Ticker

6/recent/ticker-posts

हमारे बुजुर्ग विषय पर केंद्रित रही साहित्यधारा

हमारे बुजुर्ग विषय पर केंद्रित रही साहित्यधारा

उम्र के ढलते पड़ावों में मजा आने लगा है

अजमेर (अजमेर मुस्कान)। अजयमेरु प्रेस क्लब की मासिक साहित्य धारा इस बार बुजुर्गों पर केंद्रित रही। इस साहित्य धारा में विभिन्न साहित्यकारों ने बुजुर्गों के प्रति सम्मान, बुजुर्गों की वर्तमान स्थिति तथा बुजुर्गों के महत्व को अपनी रचनाओं के जरिए प्रस्तुत किया। इस साहित्यधारा की अध्यक्षता जग प्रकाश मंजुल ने की। उन्होंने अपनी रचना साथ के रोशन दिए बुझ गए कभी के, कभी के, कभी के प्रस्तुत कर माहौल बनाया। तो डॉक्टर बृजेश माथुर ने अपनी ग़ज़ल उम्र के ढलते पडावों में मजा आने लगा है गजल के जरिए वृद्धावस्था के दौर को एक अलग अंदाज में प्रस्तुत किया। उमेश चौरसिया ने बरगद और बुजुर्गों की स्थिति में साम्य दर्शाते हुए दोनों की घनी छाया को जीवन के लिए आवश्यक बताया। तो प्रदीप गुप्ता ने अपनी व्यंग्यात्मक रचना के जरिए यह बताने की कोशिश की कि कोई भी अपने आप को बूढा नहीं मानना चाहता। तस्दीक अहमद खान ने अपने गीत के माध्यम से बुजुर्गों के महत्व को बताया। साहित्य धारा का संचालन कर रही सुमन शर्मा ने मेरी दुनिया सुहानी है यह उनकी मेहरबानी है कविता के माध्यम से अपने जीवन को बुजुर्गों के आशीर्वाद का प्रतिफल बताया।

डॉ विनीता अशित जैन ने भोर को नमन करते प्रार्थना में जुड़ते हाथ रचना प्रस्तुत की। के.के. शर्मा ने बच्चे जब से बड़े हो गए कविता के जरिए बुजुर्गों के मनोभाव व्यक्त किये तो गंगाधर शर्मा हिंदुस्तान ने वीर रस से ओतप्रोत कविता सुनाई जिसमें बुढ़ापे की अवस्था का भी जिक्र किया गया था। पूर्णिमा पाठक ने हमारे बुजुर्ग तथा प्रतिभा जोशी ने माज़ी कविता प्रस्तुत की। शुभदा भार्गव ने बुढ़ापा बचपन का पुनरागमन लघु कथा के माध्यम से बुजुर्गों की देखभाल व संरक्षण का संदेश दिया। पुष्पा क्षेत्रपाल ने बुजुर्ग हमारी शान हैं, धरती के भगवान हैं कविता प्रस्तुत की।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ