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नवीन भारतीय न्याय संहिता प्रावधानों के संबंध में संगोष्ठी आयोजित

नवीन भारतीय न्याय संहिता प्रावधानों के संबंध में संगोष्ठी आयोजित

अजमेर (अजमेर मुस्कान)।
देश में एक जुलाई से लागू होने वाले नवीन कानूनो भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता एवं भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 के प्रावधानों को आम लोगों तक पहुँचाने और विशेषकर महिलाओं और बच्चों में जागरूकता लाने के उद्देश्य से जिला कलक्ट्रेट के सभागार में जिला स्तरीय संगोष्ठी आयोजित की गई। इसमें नवीन विधियों पर जानकारी संयुक्त निदेशक अभियोजन हेमन्त सिन्धी एवं सहायक निदेशक अभियोजन (विधिक परामर्श) वीरेन्द्र सिंह राठौड़ द्वारा प्रदान की गई। सहायक निदेशक अभियोजन सहित जिले के अन्य अभियोजन व सहायक अभियोजन अधिकारियों ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

अभियोजन की मास्टर ट्रेनर टीम ने बताया कि नवीन कानूनों एवं इसमें किए बदलाव में पीड़ित व्यक्ति अथवा पुलिस थाने में ई-रिपोर्ट भी दर्ज करवाई जा सकती है। लेकिन तीन दिन में थाने जाकर ई-रिपोर्ट पर हस्ताक्षर करने होंगे। पीड़ित व्यक्ति अब किसी भी थाने में रिपोर्ट दे सकता है, जो जीरो नम्बर रिपोर्ट दर्ज की जायेगी। टीम ने बताया कि हत्या की धारा 302 की बजाय अब धारा 103, दुष्कर्म की धारा 376 की बजाय धारा 63, हत्या का प्रयास की धारा 307 की बजाय 109 कहलायेगी। 

उन्होंने बताया कि नवीन कानूनी में यदि कोई व्यक्ति बाहर रहता है और वहाँ से देश में वह कोई आपराधिक गतिविधियों का संचालन करता है तो उनके विरूद्ध भी कार्यवाही होगी। नवीन कानून में राजद्रोह को खत्म किया गया है और आतंकवाद को परिभाषित किया गया है। यौन अपराधों के लिए कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है। नवीन कानून को राजद्रोह वाले बिन्दु को हटाया गया है। सशस्त्र कांति विध्वंसक गतिविधियों और अलगाववादी कार्यों के कारण होने वाले राजद्रोह को अभी भी क्रिमिनल ऑफेंस माना जायेगा। दण्ड संहिता में नरम प्रावधानों का फायदा उठाने वाले आरोपी व्यक्तियों को रोकने के लिए कई बड़े बदलाव किए गए हैं। इसमें बच्चीयों के साथ दुष्कर्म के मामले को पोक्सो के साथ जोड़ा गया है। इसके अलावा नाबालिग के साथ गैंग रैप को नये अपराध की श्रेणी में रखा गया है।

मास्टर ट्रेनर वीरेन्द्र सिंह राठौड़ ने बताया कि मोबाईल अथवा सीसीटीवी कैमरे के फुटेज को साक्ष्य में रखा गया है, लेकिन इसके लिए सम्बंधित व्यक्ति से यह प्रमाण पत्र प्राप्त करना होगा कि उनकी मोबाईल या सीसीटीवी कैमरे से यह साक्ष्य प्राप्त किया गया है। नवीन कानून में अब सम्बंधित व्यक्ति की रिपोर्ट दर्ज करनी अनिवार्य है। थानाधिकारी को इस रिपोर्ट पर कोई संदेह हो तो वह उपअधीक्षक से सम्पर्क कर रिपोर्ट को 14 दिवस तक जाँच के लिए रख सकते हैं। मोबलिचिंग के जरिये हत्या व स्थाई विकलांगता के लिए नवीन विधि में कठोर प्रावधान किए गए हैं। कार्यशाला में उपस्थित पुलिस व प्रशासन के अधिकारियों ने मास्टर ट्रेनर से नवीन विधि के सम्बंध में जिज्ञासाओं का मास्टर ट्रेनर द्वारा समाधान दिया गया। 

कार्यशाला में अतिरिक्त जिला कलेक्टर  (शहर) गजेन्द्र सिंह राठौड़ सहित प्रशासन के कई अधिकारी तथा जिले के समस्त पुलिस उपअधीक्षक, थानाधिकारी तथा आम जन उपस्थित थे।

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