Ticker

6/recent/ticker-posts

गीत गजल और कविताओं से सजी साहित्य धारा, वरिष्ठ साहित्यकारों ने की शिरकत

"कुछ तेरे कुछ मेरे, दुख दर्दों के घेरे"

वरिष्ठ साहित्यकारों ने भी की शिरकत
वरिष्ठ साहित्यकारों ने की शिरकत

अजयमेरु प्रेस क्लब की मासिक साहित्यिक गोष्ठी साहित्यधारा, रविवार को क्लब के सभागार में आयोजित की गई। इस बार की काव्य गोष्ठी विशिष्ट गोष्ठी के रूप में आयोजित की गई जिसमे अजमेर के प्रबुद्ध साहित्यकारों के सहित प्रदेश के अनेक वरिष्ठ साहित्यकारों ने भी शिरकत की।

अजमेर (अजमेर मुस्कान)। अजयमेरु प्रेस क्लब
की मासिक साहित्यिक गोष्ठी साहित्यधारा, रविवार को क्लब के सभागार में आयोजित की गई। इस बार की काव्य गोष्ठी विशिष्ट गोष्ठी के रूप में आयोजित की गई जिसमे अजमेर के प्रबुद्ध साहित्यकारों के सहित प्रदेश के अनेक वरिष्ठ साहित्यकारों ने भी शिरकत की।

गोष्ठी में जहां शहर के अनेक प्रबुद्ध साहित्यकारों ने अपनी एक से बढ़कर एक रचनाएं प्रस्तुत की वहीं गोष्ठी में विशेष रूप से आमंत्रित अनेक वरिष्ठ साहित्यकारों ने अपनी रचनाओं से कार्यक्रम को नई ऊंचाईयां प्रदान की।  कार्यक्रम में सर्वप्रथम अजयमेरू प्रेस क्लब के अध्यक्ष राजेंद्र गुंजल ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए साहित्य धारा की पृष्ठ भूमि एवं उद्देश्य पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ कवि एवं गीतकार नवल किशोर भाभड़ा ने अपनी रचना कुछ तेरे कुछ मेरे दुख दर्दों के घेरे हर आंगन के सुने नभ पर बादल घिरे घनेरे सुनाकर समा बांधा। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में जयपुर से आए वरिष्ठ गज़लकार गोपाल गर्ग ने अपनी गजलें जब किनारे में सिमटने के लिए तैयार पानी और न समझे दर्द पाने का न खोने का मजा समझा सुनाकर श्रोताओं को तालियां बजाने पर मजबूर  कर दिया। क्लब के संस्थापक अध्यक्ष और वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. रमेश अग्रवाल ने अपनी गद्य  व्यंग्य रचना सुनाई जिसकी पंक्तियों "सनातन संस्कृति में जीवन के उसूलों की वो ही महिमा है जो भारतीय राजनीति में भगवान श्री राम की" ने श्रोताओं को खूब गुदगुदाया। वरिष्ठ कवि और व्यंग्यकार रास बिहारी गौड़ ने मार्मिक कविता पिता आते थे बाहर से साथ आती थी आवाजें उमंग उल्लास उम्मीद की जैसे आरती महाकाल की अज़ान ईद की सुनाकर खूब ताली बटोरीं। जयपुर से आए वरिष्ठ कवि सुधीर सक्सेना "सुधि" ने अपनी रचना यही तो प्रार्थना है, नागौर के मोदियाना गांव से आए वरिष्ठ कवि मुकुंद मधुर ने मन से मन का मीत ना मिला हुई ना मन की बात दिलवा जला रे सारी रात सुनाकर खूब दाद लूटी । गजलकार डॉ. बृजेश माथुर ने अपनी गजल याद के मीठे नशे में हूं मैं गजल के मैकदे में हूं, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. कमला गोकलानी ने हाले दिल किस तरह सुनाऊं बता कैसे मुस्कान बांट पाऊं बता, वरिष्ठ व्यंग्यकार वेद माथुर ने आओ चलें उन निर्जन पहाड़ियों पर फिर से गडरिये बनकर, शिक्षाविद एवं साहित्यकार अनंत भटनागर ने अपना जन्मस्थान खोजने वालों तुम्हे हासिल होगा एक वधस्थल तथा औरतें बचपन में ही सीख जाती हैं खुश दिखलाना, वरिष्ठ साहित्यकार उमेश चौरसिया ओ अहिल्या क्या शापित नही है आज भी नारी पत्थर की तरह संवेदना शून्य मौन बने रहने को, डॉ. शमा खान ने जन्म किसी शिशु का मात्र घटना नही रचाव है स्वयं सृष्टि का आदि रचनाएं सुनाकर श्रोताओं की खूब तालियां बटोरी।

कवि एवं व्यंग्यकार प्रदीप गुप्ता ने गद्य व्यंग्य रचना दल बदलू नेता, गजलकार अमित टंडन ने कागज का सफ़ीना चाहता हूं मैं बचपन जीना चाहता हूं, गीतकार गौरव दुबे ने सोचने भर से भर आते हैं ये नयन देह ने दे दिया प्राण को वन गमन, कालिंद नंदिनी शर्मा ने पुष्कर के घाटों पर क्यों याद आता है नुसरत फतह अली का अल्लाह हू, लता शर्मा ने लघु कथा उत्तर दायित्व, रजनीश मैसी ने खुदी छूटे नहीं तो खुदा मिले कैसे, अक्षरा गुप्ता ने कई रंगों की भीड़ में मैं भी एक नया रंग हो गई, प्रतिभा जोशी ने मदरसों से बचने की चाह के मुरीद कई, सुनीता जैन ने इन बेड़ियों को जो समाज ने बना रखी है काटती हुई, मुकेश आर्य ने रूठ के मुझसे यूं ना जाओ आदि रचनाएं सुनाकर श्रोताओं को तालियां बजाने पर मजबूर किया। बनवारी लाल शर्मा , डॉ. शारदा देवड़ा, पायल गुप्ता, पुष्पा क्षेत्रपाल, कुलदीप खन्ना भी मौजूद थे।

कार्यक्रम का संचालन प्रदीप गुप्ता और अमित टंडन ने किया। अंत में क्लब के सचिव गुरजेन्द्र सिंह विर्दी ने सभी का आभार प्रकट किया।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ