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मीडिया वर्कशॉप का आयोजन, इंडिया डाटा पोर्टल की टीम ने बताया किस प्रकार लिया जा सकता है आंकड़ों काे

मीडिया वर्कशॉप का आयोजन

अजमेर (AJMER MUSKAN)।
इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस, भारती इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक पॉलिसी व अजयमेरू प्रेस क्लब के संयुक्त तत्वावधान में रविवार काे हाेटल लैकविनाेरा में मीडिया वर्कशॉप का आयोजन किया गया। आईएसबी की सीनियर कंसल्टेंट दीप्ति साेनी ने कहा कि समाचारों काे तथ्यपरक और विश्वसनीय बनाने में डाटा व ग्राफिक्स के प्रयोग की महत्त्वपूर्ण भूमिका रह सकती है। समाचार पत्रों में बदलते परिवेश के बाद डाटा व आंकड़ों ने खबरों की विश्वसनीयता बढ़ाई है। जाे शब्द हजार नहीं बाेल पाते वह आंकड़े व ग्राफिक्स के जरिए आसानी से समझाए जा सकते हैं।

मीडिया वर्कशॉप का आयोजन

इंडिया डाटा पोर्टल काे लेकर जानकारी देते हुए बताया कि 2020 में लैंड स्केप सर्वे शुरू करवाया था। पत्रकाराें, रिसर्च में लगे छात्रों काे आंकड़ों काे लेकर परेशानी हाे रही थी। फार्मिंग व कारपोरेट से जुड़ी खबरें नहीं आ रही थी। जाे खबरें आ रही थी उनमें क्वालिटी थी, लेकिन आंकड़े नहीं थी। ऐसे आंकड़े जिन पर विश्वास किया जा सके। इंडिया डाटा पोर्टल ने सबसे पहले कृषि, वित्तीय समावेश व ग्रामीण विकास काे लेकर डाटा तैयार करवाया। आज स्थिति यह है कि इंडिया डाटा पोर्टल पर काेविड से लेकर हर क्षेत्र के तहसील से लेकर स्टेट व देश दुनिया तक के आंकड़े हैं। इन्हें अलग अलग रेशाें में लेना है या ग्राफिक्स में लिया जा सकता है।

मीडिया वर्कशॉप का आयोजन

इंडिया डाटा पोर्टल से अब खबरों में काफी सहयोग मिल सकेगा। इन सबकाे भी टीम ने पोर्टल पर बनाकर अपडेट किया है। 80 प्रकार का डाटा है जाे दाे साल में बनकर तैयार हुआ है। केंद्र व प्रधानमंत्री की याेजनाएं, किस राज्य काे कितना बजट मिला, कितना खर्च हुआ, रेनफाॅल, विधानसभा व लाेकसभा का डाटा भी तैयार हाे रहा है। काेविड के दौरान पलायन की स्थिति हुई। आंकड़ों में सामने 


आया कि सबसे अधिक मनरेगा में लाेग जुड़े। एक हजार कराेड़ तक का बजट काेविड में गया था। लेकिन अब स्थिति सुधरने के बाद वह ग्राफ तेजी से नीचे आ रहा है। दीप्ति साेनी ने विस्तार से जानकारी दी कि किस प्रकार पोर्टल से जानकारी ले सकते हैं।

आईएसबी के कंसल्टेंट उपेन्द्रसिंह ने कहा कि तकरीबन दाे साल पहले यह सामने आया था कि पत्रकारों काे खबरों काे लेकर डाटा आंकड़े नहीं मिल पाते हैं। इस कारण काफी परेशानी हाेती है। इसी काे लेकर सर्वे करवाया। तकरीबन दाे सालाें तक एक पूरी टीम ने दिन रात काम किया तब यह आंकड़े सामने अाए। आज यह आंकड़े हर क्षेत्र में सभी के लिए मददगार साबित हाे रहे हैं।


एमडीएस यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर अनिल कुमार शुक्ला ने कहा कि शब्द भले ही कम हाें, लेकिन उनका सार काफी अधिक हाेना चाहिए। कम्प्यूटर, साेशल नेटवर्किंग का समय है। आज लाेगाें काे समय कम है। इसी कारण कम शब्दों में अधिक से अधिक बात सामने रखने की कला यानी क्वांटिटी के साथ क्वालिटी वाला कार्य हाेना चाहिए। आंकड़े सत्य हाें, क्योंकि पड़ाैस में बैठे किसी व्यक्ति काे किया मैसेज भी पहले अमेरिका, दिल्ली फिर अजमेर आपके पास आता है। एक एक गतिविधि पर नजर रखी जा रही है। इसी कारण आंकड़ों का दुरुपयोग नहीं हाेना चाहिए। उन्‍होंने कहा कि आंकड़ें तीन प्रकार के हाेते हैं। काला, सफेद व आंकड़ों का झूठ। आंकड़ों से खेलें नहीं, क्योंकि यह तस्वीर बना सकते हैं ताे बदल भी सकते हैं। क्वालिटी काे समझकर टेक्नालॉजी में बदलाव कर अपनी बात काे कम शब्दों में बयां कर सकते हैं।


महापाैर ब्रजलता हाड़ा ने कहा कि उन्हें भी आज इस वर्कशॉप में काफी कुछ सीखने काे मिला है। उन्‍होंने भी इस पोर्टल काे डाउनलोड किया है ताकि निगम या सरकार की याेजनाअाें से संबंधित काेई डाटा लेना हाेगा ताे वह यहां से ले सकेंगी। अजयमेरू प्रेस क्लब के अध्यक्ष डाॅ. रमेश अग्रवाल ने कहा कि मीडिया की सबसे बड़ी ताकत विश्वसनीयता है। स्याही कागज शब्दों से नहीं डाटा सबसे महत्वपूर्ण है जाे खबरों में पसंद किए जाने के साथ ही विश्वास बढ़ाता है। मंच का संचालन कर रहे क्लब के महासचिव राजेन्द्र गुंजल ने गतिविधियों की जानकारी देने के साथ ही बताया कि 125 कार्यशाला हाे चुकी है। साेमवार काे भीलवाड़ा में इसका आयोजन हाेना है।

मीडिया वर्कशॉप का आयोजन

इससे पूर्व कार्यक्रम की शुरुआत मां सरस्वती के चित्र पर दीपप्रज्वलन से हुई। अंत में पूर्व अध्यक्ष प्रतापसिंह सनकत ने डाटा की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि समाचारों में इनकी भूमिका महत्वपूर्ण रहेगी।
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