Ticker

6/recent/ticker-posts

विश्व सेवा-सत्संग दिवस पर संकीर्तन यात्रा निकाली


अजमेर (अजमेर मुस्कान)।
संत आशाराम आश्रम द्वारा संचालित श्री योग वेदांत सेवा समिति, अजमेर द्वारा पूज्य बापूजी का अवतरण दिवस अर्थात् ‘विश्व सेवा-सत्संग दिवस’ निमित्त शहर में एक विशाल संकीर्तन यात्रा का आयोजन हुआ जिसमें सांस्कृतिक झाँकियों के साथ-साथ समिति द्वारा संचालित सेवाकार्य, संत-महापुरुषों की महिमा, देशभक्ति दर्शाते बैनर और गरीबों की सेवा के संदेश को लेकर सैंकड़ों की संख्या में लोगों ने भाग लिया ।


भीड़ देख के लगा कि बापूजी के जेल में होने के बावजूद उनके शिष्यों की श्रद्धा में थोड़ी भी कमी नहीं आयी है । संकीर्तन यात्रा श्री टाकीज समिति कार्यालय से शुरू होकर, प्लाजा टॉकीज, केसरगंज, रावण की बगीची, आशागंज, सुखाडिया नगर, डिग्गी चौक, पड़ाव, मदार गेट, गांधी भवन, रेलवे स्टेशन से होते हुए श्री टॉकीज समिति कार्यलय पर पहुंचकर सम्पन्न हुई । 

जगह-जगह संकीर्तन यात्रा का पुष्प वर्षा कर स्वागत किया गया । इसके अलावा गरीबों, जरूरतमंदों में भंडारा व जीवनोपयोगी सामग्रियों का वितरण भी किया गया । इस निमित्त विभिन्न जगहों पर निःशुल्क शरबत, छाछ व जल प्याउओं की सेवा की गयी जो आगे भी पूरी गर्मियों में चालू रहेगी। इन प्याउओं पर भारी संख्या में आम जनता की भीड़ बनी रही । 


स्थानीय श्री योग वेदांत सेवा समिति के अध्यक्ष सुनील पारीक ने बताया कि आज विश्व के सामने खड़ी अनेक समस्याओं का समाधान समाज की निःस्वार्थ भाव से सेवा करने से ही सम्भव है। इसका उद्घोष एवं सफल भगीरथ प्रयास किया है । संत आशारामजी बापू ने । उनका यह प्रयास आज विश्वव्यापी अभियान का रूप ले चुका है । पूज्य बापूजी से प्रेरणा पाकर उनके करोड़ो शिष्य अपने सद्गुरुदेव के अवतरण-दिवस को ‘विश्व सेवा-सत्संग’ दिवस के रूप में पिछले अनेक वर्षों से मनाते आ रहे हैं । गत वर्षों की तरह इस अवतरण दिवस पर भी पूज्य बापूजी के शिष्यों द्वारा वर्षभर चलनेवाले 27 मुख्य एवं अन्य कई सेवा अभियानों का नवीनीकरण भी होता है ।

संत आशाराम बापू का कहना है कि कर्म करने की कला जान लो और उसे कर्मयोग बनाओ तो कर्म आपको भगवान से मिलानेवाले हो जायेंगे | आप ‘बहुजनहिताय, बहुजनसुखाय’ कार्य करके स्वयं परमात्मा में विश्रांति पा लो । बाहर से सुख पाने की वासना मिटाओ और सुखस्वरूप में विश्रांति पाते जाओ ।’

इन्हीं वचनों का आदर करते हुए बापू के शिष्यों द्वारा विभिन्न समाजोत्थान के कार्य किये जाते हैं । गरीबों, अनाथों, अभावग्रस्त आदिवासियों और अस्पतालों में मरीजों को अन्न, औषधि, वस्त्र आदि जीवनोपयोगी वस्तुएँ तथा आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है तथा बच्चों को सत्साहित्य, नोटबुकें आदि का वितरण, 'निःशुल्क चिकित्सा शिविरों' का आयोजन आदि किया जाता है ।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ