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मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के मरीजों के लिए निःशुल्क शिविर का जिला कलेक्टर अंशदीप ने किया शुभारंभ

मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के मरीजों के लिए निःशुल्क शिविर  का जिला कलेक्टर अंशदीप ने किया शुभारंभ

अजमेर (अजमेर मुस्कान)।
मांसपेसीया दुर्विकास (मस्कुलर डिस्ट्रॉफी) के मराजों के लिए शनिवार को निःशुल्क शिविर का शुभांमभ किया गया। अंशदिप ने होटल हंस पेराडाईज फाईसागर रोड में किया।

जिला कलेक्टर अंशदीप ने कहा की मांसपेसीय दुर्विकास बिमारी से पीडी़त व्यक्तियों के जीवन का प्रबंधन कर सुधार लाया जा सकता है। सरकार के लिए नागरिकों का स्वास्थ्य बडा पेरामिटर है। दुर्लभ बिमारियों का पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। विज्ञान के पास मानव जीवन की समस्त समस्याओं का समाधान है। मांसपेशीय दुर्विकास बिमारी में भी पूर्ण कार्य करने की आवश्यकता है। अजमेर प्रशासन इसके लिए सदैव तत्पर है। जिले मेंमस्कुलर डिस्ट्रॉफी की जांच की बुनयादी प्रक्रिया विकसित करने का प्रयास रहेगा। जेएलएन चिकित्सालय की टिम को इस के लिए तैयार करेंगे।

उन्होने कहा की सम्भावनाओं के सिद्धांत के अनुसार मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के मरीज भी जीवन में नई ऊचाईयां प्राप्त कर सकते है। मुश्किल समय में जब कोई अपना नही होता है। ऎसे में हमारी संस्कृति और समाज व्यक्ति को संबल प्रदान करता है। जिले में मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से संबंधित मरीजों के चिह्नीकरण तथा जांच पर घ्यान दिया जाएगा। इससे प्राप्त डाटाबेस का उपयोग शोधकार्य में किया जाएगा। मस्कुलर डिस्ट्रॉफी जैसी बिमारी के रहते हुए भी मुस्कुराना जिंदादिली की निशानी है। मेहनत और पर्याप्त संसाधनों के साथ मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से प्रभावी रुप से निपटा जा सकता है। जीवन में सुधार के लिये आईएएमडी के शिविर जीवन में ऊर्जा भरकर समाज को नयी दिशा देते है।

सेंटर फॉर सेल्यूलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी हैदराबाद में जिनोमिक्स और प्रोटियोमिक्स रिसर्च ग्रुप के प्रमुख डॉ. गिरीराज चांडक ने कहा कि वर्तमान में डीएनए जांच के द्वारा मांसपेशीय दुर्विकास के प्रकार का पता लगाया जा सकता है। इस आनुवांशिक बिमारी पर अतिरिक्त शोध की आवश्यकता है। शेध के दायरे में मरीज एवं उसके परिवार को समिल करना चाहिए। इससे बिमारी को अगली पीढ़ी में लेकर जाने वाले वाहक की पहचान हो सकेगी। इससे नये मरीजों का मिलना कम होगा। जांच के माध्यम से 2500 से अधिक प्री नेटल मस्कुलर डिस्ट्रॉफी मरीजों का चिह्नीकरण किया गया। आधुनिक तकनीक से रक्त की बूंद के धब्बे से भी डीएनए जांच सम्भव हो सकती है।

शिविर में जाने माने शिशु रोग विशेषज्ञ  डॉ. प्रियांशु माथुर ने भी सेवाएं प्रदान की। इनके द्वारा  मेटाबॉलिक जेनेटिक्स रोगों के निदान एवं उपचार पर कार्य किया गया। इसके अतिरिक्त जेएलएन मेडिकल कॉलेज अजमेर के न्यूरोलोजिस्ट डॉ. पंकज सैनी द्वारा भी कैम्प में अपनी विशेषज्ञ सेवाएं प्रदान की गई।

इंडियन एसोसिएशन ऑफ मस्कुलर डिस्ट्रॅाफी संस्था की मुख्य संरक्षक उमा बाल्दी ने कहा कि इस कैम्प का मुख्य उद्देश्य मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के बारे में व्यापक जागरूकता पैदा करना है। इससे पीड़ित व्यक्तियों के लिए राहत एवं पुनर्वास सम्भव होगा। इस निःशुल्क शिविर में मरीजों को विशेषज्ञ सेवाएं उपलब्ध करवाई जा रही हैं। इसमें जिनेटिक टेस्टिंग भी शामिल हैं। संस्था देश भर के मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के रोगियों के लिए उपचार, पुनर्वास और बीमारी के प्रबंधन से संबंधित सेवाएं प्रदान करता है।

प्रतिभागी सुनिल चोरड़िया ने कहा की इस बिमारी के उपचार पर शोध कि आवश्यकता है। वे भीलवाडा में निःशुल्क केन्द्र भी चला रहे है। दिनेश ने कहा की जांच की सुविधा व उस के परिणाम  आसानी से मिलने चाहिए। विरेन्द्र कालरा ने कहा कि मस्कुलर डीस्ट्रॉफी के मरीज हर प्रकार की समस्या झेलने में सक्षम है। वे दिल्ली में फिजयोथैरेपी सेन्टर चलाते है। वे मानते है कि मुस्कुराने से समस्या सहन करने की क्षमता आती है।

आयोजन समिति के पदाधिकारी रमाकांत बाल्दी ने कहा कि सामुहिक प्रयासों से मस्कुलर डीस्ट्रॉफी के मरीजों के जीवन को बेहतरा किया जा सकता है। शिविर में भगवान महावीर विकलांग समिति की तरफ से मरीजों को तीस व्हील चेयर वितरित की गई। शिविर में थीम गीत जीवन से न हार जीने वाले भी गाया गया।

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