भारतीय संविधान के मूल्यो की रक्षा करना प्रत्येक भारतीय नागरिक का दायित्व
दरगाह दीवान जैनुल आबेदीन से जोधा टेकचन्दानी के नेतृत्व में विचार विमर्श
अजमेर (AJMER MUSKAN)। भारत को प्रत्येक क्षेत्र में विश्व गुरू बनाने में हम सब मिलकर सामूहिक प्रयास करेंगे और हम भारत को भारत कहने में भी प्रत्येक भारतीय को प्रेरित करके विश्व स्तर पर एक ही नाम को प्रच्चलित करवाने की मुहिम चलाकर देश का नाम रोशन करने में सहयोग करेंगे। उपरोक्त विचार बौद्ध मठ गौतम अध्यक्ष गुणवन्त राहुल ने दरगाह दीवान से भेट के अवसर पर व्यक्त किये।
श्री अजमेर व्यापारिक महासंघ के संस्थापक व महासचिव एवं जन सेवा समिति के सर्व धर्म समिति के संस्थापक व महासचिव रमेश लालवानी ने बताया कि भारत के प्रत्येक नागरिक का दायित्व है कि संविधान के मूल्यों की रक्षा करे और उसके अनुसार आचरण व जीवन व्यवहार करे। लालवानी ने कहा कि हमें अपने देश के प्रति संविधान के दायरे में रहते हुए प्रत्येक कार्य करना चाहिये और बताया कि भारतीय संसद द्वारा 26 नवम्बर 1949 को भारतीय संविधान को स्वीकार किया गया था। भारतीय संविधान को 26 जनवरी 1950 को भारत में लागू किया गया था। भारतीय संविधान की संविधान निर्मात्री सभा के अध्यक्ष भारत रत्न डॉ.भीमराव अम्बेडकर की अध्यक्षता में संविधान के निर्माण में 2 साल 11 माह और 18 दिन का समय लगा था और बताया कि भारत के संविधान में विश्व के समस्त संविधानो का सार समाया हुआ है। इसलिए भारत का संविधान विश्व का सबसे बड़ा और लिखित संविधान है।
सिन्धी समाज के प्रमुख और दरगाह बाजार के संरक्षक जोधा टेकचन्दानी ने दरगाह दीवान जैनुल आबेदीन के देश की एकता अखण्डता सम्प्रभुता के लिए किये गये प्रयासो की सराहना की। इस अवसर पर दरगाह दीवान ने भविष्य में भी सामप्रदायिक सदभाव व भाईचारे को एक जुटता से एक दूसरे का सहयोग बरकरार रखने की बात कही। सैय्यद नसीरुद्दीन चिश्ती, गुणवन्त राहुल, जोधा टेकचन्दानी, रमेश लालवानी, सोनी गुणवन्त, गुलाम नाजमी फारूखी सहित अन्य के नेतृत्व में सबने शपथ लेकर भविष्य में भारत को भारत की बोलने एवं लिखने के साथ साथ अन्य लोगो को भी हमारे देश का नाम भारत ही प्रयोग करने के लिए प्रेरित करने की शपथ ली।
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