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फ़ारसी में लिखित किताब मुनिस उल अरवाह का हिन्दी अनुवाद प्रकाशित

फ़ारसी में लिखित किताब मुनिस उल अरवाह का हिन्दी अनुवाद प्रकाशित

भारत के मुग़ल बादशाह शाहजहां की पुत्री शहज़ादी जहांआरा बेगम की फ़ारसी ज़बान में लिखित क़लमी (हस्तलिखित) किताब (रिसालाह) “मुनिस उल अरवाह” जो कि 27 रमज़ान 1049 हिजरी / 21 जनवरी 1640 ईस्वी को पूर्ण हुई थी (जो कि ब्रिटिश पुस्तकालय लंदन, इंग्लैंड में संरक्षित रखी है) उपरोक्त किताब का उर्दू अनुवाद फ़रवरी 1891 ईस्वी में मौलवी मोहम्मद अब्दुस्समद साहब कलीम क़ादरी अवैसी निवासी अलीगढ़ द्वारा किया गया जो मतबआ रज़वी देहलवी में सैयद मीर हसन के प्रबन्ध में छपा और टोरंटो विश्वविद्यालय के पुस्तकालय में संरक्षित है, उक्त उर्दू एडिशन का हिन्दी अनुवाद इस किताब के माध्यम से प्रस्तुत है।

मशहूर है कि शहज़ादी जहांआरा बेगम का जन्म अजमेर में ही हुआ और उनको ख़्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह से सच्ची आस्था, श्रद्धा और आध्यात्मिक प्रेम था यही वजह रही की शहज़ादी जहाँआरा ख़्वाजा साहब के सिलसिले (चिश्तिया सिलसिले) से मुरीद हुई तथा उन्होंने अपनी रचना मुनिस उल अरवाह में प्राचीन इतिहास, ख़्वाजा साहब और उनके गुरु ख़्वाजा उस्मान हारवनी रहमतुल्लाह अलैह से सम्बंधित इतिहास का वर्णन करते हुए ख़्वाजा साहब के ख़ास मुरीद व खलीफ़ाओं के जीवन पर भी प्रकाश डाला है और सुफ़िवाद के प्रति अपनी आस्था प्रकट की है, शहज़ादी जहाँआरा की उक्त किताब मुनिस उल अरवाह का पीरज़ादा सैयद फ़िरोज़ुल हसन चिश्ती (अनुवादक) द्वारा हिन्दी अनुवाद कर उसे प्रकाशित किया गया है, जो कि www.amazon.in व www.flipkart.com पर ऑनलाइन उपलब्ध है । 

अनुवादक 


पीरज़ादा सैयद फ़िरोज़ुल हसन चिश्ती  

( अधिवक्ता राजस्थान उच्च न्यायालय ) 

वंशज ख़्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह 

firozulhasan@gmail.com

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