Ticker

6/recent/ticker-posts

सिंधी समाज ने मनाई छोटी सप्तमी

सिंधी समाज ने मनाया छोटी सप्तमी पर्व

अजमेर (AJMER MUSKAN)।
अजयनगर स्थित पीपलेश्वर महादेव मंदिर में सीमा गुर्याणी के सानिध्य में छोटी सप्तमी का (शीतला सप्तमी) पर्व मनाया गया। इस पर्व में अपने घर परिवार में शुख शांति वह शीतला माता के प्रकोप से अपने बच्चो को बचाने की प्रार्थना माता से की गई ठंडे पकवान, जिसमे लोला, कोकी, दही से बने खाने की चीजों का माता को भोग लगाया गया ।

सिंधी युवा संघ के उपाध्यक्ष नानक गजवानी ने बताया कि भारत विभिन्न विभिन्न धर्मों का देश है जहां हर समुदाय के अलग अलग त्यौहार और संस्कृति ही उसकी पहचान है, जिसे हर समुदाय बेहद उत्साह, उमंग व खुशियों के साथ मनाते हैं। इसी में से एक समुदाय है सिन्धी समाज जिसका  थदड़ी पर्व  बेहद महत्वपूर्ण होता है जोकि आज मनाया गया।

थदड़ी की महिमा बताते हुए पीपलेश्वर महादेव मन्दिर के पंडित राजू शर्मा ने बताया कि पौराणिक कथा के अनुसार पुराने काल मे धरती पर तरह तरह की मान्यताएं मानी जाती थी। उस वक्त प्राकृतिक आपदा को दैवीय प्रकोप माना जाता था। जिस प्रकार मान्यताओं के अनुसार समुंद्री तुफानो को जल देवता के प्रकोप के रूप में देखा जाता था, सुखा ग्रस्त क्षेत्रों को इंदर देवता की नाराज़गी से जोड़ा जाता था। उस समय एक बार चेचक (माता) का बहुत प्रकोप मचा था तब उसे दैवीय प्रकोप मानकर देवी को प्रसन्न करने हेतु उसकी स्तुति की गई । एक दिन पहले खाना बनाकर रखा गया, उसे दूसरे दिन माता की पूजा-अराधना कर दिन भर एक दिन पहले का बना  ठंडा भोजन घर के सभी सदस्यों ने ग्रहण किया। तब जाके चेचक जैसी बीमारी से छुटकारा मिला। तब से हर साल माता रानी को प्रसन्न रखने के लिए थदड़ी का त्यौहार मनाया जाता है।

इस दिन सवेरे माताये, बहिने अपने घर के आसपास पूजा स्थलों या दरबारों में जाकर माता रानी की पूजा अर्चना कर माता रानी का आशीर्वाद प्राप्त करती है।

पंडित योगेश शर्मा ने आग्रह किया कि आज की युवा पीढ़ी को भी घर घर मे ये पौराणिक कथा सुनाकर त्योहारों का महत्व बताना चाहिए। आज भी यदि कभी किसी को माता निकलती है तो एक दिन पहले ठंडा पकाकर दूसरे दिन माता की पूजा कर जल का छीटा लगाया जाता है तथा पूरे दिन एक दिन पहले का बनाया भोजन ग्रहण किया जाता है।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ