भारत सरकार की ओर से विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस व सिन्ध स्मृति दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजन
अजमेर (अजमेर मुस्कान)। सिन्ध इतिहास एवं साहित्य शोध संस्थान की ओर सिंध स्मृति दिवस व भारत सरकार की ओर से विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस की पूर्व संध्या पर ‘बंटवारे में सिंध का त्याग‘ ऑनलाइन संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसे देशभर के लोगों ने ऑनलाइन देखा। इस संगोष्ठी में सिंधी शिक्षा समिति के अध्यक्ष भगवान कलवाणी, वरिष्ठ पत्रकार व लेखक गिरधर तेजवाणी, भारतीय सिन्धु सभा के राष्ट्रीय मंत्री महेन्द्र कुमार तीर्थाणी के साथ वार्ता की गई।
सिंध इतिहास एवं साहित्य शोध संस्थान के अध्यक्ष कवंल प्रकाश किशनानी ने अपना विषय रखते हुए कहा कि बंटवारे के समय राजनैतिक जागरूकता कम होने की वजह से सिंध का वह भू-भाग कोई भी हिस्सा हिंद में नहीं मिल पाया। हमारे पूर्वजों को अपनी जमीन जायदाद व व्यापार हिन्दुत्व की रक्षा के लिए मातृभूमि को त्याग कर देश के विभिन्न प्रान्तों में स्थापित होना पड़ा जो आज आर्थिक व अन्य क्षेत्रों में विदेशों तक अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
भगवान कलवाणी ने अपना विषय रखते हुये कहा कि उस समय के हालात इतने कठिन थे परिवार अपने आजीविका के लिये संघर्ष कर रहे थे, विद्या के क्षेत्र में समाज ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई उस वजह से स्थापित होने में कठिनाइयां कम आई।
गिरधर तेजवाणी ने कहा कि बंटवारे के बाद 76 वर्ष बाद हमें नई पीढ़ी को व्यापार के अलावा राजनैतिक, प्रशासनिक व साहित्य के क्षेत्र में आगे आना चाहिये, जिससे अगली पीढ़ी गर्व कर सके। हमारे बडे़ सिंध से विस्थापित होकर जब आये तो कई तकलीफों का सामना करना पड़ा व आज समाज उॅंचाईयों की तरफ अपना स्थान बनाया है।
महेन्द्र कुमार तीर्थाणी ने कहा कि सिंधी समाज को भूमिहीन राज्य होने की वजह से राज्य सभा, लोकसभा, विधानपरिषद व स्थानीय निकायों में भारत सरकार को प्रतिनिधित्व देना चाहिये। हम स्वंतत्रता दिवस की तैयारी कर देशभक्ति के कार्यक्रम कर रहे हैं परन्तु सिंध के अलग होने के कारण सिंध स्मृति दिवस के रूप में कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं।
इसके बाद आओ सिन्धी सिखें का ऑनलाईन व ऑफलाईन निःशुल्क प्रशिक्षण व सिंध से जुड़ी जानकारियां सिंध इतिहास एवं साहित्य शोध संस्थान द्वारा द्वितीय तल, श्री अमरापुरा सेवा घर, 423 प्रगति नगर, खेल मैदान के सामने कोटड़ा पर दी गई। प्रशिक्षण देने वालों में रीटा चंदीरमानी, मीना तेजवानी, लक्ष्मण चंदीरमानी, जया जगवानी, नरेन्द्र कुमार मंगलानी, कैलाश लख्वानी ने किया।
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