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अजयमेरु प्रेस क्लब में साहित्यधारा : रचनाएं होली के पावन पर्व की इंद्रधनुषी छटा से रही सराबोर

अजयमेरु प्रेस क्लब में साहित्यधारा : रचनाएं होली के पावन पर्व की इंद्रधनुषी छटा से रही सराबोर

अबके होली ऐसी आए, प्रेम, सौहार्द, करुणा संग लाए

अजमेर (अजमेर मुस्कान)। अजयमेरु प्रेस क्लब की मासिक साहित्यिक गोष्ठी साहित्यधारा, रविवार को शहर के 18 साहित्यकारों की सहभागिता के साथ संपन्न हुई। विषयानुसार इस बार रचनाएं होली के पावन पर्व की इंद्रधनुषी छटा से सराबोर रहीं।

गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार वीरेंद्र सक्सेना ने निभाते हुए अपनी व्यंग्य रचना पढ़ी। प्रभावी संचालन करते हुए वरिष्ठ पत्रकार अमित टंडन ने कई रोचक मुक्तक एवं अशआर प्रस्तुत किए, साथ ही अपनी रचना" इस शहर के हरेक मोड़ से तेरे घर की राह जोड़ दूँ", प्रस्तुत कर वाह - वाही लूटी। ग़ज़लकार डॉ. ब्रिजेश माथुर ने अपने चिर - परिचित अंदाज़ में तरन्नुम में मीठी सी ग़ज़ल" रात गुज़री, दिन सुहाने आ गए, आप आए शादियाने आ गए", सुनाकर गोष्ठी को नई ऊंचाइयाँ प्रदान की। कार्यक्रम संयोजक कवि एवं व्यंग्यकार प्रदीप गुप्ता ने अपनी ग़ज़ल" ज़िंदगी को हर रंग में ढलने दो, क़ुदरत को अपने तौर पे चलने दो" सुनाकर गोष्ठी में रंग जमाया। ग़ज़लकार सहर नसीराबादी ने अपनी ग़ज़ल" साथ समान लेके कहाँ चलता, वक़्त के दरिया में हर चीज़ बहा दी मैंने।" तरन्नुम में पेश कर तारीफ़ पाई। डॉ. विनीता अशित जैन के रचे होली मुक्तक में कान्हा जी की बांसुरिया झूम रही थी होकर मस्त मलंग, वहीं उनकी रचना "आओ ना" में हर पल को पूर्ण रूप से जीने का आग्रह रहा।

प्रतिभा जोशी के मधुर गीत ने जहाँ ब्रज में रंगों से कान्हा जी को भिगोया, वहीं भावना शर्मा के गीत में रंग भरे आपसी रिश्तों की अहमियत झलकी। बनवारी लाल शर्मा ने सपने में ब्रज में राधा - श्याम की होरी का अवलोकन किया, भंवरी देवी छीपा ने "अबके होली ऐसी आए, प्रेम, सौहार्द, करुणा संग लाए", सुनाकर सबका मन जीत लिया, शुभदा भार्गव ने कपड़े के थैले की उपयोगिता काव्य रूप में सुनाकर सामाजिक संदेश दिया, वहीं पुष्पा क्षेत्रपाल ने होली की ठिठोली व्यंग्य रचना सुनाई। कुलदीप खन्ना ने "आँखों की चमक हो, पलकों की हो शान" रचना पेश की, शंकरलाल दाधीच ने अनेक कवियों से प्रेरित मुक्तक सुनाए। अतिथि ग़ज़लकार रजनीश मैसी ने उम्दा कते सुनाकर गोष्ठी में चार चांद लगाए। लखनलाल माहेश्वरी ने होली के रंगों से सजा मारवाड़ी गीत गाकर सभी को मंत्र मुग्ध किया। डी. सी. देवड़ा' सुरंग' ने मधुर गीत" फूलों पे भँवरे डोले, ख़ुशबू के राज़ खोले" सुनाकर फाल्गुन मास में प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत वर्णन किया। किशनगढ़ से पधारे चंद्रभान सिंह ने "राह में कांटे इतने बिखरे पड़े हैं" रचना सुनाई।  कार्यक्रम के अंत में डॉ. विनीता अशित जैन ने होली की शुभकामनाओं के साथ सभी के प्रति आभार प्रकट किया।

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