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सड़क दुर्घटना में क्षतिग्रस्त युवक के स्वरयंत्र का मित्तल हॉस्पिटल में किया उपचार

मित्तल हॉस्पिटल की डॉ रचना जैन एवं मुम्बई की डॉ अंजू चौधरी ने की जटिल सर्जरी
मित्तल हॉस्पिटल की डॉ रचना जैन एवं मुम्बई की डॉ अंजू चौधरी ने की जटिल सर्जरी

पीड़ित के क्षतिग्रस्त स्वरयंत्र का उपचार करने वाले देश भर में हैं गिने-चुने सर्जन


अजमेर (AJMER MUSKAN)। सड़क दुर्घटना में घायल डेगाना निवासी पुखराज के क्षतिग्रस्त स्वरयंत्र का अजमेर के मित्तल हॉस्पिटल में उपचार किया गया। युवक का स्वरयंत्र जिस तरह से क्षतिग्रस्त हुआ था उसका उपचार देश के गिने—चुने सर्जन द्वारा ही किया जा सकता था। मित्तल हॉस्पिटल की कान—नाक—गला रोग विशेषज्ञ डॉ रचना जैन एवं सैफी हॉस्पिटल मुम्बई की एयरवे विशेषज्ञ डॉ. अंजू चौधरी ने यह सर्जरी की।

मोटर बाइक पर सफर करते हुए दुर्घटनाग्रस्त युवक पुखराज के गले पर बाइक के हैण्डिल से गहरी चोट लगी थी। युवक का ना सिर्फ स्वरयंत्र क्षतिग्रस्त हुआ था अपितु उसके भोजन नली में भी करीब 4 सेंटी मीटर का लम्बा घाव हो गया था। घाव के कारण सूजन बढ़ने से उसकी आवाज बंद हो गई थी और सांस लेने में भी परेशानी हो रही थी। युवक ना तो कुछ निगल पा रहा था ना ही उगल पा रहा था। उसके थूक के साथ खून भी निकल रहा था। युवक को कुछ खिलाए जाने पर भोजन सांस नली और फेफड़ों में जाने का खतरा था जिससे लंग्स इन्फेक्शन की संभावना प्रबल बनी हुई थी।

मित्तल हॉस्पिटल में पीड़ित युवक की जांच किए जाने पर पाया गया कि उसका पूरा स्वरयंत्र एवं स्वर नली की बनावट ही बिगड़ गई थी। उसके थाइराइड ग्रंथी की नरम हड्डी भी चूर—चूर हो गई थी। पीड़ित के उपचार में सर्जरी जरूरी थी।

डॉ रचना जैन ने बताया कि आमतौर पर ऐसे रोगी के सांस नली में छेद कर ट्यूब डाल दी जाती है जिसे चिकित्सकीय भाषा में ट्रेकियोस्टॉमी कहा जाता है। किन्तु रोगी की दुविधा रहती है कि वह बोल नहीं पाते हैं और ट्रेकियोस्टॉमी रोगी की देखभाल की बहुत जरूरत होती है। रोगी को ठीक होने में ज्यादा वक्त लगता है पीड़ित का जख्म ठीक होना भी नियंत्रित नहीं होता। बाद में आवाज ठीक होने तथा ट्यूब हटाए जाने में भी मुश्किल होती है।

मित्तल हॉस्पिटल में उपलब्ध आपरेशन थियेटर में अत्याधुनिक साधन-संसाधन एवं उपकरणों तथा आईसीयू नर्सिंग केयर की बदौलत पीड़ित के स्वरयंत्र और भोजन नली को ठीक किया गया। पांच दिन तक पीड़ित को क्रत्रिम सांस पर रखने के बाद पीड़ित को क्रत्रिम सांस से हटा दिया गया। 10 वें दिन पीड़ित को मुँह से भोजन खिलाकर जांचा गया। पीड़ित की आवाज में भी सुधार हो गया व उसे भोजन निगलने में भी कोई तकलीफ नहीं रही। पीड़ित को स्वस्थ अवस्था में हॉस्पिटल से छुट्टी दे दी गई।

पीड़ित के उपचार में एनेस्थीसियोलॉजिस्ट डॉ राजीव पांडे, रेडियोलॉजिस्ट डॉ गरिमा खींची, ओटी स्टाफ ओम प्रकाश, मुकेश, टेक्नीशियन मुकेश व आईसीयू रेजीडेंट एवं नर्सिंग स्टाफ का सराहनीय योगदान रहा।

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