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सिन्धी सभ्यता व संस्कृति का उत्तराधिकारी होने पर हमें अत्यन्त गर्व महसूस होता है : राजकुमार बठीजा

सिन्धी सभ्यता व संस्कृति का उत्तराधिकारी होने पर हमें अत्यन्त गर्व महसूस होता है : राजकुमार बठीजा

सिन्धी भाषा दिवस के अवसर पर पूज्य सिन्धी पंचायत अजमेर की ओर से वैचारिक गोष्ठी का आयोजन  

अजमेर (अजमेर मुस्कान)। सिन्धी सभ्यता और संस्कृति का उत्तराधिकारी होने पर हमें अत्यन्त ही गर्व महसूस होता है। सिन्धी भाष आज विश्व के प्रत्येक कोने में रहकर सिन्धी सभ्यता एवं संस्कृति को विख्यात करने का महत्वपूर्ण कार्य कर रहे है। उपरोक्त विचार शिक्षाविद राजकुमार बठीजा ने पूज्य सिन्धी पंचायत अजमेर की ओर से आयोजित सिन्धियत का हमारे जीवन में महत्व विषय पर वैचारिक गोष्ठी को सम्बोधित करते हुए मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किये।

पूज्य सिन्धी पंचायत के संसथापक व महासचिव एवंज न सेवा समिति के महासचिव रमेश लालवानी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए बताया कि सिन्धी भाषी लोग विश्व में जहां जहां पर भी रहते है उस स्थान को खीर खण्ड बनकर सिन्ध बना देते है। सिन्धी भाषा का सम्बंध विश्व की प्राचीनतम सिन्धू धाटी व सभ्यता से जुड़ा हुआ है।समाज सेवी लत्ता भैरूमल बच्चानी ने अपने संदेश के माध्यम से आर्य समाज मून्दडी मौहल्ला के भवन में आयोजित वैचारिक गोष्ठी में व्यक्त किये। सिन्धियत दिवस के अवसर पर शिक्षाविद्व खियलदास मंगलानी ने सिन्धी भाषा,लिपि एवं सभ्यता व संस्कृति को संजोये रखने में अपना योगदान करने की अपील की।चेतन मंगलानी ने बताया सिन्धियत दिवस 10 अप्रेल 1967 के दिन भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूचि में सिन्धी भाषा को भारतीय संविधान में सम्मलित किये जाने के उपलक्ष में मानाया जाता है। 

इस अवसर पर पुष्पा छतवानी, भगवन्ती आडवानी, चन्द्रा देवनानी, चतुर मूलचन्दानी, हेमराज, लालचन्द आर्य ने भी सिन्धियत के महत्व पर प्रकाश डाला।

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