Ticker

6/recent/ticker-posts

मातृभाषा का महत्व लघु नाटिका का मंचन

मातृभाषा का महत्व लघु नाटिका का मंचन

जोधपुर (अजमेर मुस्कान)।
सिंधी कल्चरल सोसायटी, जोधपुर द्वारा संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली के सहयोग से वरिष्ठ रंगकर्मी हरिश देवनानी अपने सदस्यों के साथ सिंधी एवं राजस्थानी रंगमंच का तुलनात्मक विश्लेषण के तहत "सेंट ऑस्टिन सीनियर सेकेंडरी  स्कूल, जोधपुर" के विद्यार्थियों से रूबरू हुए। 

सोसायटी के अध्यक्ष लेखक गोविंद करमचंदानी ने बताया कि  सोसायटी, युवा पीढ़ी में रंगमंच एवं भारतीय संस्कृति के प्रति रूचि जागृत करने के लिए नाट्य प्रशिक्षण शिविर का आयोजन  करती हैं ।  उपाध्याक्ष राजेंद्र खिलरानी ने सिंधी एव राजस्थानी रंगमंच की चुनौतियों के साथ साथ भारतीय संस्कृति में विविधता में  एकता का महत्व बताया।वरिष्ट रंगकर्मी हरीश देवनानी ने राजस्थानी में मातृ भाषा के महत्व के साथ लोक कला और रंगमंच विशेष रूप से सिंधी और राजस्थान रंगमंच के भविष्य और उनके उत्थान के बारे में जानकारी दी। उन्होंने राजस्थानी भाषा मे हंसी मजाक के माध्यम से बच्चों को मातृभाषा का महत्व समझाया।  इस अवसर पर सीमा खिलरानी व अन्य रंगकर्मी एवं कला प्रेमी छात्र छात्राओं से रूबरू हुए तथा उनकी जिज्ञासाओं को उत्तरित किया।

मातृभाषा का महत्व लघु नाटिका का मंचन

सेंट ऑस्टिन सीनियर सेकेंडरी स्कूल के विद्यार्थीयों द्वारा  'मातृभाषा  के महत्व' का 'लघु नाटिका के माध्यम से बखूबी प्रस्तुति दी। विभिन्न भाषाओं के माध्यम से विद्यार्थियों ने अपनी मातृभाषा का महत्व दर्शाते हुए उत्कृष्ट अभिनय किया। इस कार्यक्रम में उपस्थित विद्यार्थियों ने भारतीय संस्कृति के विभिन्न रंगों की झलक को संग्रहित किया। इस लघु नाटिका मे कुसुम सोनी, समृद्धि व्यास, सिद्धार्थ बेरनीवाल, वासुदेव जांगिड़, हर्षित सेजवानी, निष्ठा माहेश्वरी, उन्नति शर्मा, निशांत कविया ,सूर्यनंदिनी राठौड़, मान्या नागदेव गणेश फुलवानी, कर्मवीर सिंह चौहान, जिया मोटवानी, लविष्का बालानी, नक्श रुपानी, कनिष्क चौधरी, मुदित गहलोत विद्यायर्थियों ने सशक्त अभिनय किया। नाटिका मंच नियंत्रण में संतोष राठौड़, संगीता सोढ़ा आदि का सहयोग रहा व स्कूल के प्रबंधक भूपेश कच्छवाह ने इस नाटिका के सफल मंचन हेतु व्यवस्था बनाये रखने का योगदान दिया।

विद्यालय की प्राचार्य रमा आसनानी अंग्रेजी के साथ साथ अपनी मातृभाषा की निरंतरता बनाये रखने के लिए विद्यार्थियों को मंत्र दिए तथा  अंत में सिंधी कल्चरल सोसाइटी, जोधपुर और संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली के प्रति आभार व्यक्त किया। 

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ