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सिन्ध व हिन्द के गौरवमीय इतिहास का ज्ञान संस्कार शिविरों में - किशनानी

सिन्ध व हिन्द के गौरवमीय इतिहास का ज्ञान संस्कार शिविरों में - किशनानी

अजमेर (अजमेर मुस्कान) ।
सिन्ध व हिन्द के गौरवमयी इतिहास ज्ञान के साथ भाषा व संस्कृति से रूबरू होकर बाल संस्कार शिविरों का आयोजन हो रहा है इससे विद्यार्थी व युवा पीढी जुड़कर स्थापित होने वाली शोध पीठ में भी अध्ययन करे  ऐसे विचार ताराचंद हुंदलदास खानचंदाणी सेवा संस्थान (श्री अमरापुर सेवा घर) वृद्धाश्रम एवं प्रशिक्षण केन्द्र पर भारतीय सिन्धु सभा व सिन्धी समाज महासमिति के संयुक्त तत्वावधान में सिन्धी बाल संस्कार शिविर के समापन अवसर पर महासमिति अध्यक्ष कवंल प्रकाश किशनानी ने प्रकट किये। उन्होने विद्यार्थियों से श्री अमरापुर सेवा घर में शुरू होने वाले सिन्धु शोधपीठ के साथ अन्य गतिविधियों में भी जुड़ने की अपील की।

केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, पूना से आये अनुभाग अधिकारी जयकिशन हिरवाणी ने कहा कि ऐसे शिविरों का आयोजन देश भर में होना चाहिये व विद्यार्थियों को सिन्धी विषय लेकर अध्ययन व प्रशासनिक प्रतियोगिता में भी सिन्धी विषय का चयन करना चाहिये।

सभा के राष्ट्रीय मंत्री महेन्द्र कुमार तीर्थाणी ने कहा कि देश भर में चलने वाले शिविरों में से यह विशेष अवसर मिला है कि भाषा के साथ अन्य गतिविधियों पर भी जुडाव किया गया। पूर्व मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. भरत छबलाणी ने विद्यार्थियों को स्वास्थ्य की विशेष जानकारी के साथ याददाष्त बढाने का भी ज्ञान दिया।

कार्यक्रम का शुभारंभ आराध्यदेव झूलेलाल, सिन्ध व हेमू कालाणी के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्जवलन कर किया गया। स्वागत भाषण रमेश मेंघाणी व आभार अध्यक्ष नरेन्द्र बसराणी ने प्रकट किया। संगठन मंत्री मोहन कोटवाणी ने बताया कि शिविर में सम्मिलित सभी विद्यार्थियों को प्रशस्ति पत्र प्रदान किये गये। सत्र का संचालन कैलाश लखवाणी ने किया। शिविर संयोजक शंकर बदलाणी का सराहनीय सेवा पर शॉल श्रीफल देकर सम्मानित किया गया। महेश टेकचंदाणी, लक्षमण चंदीरामाणी, द्रोपदी गोपलाणी व रीट चंदीरामाणी ने शिक्षण के अलावा योग व अन्य गतिविधियों में सहयोग किया।

रंग भरो प्रतियोगिता के विजेताओं का सम्मान

शिविर में महाराजा दाहरसेन के चित्र पर रंग भरो प्रतियोगिता में विजेता तीन विद्यार्थियों को प्रशस्ति पत्र व स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। प्रथम स्थान वेदिका रामचंदाणी, द्वितीय देंवाशी गोपलाणी व तृतीय नविका सोनी रही। अंत में सामूहिक राष्ट्रगान से समापन किया गया।

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