अजमेर (अजमेर मुस्कान)। अंतिम हिंदू सम्राट पृथ्वीराज चौहान की गौरव गाथा जानने के लिए इतिहास को गहराई से समझना होगा। देश के इस नायक को वांछित उम्र व अवसर मिला होता तो देश की दशा ही कुछ और होती। यह बात सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय के प्राचार्य मनोज बहरवाल ने कही । वे शनिवार को राजकीय संग्रहालय में भारतीय इतिहास संकलन समिति एवं सम्राट पृथ्वीराज चौहान समारोह समिति के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित गोष्ठी को संबोधित कर रहे थे।
विशिष्ट अतिथि महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अरविंद पारीक ने कहा कि सम्राट पृथ्वीराज चौहान के बलिदान से प्रेरणा लेनी चाहिए कि किस प्रकार उन्होने विदेशी आक्रांतों से राष्ट्र रक्षा के लिए लोहा लिया। उन्होंने कहा कि सम्राट पृथ्वीराज चौहान ना केवल एक महान योद्धा थे बल्कि विद्वानों के आश्रयदाता भी थे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के महानगर संघ चालक खाजू लाल चौहान ने कहा कि सम्राट पृथ्वीराज चौहान राष्ट्रीय स्वाभिमान के प्रतीक थे। वह आज भी जन-जन के प्रेरणा स्रोत है। इस प्रकार की गोष्ठियों के माध्यम से सम्राट पृथ्वीराज चौहान की उपलब्धियां को जन-जन तक पहुंचा जा सकता है। संग्रहालय अध्यक्ष हेमेंद्र अवस्थी ने सम्राट पृथ्वीराज चौहान की प्रारंभिक विजयों का उल्लेख किया। इससे पूर्व गोष्ठी में विषय प्रवर्तन करते हुए भारतीय इतिहास संकलन समिति के अध्यक्ष डॉ सूरज राव ने सम्राट पृथ्वीराज चौहान के राज्याभिषेक एवं तत्कालीन साम्राज्य की विशेषताओं को उल्लेखित किया एवं समिति के सह सचिव जितेंद्र जोशी ने इतिहास संकलन समिति के उद्देश्यों और क्रियाकलापों पर प्रकाश डाला। निगम के पूर्व उपमहापौर सम्पत सांखला ने समिति के आगामी कार्यक्रमों की जानकारी प्रदान की। आभार प्रदर्शन डॉ राजू शर्मा ने किया संचालन डा हरीश बेरी ने किया। इस अवसर पर प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें सम्राट पृथ्वीराज से जुडे़ सवाल पूछे गये जिसमें 70 विद्याथियों व आम जन ने भाग लिया।
संगोष्ठी में कंवल प्रकाश किशनानी, दिलीप पारीक, प्रकाश जैन, महेंद्र कुमार तीर्थानी, अजय यादव, जितेंद्र मारोठिया, धर्मेश जैन, डॉ मनोज अवस्थी, धीरज पुरी गोस्वामी, शिव प्रसाद गौतम, तुलसी सोनी, राकेश डीडवानियां डॉ. संत कुमार, रमेश लालवानी, दीनदयाल शर्मा, महेश शर्मा, प्रदीप गौहानी आदि गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
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