Ticker

6/recent/ticker-posts

गांधी के अद्भुत रूप कार्यशाला से हुआ शुभारंभ

गांधी के अद्भुत रूप कार्यशाला से हुआ शुभारंभ

गांधी  की दृष्टि तार्किक और वैज्ञानिक थी

गांधी के अद्भुत रूप कार्यशाला से हुआ शुभारंभ

अजमेर (अजमेर मुस्कान)।
अजमेर के नागरिकों की पहल पर   प्रारंभ किये  गए दस दिवसीय तृतीय गांधी महोत्सव का आगाज़ मंगलवार को शिक्षको और विद्यार्थियों हेतु "गांधी के अद्भुत रूप" विषय पर कार्यशाला से हुआ । कार्यशाला में लगभग 75 प्रतिभागियों ने सहभागिता की।

कार्यशाला का उद्घाटन गांधीजी के  चित्र के  समक्ष दीप प्रज्वलन कर सुप्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता डी एल त्रिपाठी ने किया। अजयमेरु प्रेस क्लब के अध्यक्ष राजेंद्र गुंजल ने स्वागत उद्बोधन दिया तथा डॉ सुरेश अग्रवाल ने कार्यशाला के उद्देश्यों की जानकारी दी।

कार्यशाला के प्रथम सत्र में गांधी : 

एक शिक्षक विषय पर बोलते हुए डॉ  पयोद जोशी ने कहा कि गांधी औपचारिक रूप से शिक्षक ना होते हुए भी महान शिक्षक थे। उन्होंने अपने अनुभव जनित ज्ञान को समाज शिक्षा की आधारशिला बनाया। उन्होंने समाज को शिक्षित ही नहीं किया बल्कि प्रेरित भी किया। शिक्षा को लेकर उन्होंने बुनियादी तालीम पर  बल दिया।

गांधी एक महात्मा विषय पर बोलते हुए साहित्यकार रासबिहारी गौड़ ने कहा कि मोहनदास कर्मचंद गांधी से महात्मा के रूप में  परिवर्तन  उनकी सत्य और अहिंसा  पर

अडिग विश्वास के कारण हुआ। गौड़ ने गांधीजी के अफ्रीका प्रवास की विभिन्न घटनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्होंने जीवन की विकट स्थितियों में आत्म बल से स्वयं को निर्मित किया।

कार्यशाला में गांधी

एक सुधारक के रूप में महात्मा गांधी के कार्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्हें एक राजनीतिक नेता माना जाता है जबकि उनका सर्वाधिक योगदान समाज सुधारक के रूप में रहा है। स्त्री पुरुष समानता, दलितोद्धार,अस्पृश्यता निवारण,खादी और ग्रामोद्योग, कुष्ठ रोगी सेवा, कौमी एकता, पर्यावरण एवं स्वच्छता आदि विभिन्न क्षेत्रों में उनका अमूल्य योगदान रहा।दुनिया के देशों में समाज सुधारक उन्हे प्रेरणा पुरुष मानता है।

अंतिम सत्र में गांधी : 

एक वैज्ञानिक विषय पर गांधीवादी विचारक पराग मांदले ने कहा कि गांधी की दृष्टि तार्किक और वैज्ञानिक थी। उन्होंने अपनी हर अवधारणा को अपने जीवन में प्रयोग के रूप में अपनाया तथा व्यक्तिगत रूप से सिद्ध कर दिखलाया। पराग मांदले ने कहा कि गांधी प्रकृति और मनुष्य की क्षमता में विश्वास करते थे और दोनो द्वारा एक दूसरे के दोहन के विरुद्ध थे। उन्होंने कहा कि आज भी गांधी के विज्ञान सम्मत  सिद्धांतो को अपनाकर बेहतर दुनिया बनाई जा सकती है। कार्यशाला में विभिन्न

प्रतिभागियों ने प्रश्न किए जिनका वक्ताओं ने समाधान किया। कार्यशाला के अंत मे राजेंद्र मेहता, राधावल्लभ शर्मा, राजेंद्र गुंजल ने संभागियो को प्रमाण पत्र  वितरित किए।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ