जोधपुर (अजमेर मुस्कान)। संत नामदेव महाराज का वार्षिकोत्सव, धार्मिक आयोजन, आम भंडारा व सामूहिक पलव के साथ संत नामदेव सेवा समिति द्वारा हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।
कार्यक्रम संयोजक डॉक्टर कांतेश खेतानी ने बताया कि मुख्य अतिथि शिक्षाविध घनश्याम ठारवानी भगत ने संत नामदेव महाराज के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि उनका जन्म महाराष्ट्र के सतारा गांव में एक छीपा परिवार में हुआ समस्त परिवार भगवान विट्ठल के परम भक्त थे। लोक कथा प्रचलित है कि संत नामदेव बचपन में मां के कहने पर भगवान विट्ठल को दूध का भोग लगाने मंदिर में गए व प्रभु से दूध पीने की जिद करने लगे उस समय स्वयं विट्ठल भगवान ने प्रकट होकर बालक नामदेव को दर्शन दिया व उनका लाया हुआ दूध पिया। संत नामदेव का संपूर्ण जीवन मानव कल्याण के लिए समर्पित रहा एक बार एक श्वान उनकी रोटी लेकर भागा तो नामदेव उनके पीछे-पीछे घी का कटोरा लेकर भागे और यह कहते हुए गए की सूखी रोटी मत खाओ घी लगाकर लो। जिससे उनकी जीव दया की भावना प्रदर्शित होती है। इस अवसर पर राधा कृष्ण, शिव पार्वती, विट्ठल भगवान, संत नामदेव आदि की चलचलित झांकियां भी प्रस्तुत की गई। भक्ति संगीत कार्यक्रम के अंतर्गत घनश्याम भगत द्वारा विष्णु के अवतार दक्षिण भारत के प्रसिद्ध श्री विट्ठल भगवान की वाणी का स्मरण करवाया गया।
खेतानी ने बताया कि भक्त पुंडलिक से प्रसन्न होकर श्री कृष्ण रुक्मणी जब उन्हें दर्शन देने पहुंचे तो वह पिता की सेवा में व्यस्त थे भगवान को द्वार पर रुकने के लिए कहा, ईंट पर खड़े होकर भगवान ने अपने भक्त का इंतजार किया इसलिए उनका नाम विट्ठल पड़ा। कार्यक्रम समाप्ति पर आम भंडारे का आयोजन भी किया गया।
इस अवसर पर डॉ. कांतेश खेतानी, डॉ. सुनीता, महेश शंकु, अशोक भाटी, हरीश सोलंकी, रवि कुमार, भरत सोलंकी आदि सभी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का समापन सामूहिक पल्लव के साथ हुआ।
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