Ticker

6/recent/ticker-posts

जिला कलक्टर डॉ भारती ने किया पुस्तक मुरली मधुर बजा दो श्याम का विमोचन


अमृत सम्मान प्राप्त डॉ विनोद सोमानी 'हंस' की पुस्तक है सद्भाव से ओतप्रोत : डॉ भारती

अजमेर (अजमेर मुस्कान)। अमृत सम्मान से सम्मानित राजस्थानी, मायण एवं हिंदी भाषा में सिद्धहस्त वयोवृद्ध साहित्यकार, लेखक एवं कवि  डॉ विनोद सोमानी 'हंस' की नई पुस्तक मुरली मधुर बजा दो श्याम का शुक्रवार को जिला कलक्टर अजमेर डॉ भारती दीक्षित ने कलेक्ट्रेट स्थित अपने कक्ष में विमोचन किया। लेखक के पुत्र डॉ सीए (चार्टेड अकाउंटेंट) श्याम सोमानी ने इस मौके पर कलक्टर डॉ भारती को पुस्तक की प्रति भेंट की। डॉ भारती ने पुस्तक के प्रति लगाव और लेखक डॉ विनोद सोमानी'हंस' के प्रति आत्मीयता दर्शाई। पुस्तक की कुछ कविताओं को पढ़कर उन्हें सद्भाव से ओतप्रोत बताया।

उल्लेखनीय है कि डॉ विनोद सोमानी 'हंस' राजस्थान के उन चुनिंदा साहित्यकारों में से एक हैं जिन्हें हाल ही में राजस्थान साहित्य अकादमी ने वर्ष 2023—2024 के अमृत सम्मान से नवाजा है। डॉ विनोद सोमानी 'हंस' की अब तक लगभग 40 पुस्तकों का प्रकाशन हो चुका है जिनमें कहानी व कविता संग्रह, अनुवाद आदि शामिल हैं। नई पुस्तक मुरली मधुर बजा दो श्याम डॉ विनोद सोमानी 'हंस' का ऐसा कविता संग्रह है जो राजस्थानी और हिन्दी दोनों ही भाषाओं में एक साथ है।

पुस्तक की समीक्षा राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सलाहकार और देश के जाने माने कवि व्यंग्यकार फारुख आफरीदी ने लिखी है। आफरीदी ने अपनी समीक्षा में लिखा है कि डॉ. हंस का सृजन सद्कर्म, सहिष्णुता और सद्भाव से ओतप्रोत है। मुरली मधुर बजा दो श्याम कविता संग्रह की विशेषता यह है कि यह दो भाषाओं में है। मायड़ भाषा राजस्थानी में इसका अनुवाद कुछ इस प्रकार है कि राजस्थानी भाषा की मठोठ इनमें गुंजित होती जान पड़ती है। इन्हें पढ़कर एक साधारण पाठक के लिए यह अनुमान लगाना मुश्किल है कि मूल रचना हिन्दी में है या राजस्थानी में क्योंकि दोनों की मौलिकता अद्वितीय है। इन कविताओं का इसलिए भी महत्व है कि ये हिन्दी की अनेक प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में समय — समय पर प्रकाशित होकर चर्चित हुई हैं। ये कविताएँ मनुष्य के कोमल मन को छू जाने वाली हैं। इनमें जीवन के सार तत्व मौजूद हैं। इन कविताओं में कवि के आध्यात्मिक ज्ञान और अनुभव का सुन्दर निरूपण हुआ है।

समीक्षक ने लिखा कि इस संग्रह की कविताओं से पाठक जीवन में सद्कर्म, संतोष, स्नेही, सद्भाव और करुणा के भाव से रूबरू होंगे जो शुद्ध सात्विक जीवन के अभिन्न अंग हैं। दो भाषाओं में कवि का काव्य सृजन पाठकीय दृष्टि से निस्संदेह अधिक विस्तार पाएगा। आशा है इस सृजन का हिन्दी और राजस्थानी दोनों भाषाओं के सुधि पाठकगण स्वागत करेंगे।

पुस्तक के अन्य समीक्षकों की दृष्टि में जहां प्रगति, उदयपुर ने लिखा है कि संग्रह में संकलित रचनाएं जीवन के प्रत्येक मोर्चे पर संघर्षरत व्यक्ति को दिशाबोध देने के साथ ही आस्था और विश्वास का संचार करती है। कथा लोक, दिल्ली ने कविता संग्रह की कविताओं को बहुत सरस एवं श्रेयोन्मुखी बताया। कथा लोक ने लिखा कि अनास्था के युग में कवि की आस्थापूर्ण कविताएं कुछ लोगों को बेसुरी लग सकती हैं, लेकिन काव्य को आमोद-प्रमोद नहीं अपितु किसी श्रेयस की फल श्रुति मानने वाले लोगों को उनका यह कविता संग्रह गहरा आनन्द देगा। ऐसा ही कुछ ललकार, चित्तौड़गढ़ ने लिखा कि समर्पण की अनुभूति हृदय को छूती चलती है। कविताओं को पढ़कर कोई भी ईश्वर भक्त भाव विभोर हुए बिना नहीं रहेगा।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ