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संत साध्वी दादी मोहनी का वार्षिकोत्सव 16 को

संत साध्वी दादी मोहनी का वार्षिकोत्सव 16 को

अजमेर (AJMER MUSKAN)।
अजमेर के जनता कॉलोनी वैशाली नगर के संत धन्नेश्वर मन्दिर की संत साध्वी दादी मोहिनी का वार्षिकोत्सव  16 दिसम्बर शुक्रवार को मनाया जायेगा। 

पूज्य सिन्धी पंचायत अजमेर के पदाधिकारियो संस्थापक व महासचिव रमेश लालवानी और धन्नेश्वर मन्दिर के संयोजक दौलत खेमानी ने जानकारी प्रदान करते हुए बताया कि उत्तर प्रदेश के ऐटा की संत धन्नेश्वर की शिष्या अजमेर के जनता कॉलोनी वैशाली नगर के संत धन्नेश्वर मन्दिर की सन्त साध्वी दादी मोहिनी का वार्षिकोत्सव  शुक्रवार को मनाया जायेगा। उन्होंने बताया दादी मोहिनी का जन्म 21 मई 1946 को सिन्ध में मटियार गांव जिला हैदराबाद में पिता वाधूमल जी एवं माता खेमी बाई के यहाँ हुआ।दादी मोहिनी की छः वर्ष की आयु में ही आपके सिर से पिता का साया हट गया तब बड़े भाई चेलाराम के सानिध्य में बचपन के उतार - चढ़ाव में सहयोगी की भूमिका निभाई, आप बचपन से ही प्रभु भक्ति में लीन रही 1954 में आपने भारत विख्यात संत धन्नी फ़क़ीर एटा वालों का प्रवचन सुना ,और उनके साथ लगातार सम्पर्क में रही। वर्ष 1961 में परिवार का दबाव रहा कि हर माता पिता को कन्यादान का सौभाग्य मिलता है वो भी विवाह करें मगर आप श्री राम भक्ति को जीवन मे समर्पित कर चुकी थी, उन्हें पिता स्वरूप मान उन्ही के चरणों मे भक्ति रस में डूब चुकी थी।1962 में जब आप पर परिवार का विवाह के लिये दबाव बढ़ा तो आप सतगुरु देव धन्नी फ़क़ीर के पास गई और उनसे नामदान लेकर उनके आशीर्वाद से सत्संग करने लगी और आजीवन विवाह न करने का प्रण ले चुकी गुरु के साथ आपने देश के अनेकों शहरों में भारत भ्रमण कर प्रभु श्रीराम के सत्संग  प्रचारक रूप में रहीं। 1979 में आपने सतगुरु के आदेश से अजमेर स्थित वैशालीनगर में गुरु के नाम से धनेश्वर मन्दिर का निर्माण करवाकर संस्थापक एवं महंत स्वरूप में सत्संग कर धर्म का प्रचार किया। उनके मन्दिर में आने वाले चढ़ावे से प्रत्येक दिवस गरीब परिवारों में अन्न धन से सहयोग उनकी नित्य कर्म में शामिल था। उनका मानना था कि प्रत्येक महिला परिवार की नीव की ईंट है और वो विधा ज्ञान प्राप्त हो तो परिवार को चलाने में सहयोगी हो सकती है ,उन्होंने अनेकों कन्याओ के विद्यालयों का शुल्क देकर विद्या दान भी किया तभी से धर्म प्रेमी उन्हें दीदी कहने लगे, गरीब कन्याओं के विवाह करवाने से दीदी माँ, और उनके अभिमंत्रित जल को पीकर स्वास्थ्य  ठीक होने वाले तपस्विनी दीदी पुकारते थे । लोगों की पीड़ा को हरते हुवे आपको स्वयं को उनके दुख हरने से करीब 2 वर्ष कैंसर से पीड़ित होना नियति ने खेल करते हुवे..29 दिसम्बर 2018 को उन्हें श्री राम ने अपने चरणों मे स्थान दिया और वह इस लोक से परलोक में दिव्य जोत आत्मा श्री राम में विलीन हो गई।

उनके जीवन काल मे प्रति वर्ष सतगुरुदेव धन्नी फ़क़ीर का तीन दिवसीय जन्मोउत्सव  गुरुपूर्णिमा  को  भव्य आयोजन  के साथ मनाती रही थी । उनके उपरांत अब उनकी बड़ी भाभी सेवाधारी माता कांता देवी के सानिध्य में अब सेवादारी दल के दौलत खेमानी निरन्तर मन्दिर संबंधित समस्त कार्य अब देखते है और वार्षिक जन्मोत्सव उत्सव के साथ उनकी पुण्यतिथि समस्त सेवाधारियों के साथ मनाकर धर्मप्रथा की पद्वति अनुसार निरन्तर मनाया जाता है। आज दिवस भी दीदी माँ की व्यवस्थाओं को निरन्तर ध्यान में रखते हुवे आने वाले चढ़ावे से साप्ताहिक अन्न धन से गरीबों को मदद दी जाती है। 16 दिसम्बर शुक्रवार को भी माता कान्ता देवी के नेतृत्व में गुरू ग्रंथ साहिब का पाठ, निम नेम, सुखमनी साहिब का पाठ, कन्या भोज, महाआरती पूजन, दादी मोहिनी व धन्नेश्वर संत के जीवन पर आधारित सत्संग प्रवचनो का आयोजन किया जायेगा। 

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