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डॉ विनोद सोमानी हंस का नया कहानी संग्रह पराई पीड़ा समाज को समर्पित

डॉ विनोद सोमानी 'हंस' का नया कहानी संग्रह 'पराई पीड़ा' समाज को समर्पित

नगर निगम के कमिश्नर देशल दान ने किया विमोचन

अजमेर (अजमेर मुस्कान)। अमृत सम्मान से सम्मानित राजस्थानी, मायण एवं हिंदी भाषा में सिद्धहस्त वयोवृद्ध साहित्यकार, लेखक एवं कवि  डॉ विनोद सोमानी 'हंस' का नया कहानी संग्रह 'पराई पीड़ा' समाज को समर्पित कर दिया गया। अजमेर नगर निगम के कमिश्नर भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी देशल दान ने पुस्तक का विमोचन किया। डॉ हंस के पुत्र सीए डॉ श्याम सोमानी हंस ने उन्हें पुस्तक भेंट की। देशल दान ने कहानी संग्रह के प्रति अपना रुझान दर्शाया और कहा कि कहानियाँ लेखक के अनुभव, चिंतन और सकारात्मक सोच को दर्शाती हैं। उल्लेखनीय है कि डॉ विनोद सोमानी 'हंस' राजस्थान के उन चुनिंदा साहित्यकारों में से एक हैं जिन्हें राजस्थान साहित्य अकादमी ने वर्ष 2023—2024 के अमृत सम्मान से नवाजा है। डॉ विनोद सोमानी 'हंस' की अब तक लगभग 40 पुस्तकों का प्रकाशन हो चुका है जिनमें कहानी व कविता संग्रह, अनुवाद आदि शामिल हैं। नए कहानी संग्रह 'पराई पीड़ा' में लेखक ने विभिन्न 30 कहानियों के जरिए अपने जीवन के अनुभव और चिंतन को दर्शाया है। इन कहानियों में सकारात्मक सोच है, कहानियां समाज के लिए दिशा सूचक है। कहानियाँ पठनीय होने के साथ यथार्थवाद से संवरी व रोचकता को समेटे हुए हैं। कहानी संग्रह पराई पीड़ा की समीक्षा राजस्थान लेखिका साहित्य संस्थान जयपुर की सचिव डॉ सुषमा शर्मा ने की है। डॉ शर्मा ने डॉ विनोद सोमानी हंस को बधाई प्रेषित करते हुए कहा कि कहानियां भावना प्रधान तो हैं ही साथ ही बौद्धिक पक्ष भी इनसे उजागर हुए हैं। सम्यक् दर्शन, सम्यक् ज्ञान, सम्यक् आचरण ही णुणवत्ता का अनुशीलन है। हर कहानी में कथाकार के जज़्बात हैं। मन की प्यास मन के भाव हैं, जिससे कलम में मजबूती स्वयं आ गई हैं। हर कहानी भावाभिव्यक्ति को उजागर करती है कि भाव जितने व्यापक होंगे परिवेश भी गहरे, अनुभव पूर्ण होंगे। उन्होंने कहा कि उनकी कहानियां में मानव ह्रदय की हूक है, सत्य का बोध है, यथार्थ से भी यथार्थ का सिंचन है। साहित्यगार जयपुर द्वारा प्रकाशित पराई पीड़ा कहानी संग्रह के प्रारंभ में लेखक डॉ विनोद सोमानी हंस ने अपनी बात में लिखा कि जीवन के अभावों और असफलताओं में साहित्य ने मरहम का काम किया है। कहानियां को पढ़कर लगता भी है कि जिंदगी के हर मोड़ पर जो संबल मिला उससे जीवन को सही दिशा मिलना ही इन कहानियों का उद्देश्य रहा है। कहानी संग्रह में प्रस्तुत कहानियां वर्तमान की जीती जागती तस्वीर हैं, समाज के हर कोने, हर गलियारों से गुजरती ये कहानियां हर छोटे—बड़े के लिए प्रेरक और दिशा सूचक हैं। इन कहानियों में अनुभव है जो मन की प्यास बुझाने में सक्षम है। कहानियां संभावनाओं को आगाह भी करती है तो कहीं गंभीरता से बड़े चिंतन से सकारात्मक सोच को प्राथमिकता भी देती हैं। कहानी संग्रह के प्रारंभ में डॉ विनोद सोमानी 'हंस' के पुत्र सीए चार्टर्ड एकाउंटेंट डॉ श्याम सोमानी ने 'मुझे भी कुछ कहना है' लेख के माध्यम से अपने विचार व्यक्त किए हैं। उन्होंने कहा उनके पिता की रचनाएँ ही उनकी पहचान हैं। किसी ग्रुप या वाद से जुड़कर उन्होंने कभी कुछ पाने का प्रयास नहीं किया। जीवन में जो भोगा, देखा और अनुभव किया, वह लिखा। प्रस्तुत कहानियां इसका प्रमाण हैं। त्रासदी हो या यंत्रणा, गरीब या मध्यमवर्गीय संकट या किसी की सात्विक उन्नति, क्षोभ हो या हर्ष उनका लेखन शांत भाव से अपने पात्रों का अंकन करता है।

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