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हताश जिंदगियों को रोशन कर देना ही सच्ची मानव सेवा : डॉक्टर अग्रवाल

हताश जिंदगियों को रोशन कर देना ही सच्ची मानव सेवा : डॉक्टर अग्रवाल

ईश्वर का दूसरा सच्चा स्वरूप होते हैं डॉक्टर 

अजमेर ( विनीत लोहिया)। ईश्वर का सबसे अनुपम उपहार मानव जीवन का सृजन है। इस वरदान की सृजनता को देखने व निहारने में आंखों की भूमिका सबसे अधिक होती है। आंखें हैं तो जीवन की सार्थकता है  वरना चारों ओर अंधेरा ही अंधेरा। 

इन्हीं आंखों की रोशनी की देखभाल में जुटा नेत्र रोग विशेषज्ञों का एक ऐसा परिवार जिसने पिछले 42 वर्षों से असंख्य आंखों को अंधेरे से बाहर निकाल कर नया जीवन दिया है। भीलवाड़ा जिले के जहाजपुर गांव के इस अग्रवाल परिवार ने राजस्थान की मिट्टी की खुशबू देशभर के साथ-साथ विदेशों तक फैलाई है।

डॉ राजेंद्र अग्रवाल, डॉक्टर सुधा अग्रवाल, डॉक्टर सुमित अग्रवाल एवं डॉक्टर तृषा अग्रवाल नेत्र रोग विशेषज्ञ के रूप में मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में मानव समाज सेवा के सभी कीर्तिमान पीछे छोड़ नई पहचान बनाई है। नेत्र संबंधी जटिल से जटिल समस्याओं से जूझते मरीज यहां आकर नया जीवन पातें हैं और खुशी-खुशी अपने परिवार में लौट जाते हैं । 

नारायण नेत्रालय बेंगलुरु से MBBS, MS, FVRS रेटिना विशेषज्ञ डॉ सुमित अग्रवाल, श्रीमती डॉक्टर तृषा अग्रवाल MBBS, MS, FCE कार्निया विशेषज्ञ, डॉ राजेंद्र अग्रवाल MBBS MS तथा डॉक्टर श्रीमती सुधा अग्रवाल MBBS वर्तमान में आर के आई एंड रेटिना सेंटर जावरा कंपाउंड, इंदौर में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। 

भूतपूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई, पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, फिल्मी अदाकारा जीनत अमान सहित अनेको अनेक हस्तियों का इलाज कर चुके डॉक्टर राजेंद्र अग्रवाल ने अजमेर प्रवास के दौरान बताया कि वर्तमान में चिकित्सा क्षेत्र में आधुनिकतम सुविधाओं एवं उपलब्ध उपचारों के चलते आंखों की खतरनाक से खतरनाक बीमारियों का इलाज भी संभव हुआ है। 

अपनी अनेक उपलब्धियां को मानव समाज सेवा को समर्पित करते हुए बताया कि परेशान एवं हताश मरीजों को रोशनी प्रदान करना उनके परिवार के लिए सबसे बड़ी संतुष्टि है। सभी चुनौतियों को स्वीकार करते हुए इस परिवार ने पिछले दशकों में डेढ़ वर्ष की एक बच्ची का कोर्निया ट्रांसप्लांट करना, खेल खेल में आंखोंमें घुसी 2 सेंटीमीटर फॉरेन बॉडी को बाहर निकलना, रेटिना का सामान्य अथवा डायबिटीज के कारण अपने स्थान से हट जाने पर उसकी सर्जरी करना ,ड्राई आई का सफल इलाज ,पर्दे में छेद को सर्जरी के माध्यम से बंद करते हुए पुनः रोशनी अर्जित करना, आंखों में अक्सर काले छल्ले घूमते रहने का सफल इलाज इत्यादि ऐसे अनेक इलाज एक छत के नीचे मिलन किसी ईश्वरीय कृपा से कम नहीं है। डॉ सुमित एवं डॉक्टर तृषा ने बताया कि चश्मा हटाने के इलाज संबंधी एक मरीज का माइनस 34 नंबर को हटाकर इलाज किया है। इसके अतिरिक्त नेत्रदान एवं प्रत्यारोपण संबंधी इलाज उपलब्ध रहते हैं।

इन सारी उपलब्धियां के बावजूद परिवार सदैव अपनी संस्कृति और संस्कारों को समर्पित रहता है। नि:सहाय एवं गरीब परिवारों की सेवा में तत्पर डॉक्टर अग्रवाल में परिवार हताश जिंदगियों मैं रोशनी भरने को समर्पित है शायद इसीलिए मानव समाज में एक डॉक्टर को ईश्वर का दूसरा स्वरूप मानते हैं।

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