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नारायण श्याम की 102वीं जयंती पर काव्य गोष्ठी

कवि व शायर नारायण श्याम की 102वीं जयंती पर काव्य गोष्ठी

झूलेलाल मन्दिर वैशाली मन्दिर में हुआ आयोजन 

अजमेर (अजमेर मुस्कान)। सिन्ध व हिन्द के मशहूर कवि, साहित्यकार, कवि नारायण गोकुलदास नागवाणी ‘श्याम‘ को 102वीं जयंती के अवसर पर वैशाली नगर स्थित झूलेलाल मन्दिर में, वैशाली सिंधी सेवा समिति एवं झूलेलाल सेवा मंडली के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित काव्य गोष्ठी में उनकी रचनायें प्रस्तुत कर याद किया गया।  

राजस्थान सिन्धी अकादमी के संभाग प्रभारी रहे महेन्द्र कुमार तीर्थाणी ने कहा कि नारायण श्याम की अनेक रचनायें प्रकाशित की गई और उन्हें 1970 में उनकी लिखित  ‘वारीअ भरियो पलांद‘ ते साहित्य अकादमी का सम्मान भी प्राप्त हुआ। सिन्ध को सदैव याद करते हुये लिखा था कि ‘सिन्ध खे कोन छड्lए को सघे सिन्धियन खां, सिन्धु सिन्धियन में वसे, सिन्धु हुते, सिन्धु हिते‘। वो सदैव आशावादी विचार रखते थे।

समिति अध्यक्ष जी.डी. वृंदाणी ने कहा कि श्री श्याम सिन्धी भाषा से युवा पीढी को जोडने के लिये संकेत करते थे कि ‘ईंए न थिए जो किताबन में पढिजे, त हुई सिन्ध ऐं सिन्ध वारन जी बोली और आज हम जो सिन्धी बाल संस्कार शिविरों का जो आयोजन कर रहे हैं उससे भाषा के प्रति जुड़ाव बढा है।

झुलेलाल मंदिर अध्यक्ष प्रकाश जेठरा ने प्रारम्भ में नारायण श्याम के जीवन पर प्रकाश डाला व ऐसे आयोजन पर सभी का आभार प्रकट किया। सिन्धी बोली विकास समिति के अध्यक्ष जयप्रकाश मंघाणी, गायक कलाकार होतचन्द मोरियाणी, पूनम गीतांजलि, भारती दरवानी ने भी अपनी रचनाऐं प्रस्तुत की।

कार्यक्रम में ईश्वरदास  जेसवाणी, खुशीराम ईसराणी, रमेश रायसिंघानी, किशन केवलानी, गोविन्दराम कोडवानी, नारायण झामनानी, राम भगतानी,भेरुमल शिवनानी, ओमप्रकाश शर्मा, राधा दरवानी सहित कार्यकर्ता उपस्थित थे। 

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