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लिथोट्रिप्सी तकनीक से मित्तल हॉस्पिटल में किया महिला हार्ट रोगी का उपचार

विकसित तकनीक से दिल के रोगियों के उपचार अजमेर में संभव

विकसित तकनीक से दिल के रोगियों के उपचार अजमेर में संभव

अजमेर (अजमेर मुस्कान)।
मित्तल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर अजमेर के सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ विवेक माथुर ने महिला वृद्ध मरीज का शॉकवेव इंट्रावास्कुलर लिथोट्रिप्सी तकनीक से सफलता पूर्वक उपचार किया है। इस विकसित तकनीक से दिल के रोगियों के उपचार अजमेर में संभव होने लगे हैं। पहले इनके लिए महानगरों में जाना पड़ता था।

सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ विवेक माथुर ने बताया कि रेलवे हॉस्पिटल से रेफर 84 वर्षीय महिला रोगी के दिल की दो धमनियों में कैल्शियम जमा हो हुआ था। इनमें एक धमनी तो शत प्रतिशत कैल्शियम के कारण कठोर हो गई थी जबकि दूसरे में 95 प्रतिशत तक ब्लॉकेज था। वृद्ध महिला को 7 साल पहले भी हार्ट अटैक आ चुका था। वृद्धा अवस्था में बाईपास के लिए परिवारजन द्वारा तैयार नहीं होने की स्थिति में उन्हें लिथोट्रिप्सी तकनीक से उपचार देने का निर्णय किया गया। इसके लिए रेलवे के मेडिकल प्रबंधन से खास तौर पर अनुमति ली गई। महिला रोगी का उपचार कर उन्हें हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर दिया गया है। अब वे फोलोअप में हैं। इस तकनीक से वृद्धा का उपचार करने में हॉस्पिटल के कार्डियोलॉजी विभाग की पूरी टीम का सराहनीय योगदान रहा।

डॉ विवेक माथुर ने बताया कि शॉकवेव इंट्रावास्कुलर लिथोट्रिप्सी तकनीक की मदद से कोरोनरी आर्टरी डिजीज के एडवांस चरण वाले मरीज का भी इलाज करना संभव हो पाता है, जिनकी धमनी में कैल्शियम एकत्र होने के कारण हार्ड ब्लॉकेज बन जाता है। दिल की धमनियों में जमे कैल्शियम के थक्के को विशेष बैलून के जरिए अल्ट्रासोनिक शॉक से तोड़कर किए जाने से इसे शॉकवेव इंट्रावास्कुलर लिथोट्रिप्सी तकनीक कहते हैं। उन्होंने बताया कि इस तकनीक से रक्त वाहिकाओं की सतह को नरम कर दिया जाता है। इससे रक्त का प्रवाह सुचारु हो जाता है। यह तकनीक काफी सफल और आसान है। इसमें मरीजों को न तो चीरा लगाया जाता है. न ही कैल्शियम को हटाने के लिए किसी बड़े इंजेक्शन का प्रयोग किया जाता है। 

प्रत्येक 100 एंजियोप्लास्टी में से 10 मरीज कठोर धमनियां वाले

उन्होंने बताया कि तकरीबन सौ एंजियोप्लास्टी करने में लगभग 10 मरीजों की धमनियां कैल्शियम जमा होने के कारण बहुत ज्यादा कठोर पाई जाती हैं। ऐसे मरीजों को सामान्यतया बाइपास की सलाह ही दी जाती है। पर मरीज की शारीरिक स्थिति अच्छी नहीं होने अथवा उम्र बहुत ज्यादा होने पर इन विकसित तकनीक के माध्यम से मरीज का उपचार किया जाता है।  उन्होंने बताया कि मित्तल हॉस्पिटल में इस तकनीक से उपचार किए जाने से बहुत से बुर्जुग रोगियों को लाभ मिल रहा है।

निदेशक डॉ दिलीप मित्तल ने बताया कि एडवांस तकनीक के जरिए हृदय रोगियों को अजमेर में उपचार उपलब्ध हो रहा है, यह अच्छा है। हृदय रोगियों के लिए राहत की बात है। बहुत से हृदय रोगी अजमेर से बाहर जाकर उपचार पाने की अवस्था में नहीं होने के कारण रोग को नजरअंदाज करने लगते हैं। अब उन्हें अधिक उम्र व रोग की गंभीर अवस्था में बाईपास सर्जरी के बीच विकल्प स्थानीय स्तर पर मिल सकेगा।

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