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देवनानी ने राष्ट्रीय शिक्षक दिवस पर किया शिक्षकों को सम्मानित


 

दो बालिकाओं को दिए लैपटोप


दो बालिकाओं को दिए लैपटोप

अजमेर (अजमेर मुस्कान)।
राष्ट्रीय शिक्षक दिवस के अवसर पर राजकीय केन्द्रीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में विधानसभा अध्यक्ष देवनानी ने जिला एवं ब्लॉक स्तर के चयनित शिक्षकों को सम्मानित किया तथा बच्चों को शिक्षकों के महत्व के बारे में विस्तार से बताया। देवनानी ने राजकीय कन्या उच्च माध्यमिक विद्यालय पहाड़गंज के हिमांशु कुवांड़ा, पीसांगन ब्लॉक के शिक्षक कैलाश चंद फानन तथा देबीलाल रेगर और अरांई ब्लॉक के शिक्षक सत्यनारायण गुर्जर को अपने श्रेष्ठ कार्यों के लिए स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया तथा सीनियर सैकण्डरी में अच्छा प्रदर्शन करने वाली दो छात्राओं को लेपटोप देकर उनका उत्साहवर्धन किया। 

विधानसभा अध्यक्ष देवनानी ने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिवस को आज हम राष्ट्रीय शिक्षक दिवस के रूप में मनाते हैं। मैं यहां पर एक शिक्षक के रूप में आया हूं। शिक्षक समाज का पथप्रदर्शक होता है। अज्ञानता के अंधकार को दूर करने वाले शिक्षक का स्थान समाज में अति महत्वपूर्ण होता है। शिक्षक विद्यार्थियों के व्यक्तित्व को संवारने का काम करता है इससे वे अपने जीवन में हर मुकाल हासिल करते हैं। आज शिक्षक का सम्मान हमारे समाज में कम हो रहा है इसके कारण को ढूंढना आवश्यक है। शिक्षक बच्चे का तीसरा गुरू होता है। बच्चों को अपने शिक्षक में श्रद्धा रखनी चाहिए। आज के इस डिजीटल युग में भी शिक्षक की भूमिका कम नहीं हुई है। वह बच्चों की बौद्धिक क्षमता का विकास करता है। शिक्षक राष्ट्र निर्माता होता है। शिक्षक बच्चों का आदर्श होते हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षक को मास्टर भी कहते हैं इसका अर्थ मां का स्तर होता है। उन्होंने कहा कि एक शिक्षक ही है जो अपने बच्चों को संस्कारवान बनाता है तथा उनको सही दिशा में बढ़ने के लिए प्रेरित करता है। पढ़ाई का उद्देश्य समाज और देश का विकास करना है। 

उन्हाेंने कहा कि आज के विद्यार्थी डिजीटल युग में जी रहे हैं। डिजीटल माध्यम में ज्ञान देने वाला ही शिक्षक होता है। एक शिक्षक को बच्चों के व्यक्तित्व का विकास के करने के लिए आवश्यक है कि वह निरन्तर बच्चों से संवाद स्थापित करें। इससे बच्चों की अच्छी आदतों और कमियों के बारे में जाना जा सकता है। प्राचीन भारत में कई ऋषि-मुनि तथा गुरू हुए जिन्होंने समाज को एक नई दिशा प्रदान की।  वर्तमान काल में कई बच्चे कुण्ठा का शिकार हो जाते हैं जो माता-पिता तथा शिक्षक के लिए चिंतनीय है। बच्चों को धैर्य के साथ अध्ययन करना चाहिए। कभी भी तनाव में नहीं आना चाहिए। हम सभी को समाज में व्याप्त विकृतियों को दूर करने का संकल्प लेना चाहिए। उन्होंने बच्चों को अध्ययन के लिए कुछ सूत्रों का पालन करने के लिए आग्रह किया। बच्चों को अपने अध्ययन में कुशलता, स्थिरता, संवेदनशीलता तथा आत्म सम्मान जैसे सूत्रों को पालन करना चाहिए। बच्चों को अध्ययन के साथ-साथ अन्य क्रियाकलापों में भी भाग लेना चाहिए। उन्न्होंने कहा कि आज हमारा देश विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है जो एक अच्छा संदेश है। इस अवसर पर शिक्षा विभाग के अधिकारीगण उपस्थित थे।

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