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अजमेर : जेएलएन चिकित्सालय में हुई पहली ओपन हार्ट सर्जरी

अजमेर : जेएलएन चिकित्सालय में हुई पहली ओपन हार्ट सर्जरी

अजमेर (अजमेर मुस्कान)।
चिकित्सा क्षेत्र के इतिहास में जवाहर लाल नेहरू आयुर्विज्ञान महाविद्यालय से सम्बद्ध जेएलएन चिकित्सालय द्वारा ओपन हार्ट सर्जरी कर एक नई उपलब्धि अर्जित की गई है। 

जेएलएन मेडिकल कॉलेज के अतिरिक्त प्राचार्य डॉ. एस. के. भास्कर ने बताया कि कार्डियो थोरेसिक एवं वेस्क्युलर सर्जरी विभाग द्वारा पहली ओपन हार्ट सर्जरी की गई। इसके द्वारा  महाविद्यालय के चिकित्सकों ने एक नया कीर्तिमान रच दिया। एक 27 वर्षीय महिला कई दिनों से सांस की तकलीफ और तेज दिल की धड़कन से पीड़ित थी।  उसने कई जगह दिखाया, लेकिन उसकी सांस की तकलीफ में फायदा नहीं हो रहा था। जेएलएन के सीटीवीएस के सर्जन डॉ. प्रशांत कोठारी ने परीक्षण किया और ईको करवाया।  मरीज के दिल में जन्मजात छेद और वाल्व खराब दोनो खराब पाया गया।  मरीज के परिजनों को समझाया कि सिर्फ ऑपरेशन ही इलाज है।  डॉ. कोठारी ने ऑपरेशन के लिए संसाधन जुटाने शुरू किए। मरीज को इन्होंने  ऑपरेशन के लिए तैयार किया। राजकीय चिकित्सकों द्वारा सम्भाग की पहली हार्ट सर्जरी 27 वर्ष की महिला के एएसडी क्लोजर विथ ऑटोलोगस पेरीकार्डियल पेच सर्जरी सम्पन की गई।

उन्होंने बताया कि संस्थान के प्राचार्य डॉ. वीर बहादुर सिंह द्वारा ऑपरेशन  में होने वाले सभी संसाधन  को उपलब्ध करवाने मे सहयोग दिया। मेडीकल सुप्रींडेण्ट डॉ. नीरज गुप्ता ने ऑपरेशन के लिए सभी सामग्री चिरंजीवी स्वस्थ्य बीमा योजना से  निःशुल्क उपलब्ध करवाई। इसका पैकेज एक लाख बीस हजार था। ऑपरेशन से पहले एनेस्टथीसिया विभाग की फिटनेस के लिए विभागाध्यक्ष डॉ. वीणा माथुर को दिखाया गया। लाइफ लाइन के नोडल ऑफिसर डॉ. अरविंद खरे  ने ओपन हार्ट में आने वाली आवश्यक सामान को  मेडिकल ड्रग स्टोर द्वारा  निःशुल्क   दिलाया गया ।

उन्होंने बताया कि डॉ. प्रशांत कोठारी ने मरीज को ऑपरेशन के लिए लिया। एनेस्थीसिया डॉ. खरे एवं डॉ.कुलदीप  ने दिया। मरीज को हार्ट लंग मशीन पर लिया गया।  ऑपरेशन लगभग  6 घंटा चला।  इस ऑपरेशन में मरीज के एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट (एएसडी) के अन्तर्गत हार्ट की दीवार में छेद को रिपेयर किया गया।  ऑपरेशन के बाद मरीज को वेंटीलेटर सहित आईसीयू में शिफ्ट किया गया। वहां पर 24 घंटे मरीज की मॉनिटरिंग की गई। मरीज अगले दिन सुबह वेंटिलेटर से बाहर आ गया। उल्लेखनीय है कि सर्जरी पूर्णतया रक्तरहित हुई। ऑपरेशन में मरीज को एक भी यूनिट ब्लड चढ़ाने की आवश्यकता नहीं पड़ी। अब मरीज पूर्णतया स्वस्थ है।

उन्होेंने बताया कि अब कार्डियो थोरेसिक वस्कुलर सर्जरी विभाग जेएलएन मेडिकल कॉलेज में मरीजों को सभी प्रकार की सीटीवीएस सर्जरी की सुविधा मिलेगी। उन्हें जयपुर एवं अन्य स्थानों पर नहीं जाना पडे़गा। इसमें बाई पास एवं हार्ट वाल्व के ऑपरेशन मुख्य है।

सर्जरी में रेजीडैन्ट चिकित्सक डॉ. रतन, डॉ. मानसी, सीटीवीएस के डॉ. चित्रांश एवं भावना, डॉ. विरूक्षा, ओटी इंचार्ज कांता  और नसिर्ंग स्टाफ  का महत्वपूर्ण सहयोग रहा।

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