Ticker

6/recent/ticker-posts

तिल चौथ मंगलवार को

10 जनवरी मंगलवार को होगा संकट ( तिल ) चौथ का व्रत

तिल चौथ मंगलवार को

माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी या सकट  चौथ रूप में मनाया जाता है, इस दिन विशेष रूप से गणेश की पूजा का महत्त्व होता है।

पीपलेश्वर महादेव मन्दिर के उपासक पंडित राजू शर्मा ने बताया कि पौराणिक कथाओं के अनुसार इसी दिन भगवान् शिव ने गणेश का शीश काटने के बाद उन्हें गजशीश लगाकर पुनर्जीवित किया था और गजानन के रूप में गणेश जी का पुनर्जीवन आरम्भ हुआ तभी से इस दिन को संकष्टी चतर्थी के रूप में मनाया जाता है और भगवान  गणेश जी की विशेष पूजा अर्चना की जाती है ऐसी मान्यता है के ये दिन सभी संकटो का हरण करने वाला होता है इसलिए ये संकट चौथ या सकट चौथ के नाम से भी प्रसिद्ध है। सकट चौथ के व्रत में चंद्र दर्शन का विशेष महत्त्व होता है और इस बार चंद्रोदय के समय चतुर्थी तिथि 10 जनवरी को ही उपस्थित रहेगी इसलिए  इस बार 10 जनवरी के दिन सकट चौथ का व्रत किया जायेगा।

सकट चौथ के दिन गणेश की पूजा अर्चना करने से जीवन की बाधाओं से मुक्ति मिलती है और भगवान् गणेश के आशीर्वाद से जीवन में सुख समृद्धि बढ़ती है।  इस दिन विशेष रूप से माताएं गणेश के निमित्त व्रत रखती हैं और अपनी संतान की रक्षा दीर्घायु और उन्नति के लिए प्रार्थना करती हैं और सकट चौथ के व्रत का परायण चन्द्र दर्शन और चन्द्रमा को अर्घ्य देने के बाद किया जाता है इससे संतान की सभी कष्टों से रक्षा होती है l सकट चौथ के दिन तिल और गुड़ से तिलकुट बनाकर भगवान् गणेश को भोग लगाने की परम्परा भी बहुत प्रचलित है। 10  जनवरी सकट चौथ के दिन चंद्रोदय रात्रि 8 बजकर 42 मिन्ट पर होगा

सकट चौथ के दिन वैसे तो गणेश के निमित्त की गयी पूजा पाठ आदि से आपके जीवन के सभी कष्टों और बाधाओं की निवृत्ति होती ही है लेकिन ज्योतिषीय दृष्टि से भी सकट चौथ के दिन गणेश जी की पूजा करने से कुंडली में केतु सम्बंधित सभी दोष  दूर होते हैं, इसके अलावा बुद्धिपरक कार्य करने वाले सभी लोगों के लिए भी इस दिन गणेश जी के निमित्त व्रत और  पूजन करना बहुत शुभ परिणाम देने वाला होता है। 

नानक गजवानी ने कहा कि अगर किसीके जीवन में कोई बड़ी कठिनाई चल रही है या कोई विशेष कार्य पूरा होने में अड़चने आ रही हैं तो सकट चौथ के दिन सवा किलो मोतीचूर के लड्डू किसी भी मंदिर में भगवान् गणेश को अर्पित करें और फिर प्रसाद स्वरुप उन्हें सभी लोगों में बाटने से अड़चने दूर होती है।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ