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हर्षोल्लास, भव्यता एवं नए संकल्पों के साथ विश्व प्रसिद्ध ऋषि मेला प्रारंभ

हर्षोल्लास, भव्यता एवं नए संकल्पों के साथ विश्व प्रसिद्ध ऋषि मेला प्रारंभ

महर्षि दयानन्द पूर्ण स्वाधीनता के प्रथम स्वप्नद्रष्टा

अजमेर (AJMER MUSKAN)। आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानंद सरस्वती के 139 वे निर्वाण दिवस के अवसर पर परोपकारिणी सभा की ओर से आयोजित ऋषि मेले में आयोजित व्याख्यान में 'स्वाधीनता में महर्षि का योगदान' विषय पर बोलते हुए आचार्य सोमदेव ने कहा कि सर्वप्रथम महर्षि दयानन्द ने ही देश की पूर्ण स्वाधीनता की मांग की थी। रामप्रसाद बिस्मिल, श्यामजीकृष्ण वर्मा, सरदार भगतसिंह आदि क्रान्तिकारी महर्षि दयानन्द के ही वैचारिक शिष्य थे। स्वाधीनता आन्दोलन में आर्यसमाज की सर्वोतम भूमिका रही है। अध्यक्षीय भाषण में डॉ. ज्वलन्त कुमार शास्त्री ने कहा- धर्मरक्षा से ही देश रक्षा सम्भव है। अन्धविश्वास और कुप्रथाओं से मुक्त होकर ही महर्षि दयानन्द के अनुसार देश की उन्नति होगी। संस्कृति-विमुख लोग ही आज भारत माता की जय नहीं बोलते।

शुक्रवार को अपार हर्षोल्लास, भव्यता एवं नए संकल्पों के साथ विश्व प्रसिद्ध ऋषि मेला प्रारम्भ

ऋषि उद्यान अजमेर ४ नवम्बर, शुक्रवार को तीन दिवसीय ऋषि मेला उत्साहपूर्वक वातावरण में पवित्र वेद मन्त्रोच्चार के साथ ऋषि उद्यान, अजमेर के विशाल प्रांगण में प्रारम्भ हो गया।

प्रात: ५ से ६ बजे तक सूक्ष्म क्रियाएँ, आसन, प्राणायाम, ध्यान, सन्ध्या प्रशिक्षण और अभ्यास सत्र के पश्चात् 7 से 8.30 बजे तक श्रद्धापूर्वक 'अथर्ववेद पारायण यज्ञÓ, वेद-पाठ व सुमधुर भजन प्रस्तुति के साथ दूसरा सत्र समाप्त हुआ। यज्ञ के मुख्य यज्ञमान सभा प्रधान श्री सत्यानन्द जी थे।

वेद मन्त्रों की प्रेरक सरस की व्याख्या - अथर्ववेद के मन्त्रों की व्याख्या करते हुए यज्ञ के ब्रह्मा=मुख्य संचालन कर्त्ता पुरोहित हिसार निवासी डॉ. प्रमोद योगार्थी ने कहा कि अध्यात्म के बिना जीव अधूरा है, जीवन में शान्ति नहीं मिलती।

निष्कामता का अर्थ यह नहीं है कि हम कोई कामना ही न करें अपितु पुरुषार्थपूर्वक शुभकामना करना पर फल में आसक्ति न रखना है। फल में आसक्ति न रखने में ही सुखों की वर्षा होती है। फल की अविद्यापूर्व इच्छा जब स्वयं छोड़ते तो प्रसन्नता होती हे, दूसरा छुड़ाए तो दु:ख होता है। महर्षि दयानन्द अति प्रसन्नतापूर्वक अपने नश्वर शरीर का त्याग किया- यह देख भौतिकी के प्रोफेसर नास्तिक गुरुदत्त विद्यार्थी आस्तिक, ईश्वरभक्त हो जाते हैं। मृत्यु से दूर होने का उपाय ईश्वर की भक्ति और ईश्वर मनन है। अज्ञान रूपी पर्दा हटाने के लिए ईश्वर की उपासा अवश्य करनी चाहिए।

परोपकारिणी सभा के मन्त्री सत्यजित् जी ने कहा कि यथार्थ वैदिक धर्म और विद्या की उन्नति के लिए जो सुपात्र को दान करते हैं, उन्हें चिरख्याति मिलती है।

यज्ञोपरान्त आध्यात्मिक उपदेश करते हुए आर्यकन्या गुरुकुल शिवगंज की प्राचार्या सूर्यादेवी चतुर्वेदा ने कहा कि संसार का प्रत्येक व्यक्ति विविध-बन्धों से बन्धा हुआ है। वह बन्ध, निबन्ध, प्रबन्ध और सम्बन्ध से बँधा है। सम्पूर्ण संसार में केवल एक सम्बन्ध सभी बन्धों से छुड़ा देता है।

नए संकल्पों के साथ ध्वजारोहण- 10 बजे सैकड़ों श्रद्धालुओं और सभा पदाधिकारियों-सदस्यों की उपस्थिति परोपकारिणी सभा के प्रधान श्री सत्यानन्द जी आर्य ने 'ओम्Ó ध्वज फहराकर ऋषि मेले के अवसर पर ध्वजारोहण किया जाता है। आगे उन्होंने कहा कि महर्षि दयानन्द की दो ही मुख्य अभिलाषा थी- वेदों का सर्वहितकारी भाष्य करना और देश व मानवता की उन्नति करना। महर्षि का पूर्ण विश्वास था कि वेदज्ञान से देश समाज और मानव कल्याण होगा। उन्होंने सबको आह्वान किया कि हम सब वेदज्ञान के प्रचार-प्रसार द्वारा उत्साहपूर्वक मानव व देश कल्याण में लग जाएं।

वेदगोष्ठी का उद्घाटन- सम्पूर्ण देश से पधारे वेद-विद्वानों के बीच वेद गोष्ठी का उद्घाटन करते हुए परोपकारिणी सभा के मन्त्री मुनि सत्यजित् जी ने कहा कि जब एक स्थान पर अनेक विद्वान्-विचारक मिलते हैं तो बहुत कुछ सीखने को मिलता है। विद्वानों के विचार सुन हम अपनी गलतियों का सुधार कर सकते हैं। लगभग ४० से अधिक शोध पत्र आये व सैंकड़ों वेदप्रमियों ने वेदगोष्ठी में सहभागिता की।

इस अवसर पर महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय के 'दयानन्द शोध-पीठÓ के अध्यक्ष नरेश धीमान् ने कहा कि यद्यपि वेदों में भी पर्याप्त अध्यात्मिक ज्ञान है पर उपनिषदों की भाषा सरल है, समझ में आ जाती है। उपनिषदों का अध्यात्म वैदिक अध्यात्म पर ही आधारित है। शोध पीठ और परोपकारिणी सभा मिलकर आगे भी वेदगोष्ठियाँ करते रहेंग। वेदगोष्ठी का विषय है- उपनिषद् वाङ्मय में ईश्वर चिन्तन।

इसमें विभिन्न विद्वान् अपना शोधपत्र का वाचन करेंगे।

वेद कण्ठस्थीकरण प्रतियोगिता भी मेले का आकर्षण रहा।

दुर्लभ, ज्ञानवर्द्धक वैदिक एवं विविध ज्ञानवर्द्धक साहित्य का विक्रम और यज्ञ उपकरणों का विक्रय मेले में उपलब्ध सुविधाएँ-

नि:शुल्क स्वास्थ्य जाँच व दवा-वितरण किया गया।

विविध मिष्ठानों से युक्त सबके लिए भोजन प्रसाद- ऋषि लंगर की व्यवस्था की गई।

देश के प्रख्यात भजन गायकों द्वारा सुमधुर भजनों का कार्यक्रम।

शनिवार 05 नवम्बर 2022

05.00 से 06.30 तक - सूक्ष्म क्रियाएँ-आसन-प्राणायाम-ध्यान-सन्ध्या-आ. कर्मवीर

07.00 से 08.30 तक - अथर्ववेद पारायण यज्ञ। ब्रह्मा - डॉ. प्रमोद योगार्थी

08.35 से 08.55 तक - वेद-प्रवचन- डॉ. वेदपाल

09.00 से 10.00तक - प्रातराश

10.00 से 12.30 तक - भजन व व्याख्यान

आर्य वीर दल सम्मेलन

अध्यक्ष- श्री मदनमोहन,

मुख्यवक्ता - श्री नन्दकिशोर,

संचालक - श्री भवदेव शास्त्री- टांटोटी

12.00 से 02.00 तक - भोजन

02.30 से 04.30 तक - भजन, सम्मान व व्याख्यान

वैदिक राष्ट्र का वर्तमान व्यावहारिक स्वरूप

अध्यक्ष- डॉ. सुरेन्द्र कुमार,

वक्ता- आ. रवीन्द्र-हमीरपुर,

संचालक- डॉ. रामचन्द्र-कुरुक्षेत्र

03.00 से 05.00 - संन्यास दीक्षा- स्वामी मुक्तानन्द परिव्राजक

05.00 से 06.30 तक - आर्य वीर दल व्यायाम प्रदर्शन

05.30 से 06.30 तक - यज्ञ-सन्ध्या-डॉ. प्रमोद योगार्थी

06.30 से 08.00 तक - भोजन

08.00 से 10.00 तक - भजन, सम्मान व व्याख्यान

डिजिटल वर्ल्ड में आर्य समाज

अध्यक्ष- सत्यानन्द आर्य

मुख्य अतिथि- प्रो. अनिल कुमार शुक्ला, कुलपति महर्षि दयानन्द सरस्वती विश्वविद्यालय

वक्ता- डॉ. नरेश धीमान, श्री पीयूष आर्य / श्री विकास आर्य, प्रो. शत्रुञ्जय रावत, 

संचालक-  आचार्य रविशंकर

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