Ticker

6/recent/ticker-posts

सिंधी हास्य नाटक इश्क़ ऑफ़लाइन ने दर्शको को खूब हंसाया

सिंधी हास्य नाटक इश्क़ ऑफ़लाइन ने दर्शको को खूब हंसाया

अजमेर (अजमेर मुस्कान)।
सिंधी कल्चरल सोसाइटी जोधपुर द्वारा संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार नई दिल्ली के सहयोग से वरिष्ठ रंगकर्मी हरिश देवनानी के मार्गनिर्देशन में सिंधी और राजस्थानी रंगमंच का तुलनात्मक विश्लेषण के तहत आयोजित सिंधी हास्य नाटक इश्क़ ऑफ़लाइन का मंचन रविवार को एस.एन. मेडिकल कॉलेज ऑडिटोरियम जोधपुर किया गया। 

आज की नयी पीढ़ी के लिए यह खास नाटक “इश्क ऑफ़लाइन ” पेश किया गया। जिसमें सोशल मीडिया के फंडे में फसे हुए आज के नौजवान और इसी वजह से अपनों को वक़्त ना दे पाने की नकली मजबूरी दर्शाती है और अपने दिल में कैसी हीन भावना और ग़लत फैहमी पैदा करती है। उस की एक लाजवाब मिसाल इस नाटक द्वारा पेश करने की कोशिश की गयी है। 

निरंजन आसरानी नू सिंधु आर्ट अकादमी मुंबई निर्देशित इस नाटक के माध्यम से दिखाया गया कि ताली बजाना एक कला है साथ ही अपनी ख़ुशी का इज़हार करने और जब भी कोई काम कामियाबी के साथ पूरा हो जाता है तो खुश होना जायज भी है।  किसी भी मामले को  सीधी तरह ना पेश करते हुए उसे मजाक का जामा पहना कर अप्रत्यक्ष तौर पर दर्शंकों के दिमाग पर चोट की है। लेखक और निर्देशक नीरू आसनानी, का सशक्त निर्देशन और, लछमन सचदेव ने अपनी कलाकारी में ऐसा अभिनय किया कि पहचान में भी नहीं आ रहा था कि वो लक्ष्मण है या कहानी का कोई किरदार। 

भावां के किरदार ने सभी का दिल जीत लिया. उस किरदार को असरदार बनाया गया। जया आसनानी की लाजवाब अदाकारी, जो दर्शको को सदियों तक याद रहेगी। इस नाटक में नीरू  आसनानी के साथ अन्य कलाकार  जया आसरानी,(भावां)  लक्ष्मण सचदेव (गोपाल) , दीपिका हसराजानी (नंदिनी)  , दीपेश नारवानी (होशियार), प्रियंका आसवानी,(पूर्वा), रंगदीपन वैभव ठक्कर, तथा संगीत रवि जयसिंघानी का था। मंच सज्जा रमेश भाटी, शब्बीर हुसैन, प्रमोद वैष्णव ने की।

सिंधी कल्चरल सोसाइटी जोधपुर के गोविंद करमचंदानी, महेश संतानी, रमा आसनानी, राजेंद्र खिलरानी, विजय भगतानी, सुशील मंगलाणी, राजू परमानी, किशोर, डिंपल ज्ञानानी, लता धनवानी, जेठानंद लालवानी, विरमल हेमनानी, प्रकाश खेमानी  ने खचाखच भरे ऑडिटोरियम में स्वागत एवं व्यवस्था बनाये रखने की अहम भूमिका निभाई।

हरीश देवनानी ने धन्यवाद देते हुए बताया कि दर्शकों का ऐसे ही साथ मिलता रहा तो कलाकारों का हौसला भी बुलंद होगा और सिन्धी संस्कृति और भाषा जन जन को जोडने की महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकती है।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ