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रक्षा करण मुहिंजो झूलणु आयो...चालिहो का संदेश - कलवानी


सिंध के इतिहास एवं साहित्य की जानकारी देना ही शोध संस्थान मुख्य उद्धेश्य - किशनानी

नई पीढ़ी को सिंधी भाषा का ज्ञान आवश्यक आओ सिन्धी सिखें सार्थक प्रयास - तीर्थानी

आराध्यदेव झूलेलाल चालीहो के महत्व पर परिचर्चा व आओ सिन्धी सीखें साप्ताहिक कक्षा का शुभारंभ

अजमेर (अजमेर मुस्कान)। सिंधी समाज महासमिति द्वारा सिन्ध इतिहास एवं साहित्य शोध संस्थान श्री अमरापुर सेवा घर, 423 प्रगति नगर, कोटड़ा, अजमेर के द्वितीय तल पर आराध्यदेव झूलेलाल चालीहो के महत्व पर प्रकाश डाला गया। व विद्यार्थियों को सिन्धी भाषा जोडने के लिये आओ सिन्धी सीखें साप्ताहिक कक्षा का शुभारंभ किया गया।

अध्यक्ष कंवल प्रकाश किशनानी ने बताया कि सिंध के इतिहास एवं साहित्य की जानकारी देना ही शोध संस्थान मुख्य उद्धेश्य है, और आज 16 जुलाई से 25 अगस्त तक चलने वाले आराध्य झूलेलाल चालीहो के चालिहो का संदेश नई पीढ़ी व आमजन तक पहुंचाना है। हम सिंध के इतिहास के जानकार बंधुओं को बुलाकर विभिन्न विषयों पर परिचर्चाऐं की जायेगी व सिंधी बोली का ज्ञान युवाओं को हो इसके लिए विभिन्न प्रयास किये जायेगे।

आराध्य झूलेलाल की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए महेन्द्र कुमार तीर्थानी ने कहा कि उदेरोलाल, घोड़ेवारो, जिन्दपीर, लालसाँई, पल्लेवारो, ज्योतिनवारो, अमरलाल आदि.के नाम से जाना जाता है। पूजा तथा स्तुति का तरीका कुछ भिन्न हैं जल के देव होने के कारण इनका मंदिर लकड़ी का बनाकर जल में रखकर इनके नाम दीपक जलाकर भक्त आराधना करते हैं।

भगवान कलवानी ने कहा कि रक्षा करण मुहिंजो झूलणु आयो...चालिहो मनाने का प्रमुख कारण 11वीं सदी में शासक मिरक शाह के अत्याचार से तंग आकर के हिंदू जनता ने 40 दिन तक वरुण देवता की तपस्या करने का निर्णय लिया और इसके बाद सिन्धु के तट पर वरुण देवता की कठोर तपस्या की गई। आकाशवाणी हुई उसके बाद वरुणदेव उदेरोलाल ने जलपति के रूप में मछली पर सवार होकर लोगों को दर्शन दिया, व भगवान झूलेलाल जी का जन्म चौत्र शुक्ल 2 संवत 1007 को जन्म ठठा नगर, नसरपुर, अखण्ड भारत सिन्ध प्रान्त,वर्तमान पाकिस्तान लेकर जनता का कल्याण किया।

दयाल शेवाणी ने कहा कि उन चालीस दिनों की आराधना को अपने संस्कारों को जीवित रखने के लिए विधि-विधान से चालिहा रखा जाता है, जिसमें प्रत्येक दिन गणेश वंदना, हनुमान चालीसा,  झूलेलाल चालीसा में दोहा व चौपाईयां का पाठ किया जाता है, जिससे सुख  सम्पदा व मनोकामनाऐं पूरी होती है।

रीटा चदीरामाणी ने विद्यार्थियों को ‘अचो त सिन्धी सिखूं’ आओ तो सिन्धी सिखें के साप्ताहिक कोर्स के बारें में जानकारी देते हुए बताया कि लिपि ज्ञान के अलावा रोजमर्रा काम में आने वाले शब्दों को अर्थ के साथ समझाया जायेगा।

जसवंत गनवानी ने मात्र भाषा सिंधी लिपी की जानकारी देते हुए बताया कि संविधान की आठवीं सूची में मान्यता प्राप्त है। कार्यक्रम के प्रारंभ में आराध्य देव झूलेलाल के समक्ष पुष्प अर्पित कर कार्यक्रम का विधिवत् प्रारंभ किया। कार्यक्रम में डॉ भरत छबलानी, कैलाश लखवानी, राजेश टेकचंदानी, किशनचंद, आशा व जया जगवानी सहित कार्यकर्ता उपस्थित थे।

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