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अजमेर के लिये पर्याप्त पेयजल किन्तु वितरण व्यवस्था में सुधार की जरूरत

अजयमेरु प्रेस क्लब में अजमेर की जल समस्या पर प्रबुद्धजन की संगोष्ठी 

अजमेर के लिये पर्याप्त पेयजल किन्तु वितरण व्यवस्था में सुधार की जरूरत

अजमेर (अजमेर मुस्कान)।
 शहर की जल वितरण व्यवस्था की कमियों को यदि दुरुस्त भर कर लिया जाये तथा अजमेर को इसके हिस्से का पानी यथावत भी मिलता रहे तो भी शहरवासियों को पानी के लिये तरसना न पड़े। यह निष्कर्ष था रविवार को अजयमेरू प्रैस क्लब में आयोजित अजमेर के प्रमुख नागरिकों की संगोष्ठी का, जिसका आयोजन जनमंच एवं अजयमेरू प्रेस क्लब ने मिल कर किया।
अजमेर के लिये पर्याप्त पेयजल किन्तु वितरण व्यवस्था में सुधार की जरूरत

अजमेर की जल समस्या पर आयोजित इस सफल संगोष्ठी में आम नागरिकों व विकास समिति पदाधिकारियों के अतिरिक्त पी.एच.ई.डी. सिटी डिवीजन के अधीक्षण अभियंता सम्पत जीनगर, पूर्व अतिरिक्त मुख्य अभियन्ता अनिल जैन, पूर्व आई.ए.एस. स्नेहलता पंवार, सेवा निवृत न्यायाधीश उमाकांत अग्रवाल, पूर्व जिला प्रमुख सत्य किशोर सक्सेना, एडवोकेट अजय वर्मा सहित अनेक अधिवक्ता एवं प्रबुद्धजन ने भाग लिया। संचालन पूर्व न्यायाधीश किशन गुर्जर ने किया।

आरम्भ में विषय विशेषज्ञ के रूप में अनिल जैन नें अजमेर की जलयोजनाओं की पृष्ठभूमि, अजमेर की भौगोलिक स्थितियों एवं बीसलपुर परियोजना के सभी तकनीकी पक्षों की जानकारी देते हुए बताया कि अजमेर के पास अब जलआपूर्ति के लिये न सिर्फ वांछित संसाधन एवं संरचना है बल्कि अजमेर को पर्याप्त पानी की आपूर्ति भी हो रही है। बस जरूरत है इसके समुचित प्रबन्धन एवं नागरिकों के आत्मानुशासन की।उन्होंने कहा पानी का दुरुपयोग, लीकेज,चोरी,बगैर माप के पानी की सप्लाई आदि पर नियंत्रण कर लिया जाये तो समस्या को और बेहतर तरीके से हल किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सिर्फ बीसलपुर पर निर्भर रहने के बजाय क्षेत्र के परम्परागत जलस्रोतों, कुओं झालरों का पुनरुद्धार हो तो समस्या का स्थायी हल हो सकेगा।

पूर्व जिला प्रमुख सत्यकिशोर सक्सेना नें जैन द्वारा दी गई इस जानकारी की पुष्टि की कि बीसलपुर प्रोजेक्ट मूल रूप से अजमेर के साथ साथ जयपुर के पेयजल व टोंक आदि जिलों में सिंचाई के हिसाब से बनाया गया था। अत: यह मानना अनुचित है कि अजमेर का हक मारा जा रहा है। स्नेह लता पंवार ने कहा कि पानी की समस्या अजमेर की पहचान बन चुकी है। आम आदमी को जीवन में तीन ही चीजें प्राथमिक रूप से चाहिये होती हैं। पानी, बिजली और सड़क। उन्होंने कहा अजमेर में इन तीनों ही समस्याओं से रूबरू होना पड़ता है। पानी की समस्या अजमेर की पहचान बन चुकी है। वरिष्ठ पत्रकार डा. रमेश अग्रवाल ने कहा कि सैंकड़ों करोड़ रुपये खर्च हो जाने व स्मार्टसिटी जैसी योजना पूरी हो जाने के बावजूद यदि अजमेर के किसी भी भाग को पानी के लिये तरसना पड़ रहा है तो इस सारे इन्फ्रास्ट्रक्चर और खर्च का फायदा क्या है। जो समस्या है इसे नकारा नहीं जा सकता।एडवोकेट अजयवर्मा ने कहा कि पीएचईडी द्वारा आम लोगों को आंकड़ों के जाल से भ्रमित करने का प्रयास किया जाता है मगर सच्चाई यह है कि जलसमस्या के लिये यह विभाग और इसके अधिकारी ही जिम्मेदार हैं। बैठक में मौजूद अधिकतर विकास समिति पदाधिकारियों एवं नागरिकों ने पानी वितरण का समय और दिन निर्धारित न होने को सबसे बड़ी समस्या बताया। अन्त में सम्पत जीनगर नें लोगों की शिकायतों के उत्तर देते हुए कहा कि जल वितरण का समय निर्धारित हो इसके लिये यद्यपि मोनिटरिंग को और प्रभावशाली बनाया जायेगा किन्तु विद्युत आपूर्ति व अनेक क्षेत्रीय दबाव आदि की चुनौती रहती है। उन्होंने बताया कि 186 करोड़ की अमृत 2 योजना को तकनीकी स्वीकृति मिलते ही टेलएन्ड के इलाकों में नलकूप आदि की पूरक जल व्यवस्था हो सकेगी किन्तु इन इलाकों को पर्याप्त पानी देने के लिये पानी की बर्बादी को भी रोकना होगा। संयोजक किशन गुर्जर ने कहा कि जल समस्या को लेकर जनमंच द्वारा आगे भी निरन्तर प्रयास जारी रहेंगे। पूर्व न्यायाधीश उमाकांत अग्रवाल ने अध्यक्षीय उद्बोधन दिया व वरिष्ठ पत्रकार राजेन्द्र् गुंजल ने आभार व्यक्त किया।     

अजमेर की जल समस्या पर प्रबुद्धजन की संगोष्ठी 
अजमेर के लिये पर्याप्त पेयजल किन्तु वितरण व्यवस्था में सुधार की जरूरत
अजमेर (अजमेर मुस्कान)। शहर की जल वितरण व्यवस्था की कमियों को यदि दुरुस्त भर कर लिया जाये तथा अजमेर को इसके हिस्से का पानी यथावत भी मिलता रहे तो भी शहरवासियों को पानी के लिये तरसना न पड़े। यह निष्कर्ष था रविवार को अजयमेरू प्रैस क्लब में आयोजित अजमेर के प्रमुख नागरिकों की संगोष्ठी का, जिसका आयोजन जनमंच एवं अजयमेरू प्रेस क्लब ने मिल कर किया।
अजमेर की जल समस्या पर आयोजित इस सफल संगोष्ठी में आम नागरिकों व विकास समिति पदाधिकारियों के अतिरिक्त पी.एच.ई.डी. सिटी डिवीजन के अधीक्षण अभियंता सम्पत जीनगर, पूर्व अतिरिक्त मुख्य अभियन्ता अनिल जैन, पूर्व आई.ए.एस. स्नेहलता पंवार, सेवा निवृत न्यायाधीश उमाकांत अग्रवाल, पूर्व जिला प्रमुख सत्य किशोर सक्सेना, एडवोकेट अजय वर्मा सहित अनेक अधिवक्ता एवं प्रबुद्धजन ने भाग लिया। संचालन पूर्व न्यायाधीश किशन गुर्जर ने किया।
आरम्भ में विषय विशेषज्ञ के रूप में अनिल जैन नें अजमेर की जलयोजनाओं की पृष्ठभूमि, अजमेर की भौगोलिक स्थितियों एवं बीसलपुर परियोजना के सभी तकनीकी पक्षों की जानकारी देते हुए बताया कि अजमेर के पास अब जलआपूर्ति के लिये न सिर्फ वांछित संसाधन एवं संरचना है बल्कि अजमेर को पर्याप्त पानी की आपूर्ति भी हो रही है। बस जरूरत है इसके समुचित प्रबन्धन एवं नागरिकों के आत्मानुशासन की।उन्होंने कहा पानी का दुरुपयोग, लीकेज,चोरी,बगैर माप के पानी की सप्लाई आदि पर नियंत्रण कर लिया जाये तो समस्या को और बेहतर तरीके से हल किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सिर्फ बीसलपुर पर निर्भर रहने के बजाय क्षेत्र के परम्परागत जलस्रोतों, कुओं झालरों का पुनरुद्धार हो तो समस्या का स्थायी हल हो सकेगा।
पूर्व जिला प्रमुख सत्यकिशोर सक्सेना नें जैन द्वारा दी गई इस जानकारी की पुष्टि की कि बीसलपुर प्रोजेक्ट मूल रूप से अजमेर के साथ साथ जयपुर के पेयजल व टोंक आदि जिलों में सिंचाई के हिसाब से बनाया गया था। अत: यह मानना अनुचित है कि अजमेर का हक मारा जा रहा है। स्नेह लता पंवार ने कहा कि पानी की समस्या अजमेर की पहचान बन चुकी है। आम आदमी को जीवन में तीन ही चीजें प्राथमिक रूप से चाहिये होती हैं। पानी, बिजली और सड़क। उन्होंने कहा अजमेर में इन तीनों ही समस्याओं से रूबरू होना पड़ता है। पानी की समस्या अजमेर की पहचान बन चुकी है। वरिष्ठ पत्रकार डा. रमेश अग्रवाल ने कहा कि सैंकड़ों करोड़ रुपये खर्च हो जाने व स्मार्टसिटी जैसी योजना पूरी हो जाने के बावजूद यदि अजमेर के किसी भी भाग को पानी के लिये तरसना पड़ रहा है तो इस सारे इन्फ्रास्ट्रक्चर और खर्च का फायदा क्या है। जो समस्या है इसे नकारा नहीं जा सकता।एडवोकेट अजयवर्मा ने कहा कि पीएचईडी द्वारा आम लोगों को आंकड़ों के जाल से भ्रमित करने का प्रयास किया जाता है मगर सच्चाई यह है कि जलसमस्या के लिये यह विभाग और इसके अधिकारी ही जिम्मेदार हैं। बैठक में मौजूद अधिकतर विकास समिति पदाधिकारियों एवं नागरिकों ने पानी वितरण का समय और दिन निर्धारित न होने को सबसे बड़ी समस्या बताया। अन्त में सम्पत जीनगर नें लोगों की शिकायतों के उत्तर देते हुए कहा कि जल वितरण का समय निर्धारित हो इसके लिये यद्यपि मोनिटरिंग को और प्रभावशाली बनाया जायेगा किन्तु विद्युत आपूर्ति व अनेक क्षेत्रीय दबाव आदि की चुनौती रहती है। उन्होंने बताया कि 186 करोड़ की अमृत 2 योजना को तकनीकी स्वीकृति मिलते ही टेलएन्ड के इलाकों में नलकूप आदि की पूरक जल व्यवस्था हो सकेगी किन्तु इन इलाकों को पर्याप्त पानी देने के लिये पानी की बर्बादी को भी रोकना होगा। संयोजक किशन गुर्जर ने कहा कि जल समस्या को लेकर जनमंच द्वारा आगे भी निरन्तर प्रयास जारी रहेंगे। पूर्व न्यायाधीश उमाकांत अग्रवाल ने अध्यक्षीय उद्बोधन दिया व वरिष्ठ पत्रकार राजेन्द्र् गुंजल ने आभार व्यक्त किया। 

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