुरूआती छोर को बढ़ाया जाए।
बैठक में जिला कलेक्टर लोकबंधु, नगर निगम आयुक्त देशलदान, विशेषज्ञ जितेंद्र रंगनानी, अनिल जैन एवं अधिकारी उपस्थित रहे।
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