अजमेर (अजमेर मुस्कान)। प्रत्येक समाज की पहचान उसके रीति रिवाज उसकी लोक कलाएं व तहजीब होती है। सिंधी समाज की लुप्तप्राय लोककला जिसे कि भगत कहा जाता है। भगत कला की प्रस्तुति देने वाले कलाकार भारत वर्ष में उंगलियों पर गिनने जितने ही हैं। नई पीढ़ी इस लोक कला से कोसों दूर है आधुनिक युग में लोक कलाएं पर्याय लुप्त होती जा रही है। सिंधी लोककला भगत के अंतर्गत एक प्रमुख गायक, सहायक, हारमोनियम, ढोलक सारंगी, तबला खंजरी इत्यादि परंपरागत साज होते हैं। जिसमें गायक दंत कथाओं के साथ शूर वीरों की गाथाएं, देश भक्ति के किस्से, प्रेरणास्पद प्रसंग, समाजिक शिक्षा देने वाली कथाएं गीत संगीत के माध्यम से सुनाते हैं।
पूज्य सिंधी सेंट्रल पंचायत बिलासपुर, भारतीय सिंधु सभा बिलासपुर छत्तीसगढ़, संत कवरराम सेवा संकल्प संस्था, पूज्य सिंधी पंचायत शंकर नगर रायपुर, सिंधी अकैडमी रायपुर छत्तीसगढ़ के सहयोग से के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित सिंधी लोक संगीत उत्सव व संत कंवरराम जयंती उत्सव में अजमेर के घनश्याम भगत द्वारा सिंधी लोककला भगत की अद्भुत प्रस्तुति हेतु व देशभर में ग्रीष्मावकाश में चलाए जा रहे सिंधी बाल संस्कारों में बच्चों को सिंधी भाषा, कला, संस्कृति व साहित्य की जानकारी देने के लिए विनीता भावनानी, पी. एन. बजाज द्वारा उत्कृष्ट सेवाओं हेतु मोमेंटो, श्रीफल, शॉल व साफा पहनाकर सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर संत राजेश लाल साहेब कंवर पूज्य कंवर धाम अमरावती, संत उदयलाल शदाणी दरबार, संत जय मसंद का आशीर्वाद प्राप्त हुआ। संत कंवर राम सेवा संकल्प रायपुर के अध्यक्ष अमित जीवन, छत्तीसगढ़ सिंधी अकादमी के उपाध्यक्ष नानक रेलवानी, समाजसेवी सुमित विधानी, प्रकाश माधवानी, पवन प्रीतवाणी, अनिल बुलचंदानी, राम खटवानी, तुलसी सेठिया आदि सभी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन महेश मोटलानी द्वारा किया गया।
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